Saraikela Accident: बालू लोड करते समय पलटा ट्रैक्टर, दबकर हुई चालक की दर्दनाक मौत!
झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले में एक दर्दनाक हादसा हुआ, जहां बालू लोड करते समय ट्रैक्टर पलट गया और चालक उसकी चपेट में आकर दम तोड़ बैठा। जानिए इस हादसे की पूरी कहानी और इसके पीछे की लापरवाही।

सरायकेला खरसावां जिले में मंगलवार की सुबह एक ऐसा हादसा हुआ, जिसने ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर चालकों की दयनीय स्थिति और खराब सड़कों की पोल खोलकर रख दी। ईचागढ़ थाना क्षेत्र के जरवा गांव के पास एक ट्रैक्टर अनियंत्रित होकर पलट गया, जिससे उसमें फंसे 24 वर्षीय चालक आसन समासी की दर्दनाक मौत हो गई।
आसन, जो मूल रूप से तमाड़ थाना क्षेत्र के मराईंगपीड़ी गांव का निवासी था, पिछले कुछ महीनों से ईचागढ़ में रहकर ट्रैक्टर चलाने का काम करता था। यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक संकेत है उन खामियों का, जो आज भी ग्रामीण भारत में मौज़ूद हैं – टूटी सड़कों से लेकर ओवरलोडिंग तक।
कैसे हुआ हादसा? एक बम्पर बना मौत का कारण!
मंगलवार की सुबह, आसन रोज़ की तरह बालू लादकर एक जगह सप्लाई देने जा रहा था। ट्रैक्टर में भारी बालू भरा हुआ था और सड़कों की हालत बेहद खराब। जब वह जरवा गांव के पास पहुंचा, तो वहां एक बड़ा बम्पर आया। जैसे ही आसन ने ब्रेक मारी, ट्रैक्टर असंतुलित होकर पलट गया।
ट्रैक्टर पलटने से वह सीधे नीचे दब गया। आसपास के ग्रामीणों ने जब ट्रैक्टर पलटे देखा, तो दौड़कर मदद के लिए आए। काफी मशक्कत के बाद उसे बाहर निकाला गया और नज़दीकी अस्पताल पहुंचाया गया। हालात गंभीर होने पर उसे एमजीएम अस्पताल जमशेदपुर रेफर किया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
ग्रामीण सड़कों का दर्द – न हादसे रुकते हैं, न सबक लिया जाता है!
झारखंड जैसे राज्य में जहां कई इलाकों में आज भी पक्की सड़कें सपना हैं, ऐसे हादसे आम बात हो गए हैं। ट्रैक्टर चालक, जो दिन-रात खतरनाक रास्तों पर माल ढोते हैं, उनकी सुरक्षा अक्सर रामभरोसे होती है। न कोई हेलमेट, न कोई सेफ्टी गियर, और ना ही कोई नियमित ट्रेनिंग।
यह पहली बार नहीं है जब किसी ट्रैक्टर चालक की जान ऐसे हादसे में गई हो। 2023 में भी पश्चिम सिंहभूम में ऐसा ही एक मामला सामने आया था, जहां बालू लेकर जा रहा ट्रैक्टर बांस के पुल से गिर गया था। सवाल ये है कि आखिर कब तक इन जानलेवा खामियों को नजरअंदाज़ किया जाएगा?
किसकी है जिम्मेदारी?
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि ट्रैक्टर में बालू भरकर ओवरलोडिंग क्यों की जाती है? क्यों नहीं कोई निगरानी तंत्र है जो इन वाहनों की सुरक्षा की जांच करे? और सबसे अहम – गांवों की सड़कों की दशा सुधारने के लिए प्रशासन क्या कदम उठा रहा है?
आसन की मौत महज एक आंकड़ा नहीं है, वह एक परिवार की उम्मीद, एक बेटे की ज़िम्मेदारी और एक ज़िंदगी का सपना था। अब पीछे रह गए हैं उसके परिजन, जो न सिर्फ दुख में हैं, बल्कि व्यवस्था से जवाब की मांग भी कर रहे हैं।
अब क्या होगा?
स्थानीय प्रशासन ने घटना की जानकारी मिलने के बाद जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने पंचनामा कर शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है और दुर्घटनास्थल का मुआयना भी किया जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या यह जांच किसी ठोस समाधान की ओर ले जाएगी, या फिर यह भी बाकी हादसों की तरह फाइलों में गुम हो जाएगा?
आप क्या सोचते हैं?
क्या ग्रामीण इलाकों में ट्रैक्टर चालकों की सुरक्षा को लेकर अब सख्त नियमों की ज़रूरत है? क्या सरकार को ऐसे रास्तों की मरम्मत प्राथमिकता से नहीं करनी चाहिए?
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