India Uk Defence Deal : भारत और ब्रिटेन में 'रक्षा डील' पर मुहर! ₹350 मिलियन पाउंड के मिसाइल सौदे से भारत की वायु रक्षा क्षमता बढ़ेगी, समझौतों का बड़ा पिटारा खुला
भारत और ब्रिटेन ने ₹350 मिलियन पाउंड ($468 मिलियन) के रक्षा सौदे पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत भारतीय सेना को ब्रिटेन निर्मित मिसाइलें मिलेंगी। यह समझौता आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देगा और कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे AI, शिक्षा और जलवायु पर भी सहमति बनी।
भारत और ब्रिटेन के बीच रणनीतिक संबंधों को नई ऊंचाई देते हुए गुरुवार को एक ऐतिहासिक समझौते पर मुहर लग गई। यह समझौता सिर्फ रक्षा तकनीक तक सीमित नहीं है, बल्कि शिक्षा, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और जलवायु तकनीक जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों को भी कवर करता है। लेकिन सबसे बड़ी खबर है ब्रिटेन निर्मित मिसाइलों की सप्लाई को लेकर हुआ ₹350 मिलियन पाउंड (लगभग ₹3600 करोड़) का मेगा डील।
भारत और ब्रिटेन के बीच रक्षा संबंधों का इतिहास सदियों पुराना है, लेकिन हाल के वर्षों में यह साझेदारी खरीददार और विक्रेता से आगे बढ़कर सहयोग और संयुक्त उत्पादन की ओर बढ़ी है। यह मिसाइल सौंदा 'आत्मनिर्भर भारत' के विजन को मजबूत करेगा और भारतीय सेना की वायु रक्षा क्षमता को अप्रत्याशित बढ़त देगा।
रक्षा डील: ताकत और रोज़गार की दोहरी जीत
संयुक्त बयान के अनुसार, ब्रिटेन निर्मित मिसाइलों की आपूर्ति से जुड़ा यह समझौता भारत की वर्तमान और भविष्य की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार किया गया है।
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वायु रक्षा मजबूत: यह सौदा भारत की वायु रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगा। केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह समझौता 'आत्मनिर्भर भारत' की भावना के अनुरूप है, जिसका अर्थ है कि यह दीर्घकालिक सहयोग जटिल हथियारों के संयुक्त विकास और उत्पादन पर भी आधारित होगा।
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ब्रिटेन में फायदा: ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इस सौदे से उत्तरी आयरलैंड में सीधे 700 से अधिक नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है। यह समझौता दिखाता है कि रक्षा डील न सिर्फ सुरक्षा बढ़ाती है, बल्कि यूनाइटेड किंगडम में आर्थिक विकास को भी प्रेरित करती है।
नवाचार, शिक्षा और व्यापार का नया अध्याय
मिसाइल समझौते के अलावा, दोनों देशों ने भविष्य के कई क्षेत्रों में सहयोग के लिए सहमति बनाई है, जो दोनों देशों की रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाएगी।
प्रौद्योगिकी और नवाचार में बड़ी पहलें
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AI पर संयुक्त केंद्र: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के लिए भारत-यूके संयुक्त केंद्र की स्थापना होगी।
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IIT-ISM धनबाद में कैंपस: यूके-भारत महत्वपूर्ण खनिज आपूर्ति श्रृंखला पर काम के लिए आईआईटी-आईएसएम धनबाद में एक नए उपग्रह परिसर (Satellite Campus) की स्थापना की जाएगी। इसके अलावा, लचीली सप्लाई चेन सुरक्षित करने के लिए क्रिटिकल मिनरल्स इंडस्ट्री गिल्ड की स्थापना भी की गई है।
शिक्षा में नए द्वार
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ब्रिटिश विश्वविद्यालयों के परिसर: बेंगलुरु में लैंकेस्टर विश्वविद्यालय और गिफ्ट सिटी में सरे विश्वविद्यालय का परिसर खोलने के लिए आशय पत्र सौंपे गए हैं और सैद्धांतिक मंजूरी मिली है। यह भारतीय छात्रों को देश में ही विश्वस्तरीय शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
व्यापार और निवेश में सुधार
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सीईओ फोरम का पुनर्गठन: पुनर्गठित भारत-यूके सीईओ फोरम की उद्घाटन बैठक हुई और संयुक्त आर्थिक व्यापार समिति (JETCO) का पुनर्गठन किया गया है। यह दोनों देशों के बीच आर्थिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देगा।
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जलवायु स्टार्टअप फंड: जलवायु प्रौद्योगिकी और AI जैसे क्षेत्रों में नवोन्मेषी उद्यमियों को समर्थन देने के लिए यूके सरकार और भारतीय स्टेट बैंक के बीच समझौते के तहत एक नया संयुक्त निवेश शुरू किया गया है।
ये समझौते भारत और ब्रिटेन के बीच एक नए रणनीतिक युग की शुरुआत करते हैं, जो सिर्फ रक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि भविष्य के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों को कवर करता है।
आपकी राय में, ब्रिटेन के शीर्ष विश्वविद्यालयों के परिसर भारत में खुलने से भारतीय उच्च शिक्षा के स्तर और भारतीय छात्रों के वैश्विक अवसरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
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