Chaibasa Crime: जंगल में अफीम की खेती, पुलिस ने मारा छापा, नाबालिग समेत 3 गिरफ्तार!

झारखंड के टेबो के सोंगरा जंगल में पुलिस ने अफीम की खेती पर छापा मारा। नाबालिग समेत तीन गिरफ्तार, 200 ग्राम अफीम बरामद। जानिए पूरा मामला।

Feb 21, 2025 - 15:35
 0
Chaibasa Crime: जंगल में अफीम की खेती, पुलिस ने मारा छापा, नाबालिग समेत 3 गिरफ्तार!
Chaibasa Crime: जंगल में अफीम की खेती, पुलिस ने मारा छापा, नाबालिग समेत 3 गिरफ्तार!

चाईबासा: झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले के टेबो थाना क्षेत्र के सोंगरा जंगल में पुलिस ने एक बड़े अफीम के खेत पर छापा मारा। इस कार्रवाई में एक नाबालिग सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया, जो अफीम की खेती में चीरा लगाते हुए पकड़े गए थे। पुलिस ने मौके से 200 ग्राम अफीम और खेती में इस्तेमाल किए जाने वाले औजार भी जब्त किए। इस मामले में गिरफ्तार आरोपियों को शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया

अफीम की खेती का गढ़ बना झारखंड?

झारखंड के कई इलाकों में अवैध अफीम की खेती तेजी से बढ़ रही है। पश्चिम सिंहभूम, खूंटी, सिमडेगा और गुमला जिले अवैध ड्रग तस्करों के निशाने पर हैं। यह इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है, जहां पुलिस और प्रशासन की नजरों से बचकर ड्रग माफिया अफीम की खेती कर रहे हैं

कैसे हुआ पुलिस को ऑपरेशन का सुराग?

पश्चिम सिंहभूम पुलिस ने अवैध अफीम की खेती के खिलाफ विशेष अभियान छेड़ रखा है

  • 19 फरवरी को टेबो के सोंगरा गांव में पुलिस को सूचना मिली कि जंगल के अंदर अफीम की खेती हो रही है
  • जब टीम वहां पहुंची तो चार लोग अफीम की फसल में चीरा लगाते हुए मिले
  • पुलिस ने दो आरोपियों को मौके पर ही धर दबोचा, जबकि दो आरोपी जंगल का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे
  • भागे हुए आरोपियों में एक खूंटी जिले का मुरहू और एक नाबालिग था।
  • बाद में मुरहू को 20 फरवरी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया, जबकि नाबालिग को बाल सुधार गृह भेजा गया

गिरफ्तार हुए आरोपी कौन हैं?

गिरफ्तार किए गए तीनों आरोपियों की पहचान सुनिल ओड़ेया (19) (खूंटी निवासी), सुखराम कैता उर्फ सनिका कैता उर्फ सनिका कायता (24) (टेबो निवासी) और एक नाबालिग के रूप में हुई

इनमें से सुखराम कैता को बाद में गिरफ्तार कर शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पुलिस को शक है कि यह गिरोह बड़े ड्रग माफियाओं से जुड़ा हुआ है

अफीम की खेती का पूरा नेटवर्क, कैसे होता है कारोबार?

झारखंड में अवैध अफीम की खेती पिछले कुछ वर्षों में बढ़ी है

  • अवैध खेती का बड़ा हिस्सा ड्रग माफियाओं को सप्लाई किया जाता है
  • यहां पैदा हुई अफीम को बिहार, बंगाल और उत्तर प्रदेश के ड्रग सिंडिकेट तक भेजा जाता है
  • कुछ हिस्सा अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक भी पहुंचता है
  • यह अवैध कारोबार लाखों-करोड़ों की कमाई का जरिया बन चुका है

क्यों चुनते हैं अपराधी जंगलों को?

झारखंड के घने जंगल और दुर्गम इलाकों में पुलिस की पहुंच सीमित रहती है

  • जंगल में खेती करना आसान होता है क्योंकि ड्रोन या सैटेलाइट से इसे पकड़ पाना मुश्किल होता है
  • गांवों के बेरोजगार युवाओं को लालच देकर इस अवैध धंधे में शामिल किया जाता है
  • नक्सली भी इस कारोबार से जुड़े रहते हैं और ड्रग माफियाओं से पैसा लेकर सुरक्षा प्रदान करते हैं

क्या कर रही है सरकार और पुलिस?

झारखंड पुलिस ने पिछले कुछ महीनों में कई बड़े ऑपरेशन चलाए हैं

  • सैकड़ों एकड़ में फैली अवैध अफीम की खेती को नष्ट किया गया
  • पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है, लेकिन ड्रग माफिया हर बार नई जगहों पर खेती शुरू कर देते हैं
  • स्थानीय लोगों को भी डर और लालच के कारण इस धंधे में धकेला जाता है

आगे क्या होगा?

इस छापेमारी के बाद पुलिस अब इस नेटवर्क से जुड़े अन्य अपराधियों की तलाश कर रही है

  • इस मामले में बड़े ड्रग माफियाओं की भूमिका की जांच की जा रही है
  • सरकार को चाहिए कि स्थानीय लोगों को वैकल्पिक रोजगार देकर इस अवैध धंधे से दूर रखे

क्या झारखंड बनेगा दूसरा 'ड्रग हब'?

अगर सरकार और प्रशासन ने इस अवैध कारोबार पर सख्त कदम नहीं उठाए, तो आने वाले समय में झारखंड अफीम तस्करों का गढ़ बन सकता है

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow

Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।