Uttarakhand Law Update: विवाह और लिव-इन को लेकर बड़े बदलाव, अब होगी कड़ी सज़ा और सख्त नियम
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक पेश किया गया है। इसमें विवाह और लिव-इन से जुड़े कई बड़े बदलाव किए गए हैं। झूठी पहचान, नाबालिग संबंध, धोखे से शादी और जबरन लिव-इन पर अब सख्त सज़ा और जुर्माना लगेगा।

उत्तराखंड में कानून के मोर्चे पर एक बड़ा बदलाव सामने आया है। समान नागरिक संहिता संशोधन विधेयक मंगलवार को सदन में प्रस्तुत किया गया, जिसमें विवाह और लिव-इन संबंधों को लेकर कई सख्त प्रावधान जोड़े गए हैं। इस विधेयक के बाद अब राज्य में शादी और लिव-इन रिलेशनशिप दोनों पर नए नियम लागू होंगे।
झूठी पहचान पर विवाह निरस्त
विधेयक के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति विवाह के दौरान अपनी पहचान गलत बताता है, तो उस विवाह को तुरंत निरस्त करने योग्य माना जाएगा। यानी अब धोखे से की गई शादी का कोई कानूनी आधार नहीं बचेगा।
लिव-इन समाप्त करने पर मिलेगा प्रमाण पत्र
पहली बार ऐसा प्रावधान लाया गया है कि अगर कोई व्यक्ति लिव-इन रिलेशनशिप खत्म करना चाहता है, तो उसे इसके लिए भी एक ऑफिशियल प्रमाण पत्र मिलेगा। इससे दोनों पक्षों के बीच कानूनी विवादों में पारदर्शिता आएगी।
बल, धोखे और जबरदस्ती पर सख्त सज़ा
अगर किसी विवाह या लिव-इन संबंध में बल, धोखे या जबरदस्ती पाई जाती है, तो दोषी को सात साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान रखा गया है। वहीं नाबालिग के साथ लिव-इन पर रहने वाले व्यक्ति को छह महीने की कैद और 50 हजार रुपये तक जुर्माने का सामना करना पड़ेगा।
भू-राजस्व की तरह होगी जुर्माने की वसूली
नियमों के उल्लंघन पर लगाया गया जुर्माना अब उसी तरह वसूला जाएगा जैसे भू-राजस्व की बकाया वसूली होती है। इससे कानून के तहत किसी को भी जुर्माना चुकाने से बचने का रास्ता नहीं मिलेगा।
विवाह पंजीकरण की नई व्यवस्था
संशोधन विधेयक में स्पष्ट किया गया है कि समान नागरिक संहिता के लागू होने के बाद नवविवाहित जोड़े एक वर्ष तक विवाह पंजीकरण करा सकेंगे। यह समयावधि पहले कम थी, लेकिन अब इसमें लचीलापन दिया गया है।
तलाक के नए आधार जोड़े गए
विधेयक में तलाक को लेकर भी अहम संशोधन किए गए हैं। अब पति द्वारा विवाह के बाद बलात्कार, पशु विकृति या मृतक यौनाचार जैसे कृत्य तलाक का आधार माने जाएंगे। यह बदलाव महिला सुरक्षा और गरिमा की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है।
नाबालिग विवाह पर सख्ती
नाबालिग से विवाह करना अब भी बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत दंडनीय माना गया है। वहीं, पति-पत्नी के जीवित रहते दूसरा विवाह करने पर भी भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत कड़ी कार्रवाई होगी।
झूठे दस्तावेज़ पर कड़ी कार्रवाई
यदि कोई व्यक्ति विवाह या लिव-इन पंजीकरण के दौरान झूठे या जाली दस्तावेज़ प्रस्तुत करता है, तो उसे भारतीय न्याय संहिता के अनुसार दंड मिलेगा। इससे नकली कागजों के जरिए पंजीकरण कराने वालों पर लगाम लगेगी।
रजिस्ट्रार जनरल की नई शक्तियाँ
पहले केवल सचिव स्तर के अधिकारी को ही रजिस्ट्रार जनरल बनाया जा सकता था, लेकिन अब अपर सचिव स्तर का अधिकारी भी यह पद संभाल सकेगा। इसके अलावा विवाह, लिव-इन और उत्तराधिकार का पंजीकरण रद्द करने की शक्ति भी रजिस्ट्रार जनरल को दी गई है।
क्यों है यह बदलाव अहम?
उत्तराखंड देश का पहला राज्य है जिसने समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू किया था। अब इसमें किए गए ये संशोधन समाज में बदलते हालात और विवादों को ध्यान में रखकर किए गए हैं। झूठी पहचान, जबरदस्ती और नाबालिग संबंध जैसी समस्याओं से निपटने के लिए कानून को और अधिक प्रभावी बनाया गया है।
इस विधेयक का सीधा असर युवाओं, महिलाओं और समाज के कमजोर वर्गों पर पड़ेगा। अब विवाह और लिव-इन दोनों ही संबंधों में पारदर्शिता और जवाबदेही तय होगी।
कुल मिलाकर यह संशोधन “विवाह और लिव-इन के लिए सख्ती + सुरक्षा” का मेल है, जिससे राज्य में वैवाहिक और व्यक्तिगत संबंधों में न्याय और संतुलन सुनिश्चित हो सकेगा।
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