ईशा फाउंडेशन को सुप्रीम कोर्ट से मिली बड़ी राहत, पुलिस जांच पर लगी रोक
ईशा फाउंडेशन के खिलाफ पुलिस जांच पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 18 अक्तूबर को होगी। जानिए पूरी जानकारी।
नई दिल्ली: 3 अक्टूबर 2024 को, सद्गुरु जग्गी वासुदेव की अगुवाई वाला मशहूर ईशा फाउंडेशन विवादों में घिरा हुआ है। आज सुप्रीम कोर्ट ने फाउंडेशन को एक बड़ी राहत देते हुए, पुलिस जांच के आदेश पर रोक लगा दी है। अब मामले की अगली सुनवाई 18 अक्तूबर को होगी।
यह मामला तब शुरू हुआ जब रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई। याचिका में आरोप लगाया गया कि ईशा फाउंडेशन के आश्रम में उनकी बेटियों लता और गीता को बंधक बनाया गया है। प्रोफेसर कामराज का कहना है कि उनकी बेटियों को आश्रम से बाहर जाने नहीं दिया जा रहा था।
मद्रास हाईकोर्ट ने 30 सितंबर को आदेश दिया कि तमिलनाडु पुलिस ईशा फाउंडेशन से जुड़े सभी आपराधिक मामलों की जांच करे और अपनी रिपोर्ट पेश करे। इस आदेश के बाद, 1 अक्टूबर को करीब 150 पुलिसकर्मी आश्रम में जांच करने पहुंचे थे।
सद्गुरु जग्गी वासुदेव ने हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। आज सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का फैसला सुनाया। अदालत ने कहा कि वह इस मामले को मद्रास हाईकोर्ट से अपने पास ट्रांसफर कर रही है। इसके साथ ही, तमिलनाडु पुलिस को हाईकोर्ट द्वारा मांगी गई स्टेटस रिपोर्ट शीर्ष अदालत में जमा करने का आदेश दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस को यह भी निर्देश दिया कि हाईकोर्ट के आदेशों के पालन में आगे कोई कार्रवाई न की जाए। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया, "आप सेना या पुलिस को ऐसी जगह दाखिल होने की इजाजत नहीं दे सकते।"
इस फैसले से ईशा फाउंडेशन को काफी राहत मिली है। अब देखना यह है कि 18 अक्तूबर को होने वाली अगली सुनवाई में क्या निर्णय लिया जाता है। यह मामला अब लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है। फाउंडेशन और सद्गुरु जग्गी वासुदेव के समर्थक इस मामले को ध्यान से देख रहे हैं।
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