Cyber Fraud: नकली Voice और AI से ठगी, जानिए कैसे IPS अफसर के नाम पर उड़ाए दो लाख रुपये
झारखंड में साइबर ठगों ने AI की मदद से IPS अफसर की नकली आवाज बनाकर उनके करीबी को ठग लिया। जानें इस नई साइबर ठगी से कैसे बचें।
रांची, 26 दिसंबर: सावधान! साइबर अपराधी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की मदद से ठगी के नए-नए तरीके अपना रहे हैं। ताजा मामला झारखंड का है, जहां डीजी रैंक के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी की हू-ब-हू नकली आवाज बनाकर ठगों ने उनके करीबी से दो लाख रुपये उड़ा लिए।
यह साइबर अपराध तकनीक के खतरनाक इस्तेमाल की ओर इशारा करता है। डीजी ने खुद इस घटना की जानकारी पुलिस के आधिकारिक ग्रुप में साझा की। उन्होंने बताया कि ठग ने उनकी नकली आवाज निकालकर उनके परिचित से इलाज के बहाने पैसे मांगे और उन्हें चकमा देकर रकम अपने खाते में ट्रांसफर करा ली।
कैसे रची गई यह ठगी की साजिश?
ठगों ने डीजी की आवाज का सटीक नकल करने के लिए AI तकनीक का इस्तेमाल किया। उन्होंने डीजी के करीबी को अज्ञात नंबर से फोन किया और दावा किया कि डीजी दिल्ली के एम्स में इलाज करा रहे हैं।
फोन करने वाले की आवाज डीजी से इतनी मिलती-जुलती थी कि उनके करीबी को कोई शक नहीं हुआ। उन्होंने तुरंत दो लाख रुपये बताए गए खाते में ट्रांसफर कर दिए। लेकिन जब परिचित ने बाद में डीजी के स्वास्थ्य की जानकारी के लिए संपर्क किया, तो उन्हें ठगी का पता चला।
AI और साइबर ठगी का खतरनाक गठजोड़
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने जहां तकनीक को उन्नत बनाया है, वहीं इसका गलत इस्तेमाल भी बढ़ा है। साइबर अपराधी अब वॉयस क्लोनिंग जैसे उन्नत तरीकों का सहारा ले रहे हैं। इससे ठगी के मामले पहले से ज्यादा जटिल और विश्वासपात्र लगने वाले हो गए हैं।
इतिहास: साइबर ठगी के बदलते तरीके
पिछले कुछ वर्षों में, साइबर ठगों ने तकनीक का इस्तेमाल कर ठगी के कई नए तरीके अपनाए हैं। वॉयस क्लोनिंग के अलावा, फेक ईमेल, फेक ऐप और सोशल मीडिया फ्रॉड भी तेजी से बढ़े हैं। भारत में, झारखंड और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य साइबर अपराध के लिए खासे संवेदनशील माने जाते हैं।
कैसे बचें इस साइबर ठगी से?
नोएडा की डीसीपी साइबर क्राइम प्रीति यादव ने बताया कि AI के जरिए वॉयस क्लोनिंग जैसे फ्रॉड से बचने के लिए सतर्कता बेहद जरूरी है।
- गौर से सुनें आवाज में अंतर: मशीन द्वारा बनाई गई आवाज में हल्का फर्क होता है। इसे पहचानने की कोशिश करें।
- क्रॉस-वैरीफाई करें: अगर कोई अनजान नंबर से पैसे मांग रहा है, तो पहले पहचान वाले व्यक्ति से उनके असली नंबर पर संपर्क करें।
- तुरंत भरोसा न करें: पैसे मांगने वाली कॉल पर तुरंत यकीन न करें और उसकी पुष्टि करें।
- अज्ञात नंबरों से सावधान रहें: किसी भी संदिग्ध कॉल या मैसेज का जवाब देने से बचें।
- ऑडियो फ्रॉड से सतर्क रहें: ऑडियो में किसी भी असमानता को पहचानने की कोशिश करें।
पुलिस की अपील
झारखंड पुलिस ने जनता से अपील की है कि अगर किसी को भी ऐसी संदिग्ध कॉल आती है, तो तुरंत पुलिस से संपर्क करें। उन्होंने साइबर क्राइम की घटनाओं की रिपोर्ट करने के लिए हेल्पलाइन नंबर जारी करने का आश्वासन दिया है।
यह घटना तकनीक के गलत इस्तेमाल के बढ़ते खतरों को दर्शाती है। साइबर अपराधी AI जैसी तकनीकों का इस्तेमाल कर लोगों को चकमा दे रहे हैं। इसलिए, किसी भी संदिग्ध कॉल पर सावधान रहें और तुरंत पुलिस को सूचित करें।
क्या आपने कभी इस तरह के साइबर फ्रॉड का सामना किया है? अपने अनुभव हमारे साथ साझा करें और सुरक्षित रहने के लिए इन सुझावों को दूसरों के साथ शेयर करें।
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