Adityapur Agitation: लाश लेकर गेट पर घेराव! आदित्यपुर ऑटो प्रोफाइल यूनिट के बाहर माहौल गर्म, सड़क हादसे में घायल मजदूर की मौत के बाद परिजन और श्रमिक धरने पर बैठे
सरायकेला खरसावां के आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित ऑटो प्रोफाइल यूनिट 3 के बाहर अफरा-तफरी का माहौल है। सड़क दुर्घटना में घायल हुए कामगार शांतनु बेहरा की मौत के बाद परिजनों ने शव के साथ कंपनी गेट पर धरना दिया है। आरोप है कि कंपनी ने इलाज के लिए कोई आर्थिक मदद नहीं की।
औद्योगिक शहर आदित्यपुर में एक बार फिर मजदूर के शव को लेकर कंपनी गेट पर आक्रोश भड़क उठा है। सरायकेला खरसावां जिला के आदित्यपुर इंडस्ट्रियल एरिया स्थित ऑटो प्रोफाइल यूनिट 3 के बाहर शुक्रवार को उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब एक मृत कामगार के शव के साथ उनके परिजन और गुस्साए मजदूर धरने पर बैठ गए। यह घटना देश के उन औद्योगिक इलाकों में श्रमिकों की सुरक्षा और सामाजिक सुरक्षा के सवालों को उठाती है, जहां दुर्घटनाओं के बाद कंपनियां अक्सर जवाबदेही से पीछे हटती दिखाई देती हैं।
मृतक कामगार शांतनु बेहरा मूल रूप से ओडिशा के रहने वाले थे और यहां किराए के मकान में अपने परिवार के साथ रह रहे थे। उनके परिजनों का गंभीर आरोप है कि बीते मंगलवार को जब शांतनु बेहरा ड्यूटी खत्म करके लौट रहे थे, तभी वह एक सड़क दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें इलाज के लिए टाटा मुख्य अस्पताल (टीएमएच) में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
कंपनी की उदासीनता: इलाज के खर्च पर बड़ा सवाल
परिजनों और अन्य मजदूरों का सबसे बड़ा आरोप कंपनी प्रबंधन की उदासीनता को लेकर है, जिसने उनके अनुसार इलाज के लिए कोई मदद नहीं की।
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लाखों का खर्च: मृतक के परिजन बताते हैं कि अस्पताल में शांतनु बेहरा के इलाज पर ढाई से ₹3 लाख रुपए खर्च हुए, लेकिन इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बावजूद कंपनी प्रबंधन की ओर से उन्हें किसी प्रकार का कोई आर्थिक मदद नहीं किया गया।
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नैतिक जवाबदेही: मजदूरों का कहना है कि भले ही दुर्घटना कंपनी परिसर के बाहर हुई हो, लेकिन ड्यूटी से लौटने के दौरान हुए हादसे में कामगार के गंभीर रूप से घायल होने और उसकी मौत होने पर कंपनी की नैतिक जवाबदेही बनती है।
शव के साथ प्रदर्शन: न्याय की मांग
कंपनी प्रबंधन के असंवेदनशील रवैया से आहत होकर शांतनु बेहरा के परिजन और उनके साथी कामगार शुक्रवार को शव लेकर ऑटो प्रोफाइल यूनिट 3 के मुख्य गेट पर डट गए।
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विरोध का स्वरूप: यह प्रदर्शन शांतिपूर्ण तरीके से शुरू हुआ है, लेकिन कामगारों के गुस्से को देखते हुए इलाके में अफरा-तफरी का माहौल है। वे कंपनी से उचित मुआवजे और परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देने की मांग कर रहे हैं।
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प्रबंधन की चुप्पी: मामले को लेकर ऑटो प्रोफाइल यूनिट 3 के प्रबंधन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। यह चुप्पी कर्मचारियों के आक्रोश को और बढ़ाने का काम कर रही है।
स्थानीय प्रशासन और पुलिस के लिए यह मामला एक बड़ी चुनौती बन गया है कि कैसे कंपनी और परिजनों के बीच समझौता कराया जाए और माहौल को शांत किया जाए। यह प्रदर्शन केवल शांतनु बेहरा के परिवार के लिए न्याय की मांग नहीं है, बल्कि समूचे औद्योगिक क्षेत्र के उन हजारों ठेका और स्थायी मजदूरों की आवाज़ है, जिनकी ज़िंदगी दुर्घटनाओं के बाद अक्सर निराधार हो जाती है।
आपकी राय में, ड्यूटी के बाद या पहले सड़क दुर्घटना में किसी श्रमिक की मौत होने पर कंपनी की सामाजिक सुरक्षा और कानूनी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सरकार को कौन से दो सबसे अहम नियम बनाने चाहिए?
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