Galudih Trees: हाईवे पर पेड़ों की छंटाई से बढ़ी सुरक्षा, वाहन चालकों को राहत
नेशनल हाइवे 18 पर गालूडीह के पास पेड़ों की लंबाई अधिक होने से हादसों का खतरा बना था। एनएचएआई ने छंटाई शुरू कर वाहन चालकों की परेशानी दूर की।
गालूडीह, 22 नवंबर: नेशनल हाइवे 18 (NH18) पर पेड़ों की बेतरतीब बढ़त और लंबी शाखाओं से होने वाली दिक्कतों को देखते हुए नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) ने शुक्रवार से छंटाई अभियान शुरू कर दिया। इस अभियान के तहत गालूडीह के बेड़ाहातु क्षेत्र में सड़क किनारे लगे पेड़ों को व्यवस्थित किया गया।
क्यों जरूरी हुई पेड़ों की छंटाई?
हाइवे किनारे हरियाली बनाए रखने के उद्देश्य से लगाए गए पेड़-पौधों की देखरेख कई सालों से नहीं की गई थी। इससे उनकी लंबाई इतनी बढ़ गई थी कि शाखाएं सड़क तक लटकने लगीं, जो वाहन चालकों के लिए गंभीर समस्या बन गई थी।
- हादसों का बढ़ा खतरा: सड़क पर फैली शाखाएं वाहन चालकों की दृष्टि बाधित कर रही थीं।
- वाहनों को नुकसान: बड़े वाहन, खासकर ट्रक और बसें, इन शाखाओं से टकरा जाती थीं।
- रास्ता संकरा: शाखाओं के फैलाव से सड़क पर जगह कम हो गई थी।
एनएचएआई की पहल
एनएचएआई ने समस्या को गंभीरता से लेते हुए छंटाई अभियान शुरू किया।
- प्राथमिकता पर स्थान: सबसे पहले उन क्षेत्रों में काम किया जा रहा है, जहां पेड़ों की शाखाओं के कारण दुर्घटनाओं की आशंका अधिक है।
- सड़क सुरक्षा बढ़ाने का उद्देश्य: अभियान का मकसद सड़क किनारे हरियाली को संरक्षित करते हुए यात्रा को सुरक्षित बनाना है।
वाहन चालकों को राहत
छंटाई के बाद इस मार्ग पर सफर करने वाले वाहन चालकों को बड़ी राहत मिली है।
- बेहतर दृश्यता: अब सड़क साफ-सुथरी और चौड़ी दिखाई दे रही है।
- दुर्घटना का डर कम: शाखाओं के हटने से हादसों की संभावना में कमी आई है।
- यात्रा सुगम: पेड़ों की व्यवस्थित छंटाई के बाद ट्रैफिक पहले से अधिक सुचारू हो गया है।
हाइवे की हरियाली का इतिहास
भारत में नेशनल हाइवे के किनारे हरियाली बढ़ाने का अभियान 1970 के दशक में शुरू हुआ था। इसका उद्देश्य न केवल पर्यावरण को संरक्षित करना था, बल्कि यात्रियों के लिए गर्मी में छाया और सौंदर्य प्रदान करना भी था।
- झारखंड के हरे-भरे हाइवे: झारखंड में NH18 जैसे मार्गों पर हरियाली का योगदान राज्य की प्राकृतिक सुंदरता को और बढ़ाता है।
- चुनौतियां: हालांकि, पेड़ों की देखरेख न होने से अक्सर समस्याएं खड़ी हो जाती हैं।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
गालूडीह और आसपास के क्षेत्रों के लोगों ने एनएचएआई की इस पहल की सराहना की है।
- निवासी सुमन कुमार का कहना है, "पेड़ों की छंटाई समय पर होनी चाहिए। इससे न केवल सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि सड़क पर सफाई भी बनी रहेगी।"
- ट्रक चालक राजेश महतो ने कहा, "शाखाओं के कारण वाहन चलाना मुश्किल हो जाता था। अब रास्ता पहले से ज्यादा साफ और सुरक्षित हो गया है।"
आगे की योजना
एनएचएआई ने घोषणा की है कि यह अभियान अन्य प्रभावित क्षेत्रों में भी चलाया जाएगा। हर साल सड़क किनारे पौधों की नियमित छंटाई की जाएगी ताकि इस तरह की समस्याएं दोबारा न हों।
पर्यावरणीय संतुलन का ध्यान
पेड़ों की छंटाई के दौरान पर्यावरण संतुलन बनाए रखने का भी ध्यान रखा जा रहा है।
- छंटाई की गई शाखाओं को पुनः उपयोग में लाने की योजना बनाई गई है।
- जिन पौधों को हटाया गया है, उनकी जगह नए पौधे लगाने का लक्ष्य है।
झारखंड के लिए यह क्यों महत्वपूर्ण है?
झारखंड, जो अपनी हरियाली और खनिज संपदा के लिए जाना जाता है, में इको-फ्रेंडली इंफ्रास्ट्रक्चर का महत्व और अधिक है।
- पर्यटन पर असर: गालूडीह जैसे हरे-भरे क्षेत्रों की सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।
- पर्यावरण संरक्षण: हरियाली को बनाए रखना झारखंड के स्थायी विकास की दिशा में अहम कदम है।
आपको क्या लगता है, हाइवे की हरियाली और सड़क सुरक्षा के बीच संतुलन कैसे बनाया जा सकता है? अपनी राय कमेंट में साझा करें।
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