Jamshedpur Negligence: एमजीएम अस्पताल में फिर डॉक्टरों की लापरवाही, परिवारवालों ने किया हंगामा, प्रशासन ने दिए जांच के आदेश
जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही का बड़ा मामला, ऑपरेशन में चूक के बाद मरीज को हुआ इन्फेक्शन, हालत नाजुक। परिजनों का हंगामा, अस्पताल प्रशासन पर उठे सवाल।

जमशेदपुर: झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमजीएम (महात्मा गांधी मेमोरियल मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल) में एक बार फिर डॉक्टरों की लापरवाही का मामला सामने आया है। गलत ऑपरेशन के कारण मरीज की हालत नाजुक हो गई, जिससे गुस्साए परिजनों ने जोरदार हंगामा किया।
बारिगोड़ा निवासी रामचंद्र दास की पत्नी इंदु देवी का 15 दिन पहले एक छोटा सा ऑपरेशन हुआ था। लेकिन, डॉक्टरों की लापरवाही के कारण ऑपरेशन के टांके सही से नहीं लगाए गए, जिससे उनके पेट में गंभीर संक्रमण (इन्फेक्शन) फैल गया।
अब मरीज की स्थिति बेहद नाजुक है, और परिवारवालों ने अस्पताल प्रशासन को सीधी चेतावनी दे दी है कि अगर कुछ भी अनहोनी होती है, तो पूरी जिम्मेदारी एमजीएम अस्पताल की होगी।
ऑपरेशन में लापरवाही, फिर संक्रमण ने बिगाड़ी हालत
इंदु देवी को एक साधारण सर्जरी के लिए एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। ऑपरेशन के बाद आमतौर पर मरीज को कुछ दिनों में डिस्चार्ज कर दिया जाता है, लेकिन इस बार डॉक्टरों की एक बड़ी गलती महंगी पड़ गई।
- टांके सही से बंद नहीं किए गए, जिससे पेट में इन्फेक्शन फैल गया।
- संक्रमण बढ़ने के कारण इंदु देवी की तबीयत बिगड़ती चली गई।
- जब परिजनों ने डॉक्टरों से सवाल किया, तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला।
परिवारवालों को जब इस लापरवाही की भनक लगी, तो उन्होंने एमजीएम प्रशासन को लिखित शिकायत दी। शिकायतकर्ता विमल बैठा के हस्तक्षेप के बाद, अस्पताल के अधीक्षक ने डॉक्टरों को तुरंत हाई-डोज एंटीबायोटिक देने का आदेश दिया।
लेकिन सवाल उठता है कि क्या सिर्फ एंटीबायोटिक देना इस गंभीर लापरवाही की भरपाई कर सकता है?
एमजीएम अस्पताल: लगातार विवादों में क्यों?
एमजीएम अस्पताल पहले भी लापरवाही और कुप्रबंधन को लेकर चर्चा में रहा है।
- 2023 में ऑक्सीजन की कमी से कई नवजातों की मौत हो गई थी।
- 2022 में एक मरीज को गलत दवा देने से गंभीर रिएक्शन हुआ था।
- आए दिन सफाई व्यवस्था, दवाओं की कमी और स्टाफ की मनमानी को लेकर विवाद होते रहते हैं।
एमजीएम अस्पताल को कोल्हान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल माना जाता है, लेकिन लगातार सामने आ रहे मेडिकल नेग्लिजेंस के मामलों ने इसकी छवि को धूमिल कर दिया है।
परिजनों का गुस्सा फूटा, अस्पताल प्रशासन पर सीधी चेतावनी
इंदु देवी की बिगड़ती हालत देखकर रामचंद्र दास बेहद आक्रोशित हैं। उन्होंने साफ कहा:
“अगर मेरी पत्नी को कुछ हुआ, तो इसकी पूरी जिम्मेदारी एमजीएम प्रशासन की होगी। डॉक्टरों की लापरवाही से मरीज मर रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही।”
परिजनों ने मांग की है कि:
- जिम्मेदार डॉक्टरों पर कड़ी कार्रवाई हो।
- अस्पताल प्रशासन मरीजों की सही देखभाल सुनिश्चित करे।
- भविष्य में इस तरह की लापरवाही न हो, इसके लिए अस्पताल में सख्त नियम लागू किए जाएं।
सरकारी अस्पतालों में कब सुधरेगी व्यवस्था?
झारखंड के सरकारी अस्पतालों की स्थिति किसी से छिपी नहीं है। बुनियादी सुविधाओं की कमी, डॉक्टरों की लापरवाही और प्रशासन की सुस्ती अक्सर मरीजों की जान पर भारी पड़ती है।
- एमजीएम जैसे बड़े अस्पताल में भी इलाज के नाम पर मनमानी होती रहती है।
- सरकार कई योजनाएं लाती है, लेकिन उन पर सही से अमल नहीं हो पाता।
- डॉक्टरों की जवाबदेही तय करने के लिए अब कड़े नियमों की जरूरत है।
अब आगे क्या?
एमजीएम अधीक्षक ने मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच के आदेश दिए हैं।
- डॉक्टरों को हाई-एंटीबायोटिक देने के निर्देश दिए गए हैं।
- परिजनों से बातचीत कर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
- अगर लापरवाही साबित होती है, तो दोषी डॉक्टरों पर कार्रवाई हो सकती है।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या सिर्फ जांच के आदेश देना काफी होगा? या फिर सरकारी अस्पतालों में चल रही इस लापरवाही पर कोई सख्त एक्शन लिया जाएगा?
अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले में एमजीएम प्रशासन कितनी गंभीरता दिखाता है, या यह भी एक और भूला-बिसरा मामला बनकर रह जाएगा।
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