Tatanagar Railway : औचक निरीक्षण से टाटानगर में खलबली, डीआरएम ने टटोली व्यवस्थाओं की नब्ज

क्या औचक निरीक्षण के दौरान रेल कर्मचारियों के पसीने छूट गए? जानिए डीआरएम तरुण हुरिया के अचानक दौरे की पूरी कहानी।"

Jan 8, 2025 - 11:52
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Tatanagar Railway : औचक निरीक्षण से टाटानगर में खलबली, डीआरएम ने टटोली व्यवस्थाओं की नब्ज
Tatanagar Railway : औचक निरीक्षण से टाटानगर में खलबली, डीआरएम ने टटोली व्यवस्थाओं की नब्ज

"जब सिंह खुद शिकार पर निकलता है, तो जंगल में खामोशी नहीं रहती।" मंगलवार देर रात टाटानगर रेलवे स्टेशन पर ऐसा ही दृश्य देखने को मिला, जब चक्रधरपुर के डीआरएम तरुण हुरिया अचानक मालगाड़ी के इंजन में बैठकर स्टेशन पर पहुंचे। उनके इस औचक निरीक्षण ने स्टेशन के कर्मचारियों और अधिकारियों के बीच खलबली मचा दी।

डीआरएम के बिना किसी सूचना दिए रात में पहुंचने से ऐसा लगा जैसे वे व्यवस्थाओं की नब्ज टटोलने के लिए ही आए हों। यह दौरा न केवल उनकी सतर्कता का परिचय था, बल्कि यह भी दर्शाता है कि रेलवे जैसी महत्वपूर्ण सेवा में समय की पाबंदी और जिम्मेदारी कितनी आवश्यक है।

औचक निरीक्षण: जिम्मेदारी का एहसास

डीआरएम तरुण हुरिया स्टेशन पहुंचते ही सबसे पहले स्टेशन परिसर का जायजा लिया। इसके बाद वे आरआरआई (रूट रिले इंटरलॉकिंग) विभाग पहुंचे, जहां उन्होंने कर्मचारियों के रात के कामकाज को बारीकी से देखा। उनके निरीक्षण का अगला पड़ाव कोचिंग डिपो था, जहां उन्होंने रखरखाव और संचालन से संबंधित कार्यों का निरीक्षण किया।

इसके बाद डीआरएम क्रू लॉबी गए, जहां लोको पायलट और अन्य कर्मचारियों की कार्यशैली की गहन समीक्षा की। इस दौरान डीआरएम ने न केवल कर्मचारियों से सवाल-जवाब किए, बल्कि उनके काम की बारीकियों को भी समझा। इस औचक दौरे का असर यह हुआ कि जो अधिकारी और कर्मचारी ड्यूटी समाप्त होने के बाद घर जा चुके थे, वे भी वापस स्टेशन लौट आए।

हड़कंप और संदेश

यह दौरा केवल निरीक्षण तक सीमित नहीं था। यह एक स्पष्ट संदेश था कि रेलवे जैसी सेवा में लापरवाही की कोई जगह नहीं है। अधिकारियों और कर्मचारियों ने डीआरएम के सामने अपनी जिम्मेदारियों का बखूबी प्रदर्शन किया, लेकिन यह भी स्पष्ट हो गया कि "लोहा गरम है, और चोट सही जगह करनी होगी।"

स्टेशन डायरेक्टर सुनील कुमार, चीफ कमर्शियल इंस्पेक्टर एस.के. सिंह, और ऑपरेटिंग इंचार्ज जैसे वरिष्ठ अधिकारी डीआरएम के साथ मौजूद थे। उनके इस दौरे का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि रात की पाली में भी काम सुचारू और अनुशासनपूर्वक हो।

रेल सेवा और सतर्कता

"जागते रहो, काम करते रहो" – डीआरएम का यह दौरा कर्मचारियों को उनकी जिम्मेदारियों का एहसास कराने के लिए था। रेलवे जैसी सेवा में हर पल सतर्कता जरूरी है, क्योंकि थोड़ी-सी भी चूक यात्रियों की सुरक्षा पर भारी पड़ सकती है।

डीआरएम ने यह भी देखा कि कर्मचारियों की कार्यप्रणाली में कहां सुधार की आवश्यकता है। रेलवे कर्मचारियों के लिए यह दौरा एक सबक था कि ड्यूटी में किसी भी प्रकार की ढील नहीं दी जा सकती।

"काम का समय, आराम का नहीं।" डीआरएम तरुण हुरिया का यह औचक निरीक्षण रेलवे में जिम्मेदारी और अनुशासन का संदेश देने वाला साबित हुआ। उन्होंने न केवल कर्मचारियों को सतर्कता का सबक दिया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि रेलवे की सेवा में हर कर्मचारी अपनी भूमिका को गंभीरता से निभाए।

रेलवे सेवा में इस तरह के औचक निरीक्षण समय-समय पर होने चाहिए ताकि व्यवस्था सही बनी रहे और कर्मचारी अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा से निभाएं।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।