Delhi Speech: फेक न्यूज़ पर अश्विनी वैष्णव का बड़ा बयान, डिजिटल मीडिया से की जवाबदेही की मांग

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने फेक न्यूज़ के खतरे पर चिंता जताई और डिजिटल मीडिया को जिम्मेदार बनाने की वकालत की। उन्होंने एल्गोरिदम के पूर्वाग्रह और AI की चुनौतियों पर भी चर्चा की।

Nov 17, 2024 - 14:45
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Delhi Speech: फेक न्यूज़ पर अश्विनी वैष्णव का बड़ा बयान, डिजिटल मीडिया से की जवाबदेही की मांग
Delhi Speech: फेक न्यूज़ पर अश्विनी वैष्णव का बड़ा बयान, डिजिटल मीडिया से की जवाबदेही की मांग

दिल्ली,17 नवम्बर, 2024: राष्ट्रीय प्रेस दिवस 2024 के अवसर पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डिजिटल मीडिया की बढ़ती चुनौतियों और उसकी जवाबदेही पर ज़ोर दिया। नई दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने फेक न्यूज़ के प्रसार, एल्गोरिदम के पूर्वाग्रह और AI से जुड़ी समस्याओं पर बात की। उनका संबोधन एक स्पष्ट संदेश था कि डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को अब अपने सामाजिक प्रभावों को पहचानते हुए अधिक जिम्मेदार बनना होगा।

फेक न्यूज़ का खतरा: लोकतंत्र पर मंडराते काले बादल

श्री वैष्णव ने अपने भाषण में फेक न्यूज़ को लोकतंत्र के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया। उन्होंने कहा कि फर्जी खबरें न केवल जनता का मीडिया पर से विश्वास कम करती हैं, बल्कि यह समाज में वैमनस्य भी पैदा करती हैं।

उन्होंने फेक न्यूज़ से निपटने के लिए 1990 के दशक में विकसित सेफ हार्बर प्रावधान की समीक्षा की आवश्यकता पर बल दिया। सेफ हार्बर प्रावधान के तहत, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स उपयोगकर्ता-जनित सामग्री के लिए जवाबदेही से बच जाते हैं। लेकिन अब, जब डिजिटल मीडिया का प्रभाव हर घर तक पहुंच गया है, यह कानून अप्रासंगिक हो गया है।

श्री वैष्णव ने सवाल उठाया:
"क्या भारत जैसे विविध और जटिल देश में इन प्लेटफॉर्म्स को अलग जिम्मेदारियां नहीं लेनी चाहिए? गलत सूचना और हिंसा के प्रसार को रोकने के लिए हमें एक नए ढांचे की जरूरत है।"

एल्गोरिदम पूर्वाग्रह: डिजिटल प्लेटफॉर्म की बड़ी समस्या

डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में इस्तेमाल किए जाने वाले एल्गोरिदम अक्सर ऐसी सामग्री को प्राथमिकता देते हैं, जो दर्शकों को भावनात्मक रूप से उकसाए। सनसनीखेज और विभाजनकारी सामग्री का बढ़ावा इन एल्गोरिदम का मुख्य उद्देश्य बन जाता है, जिससे समाज में गहरा प्रभाव पड़ता है।

श्री वैष्णव ने इस पूर्वाग्रह को भारत जैसे विविध देश के लिए बेहद खतरनाक बताया। उन्होंने डिजिटल मीडिया कंपनियों से आग्रह किया कि वे ऐसी तकनीकों का विकास करें, जो समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालें।

पारंपरिक मीडिया और उचित मुआवजे की मांग

डिजिटल मीडिया की वृद्धि के कारण पारंपरिक मीडिया को भारी नुकसान हुआ है। अखबार और टीवी चैनल जैसे पारंपरिक मीडिया बड़े स्तर पर खबरों के लिए निवेश करते हैं, लेकिन डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कंटेंट के अनैतिक उपयोग से उन्हें नुकसान होता है।

श्री वैष्णव ने इस असमानता को समाप्त करने के लिए उचित मुआवजे की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा,
"जो मेहनत पारंपरिक मीडिया द्वारा की जाती है, उसका उचित मुआवजा उन्हें मिलना चाहिए।"

AI की चुनौतियां: बौद्धिक संपदा अधिकार पर असर

केंद्रीय मंत्री ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के उभरते प्रभाव पर गहरी चिंता जताई। AI मॉडल्स को बड़े पैमाने पर डेटा से प्रशिक्षित किया जाता है, लेकिन उस डेटा में योगदान देने वाले रचनाकारों के अधिकार और मुआवजा अक्सर अनदेखा रह जाता है।

श्री वैष्णव ने कहा:
"यह केवल आर्थिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक नैतिक मुद्दा भी है। AI सिस्टम को प्रशिक्षित करने में इस्तेमाल किए गए मूल डेटा के लिए रचनाकारों को उचित मान्यता और मुआवजा मिलना चाहिए।"

प्रेस की भूमिका और नई चुनौतियां

राष्ट्रीय प्रेस दिवस पर श्री वैष्णव ने मीडिया की भूमिका को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ बताते हुए कहा कि प्रेस को हमेशा सच्चाई और निष्पक्षता के साथ खड़ा होना चाहिए।

भारतीय प्रेस परिषद की चेयरपर्सन न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने भी डिजिटल युग में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि तकनीक ने खबरों को तेजी से पहुंचाने में मदद की है, लेकिन इसके साथ ही फेक न्यूज़ और अनैतिक पत्रकारिता की चुनौतियां भी बढ़ी हैं।

नैतिक पत्रकारिता का आह्वान

राष्ट्रीय प्रेस दिवस का यह संदेश स्पष्ट है कि डिजिटल मीडिया को अब पारंपरिक मीडिया की तरह जवाबदेही अपनानी होगी।
फेक न्यूज़, एल्गोरिदम पूर्वाग्रह और AI की चुनौतियों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है। प्रेस और जनता को मिलकर यह सुनिश्चित करना होगा कि डिजिटल युग में भी सच्चाई और नैतिकता पत्रकारिता का मूल आधार बने रहें।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।