जमशेदपुर में खरकई-स्वर्णरेखा संरक्षण समिति का पंजीकरण: नदी प्रदूषण पर विशेष ध्यान

जमशेदपुर में खरकई-स्वर्णरेखा संरक्षण समिति का पंजीकरण: नदी प्रदूषण पर विशेष ध्यान

Jun 25, 2024 - 23:17
जमशेदपुर में खरकई-स्वर्णरेखा संरक्षण समिति का पंजीकरण: नदी प्रदूषण पर विशेष ध्यान
जमशेदपुर में खरकई-स्वर्णरेखा संरक्षण समिति का पंजीकरण: नदी प्रदूषण पर विशेष ध्यान

जमशेदपुर में खरकई-स्वर्णरेखा संरक्षण समिति का पंजीकरण: नदी प्रदूषण पर विशेष ध्यान

जमशेदपुर की प्रमुख सामाजिक संस्था खरकई-स्वर्णरेखा संरक्षण समिति का पंजीकरण ट्रस्ट के रूप में किया गया है। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य नदियों में हो रहे प्रदूषण को रोकना और सामूहिक प्रयास से नदियों को पुनः जीवन देना है।

नदी प्रदूषण: एक गंभीर समस्या

नदी प्रदूषण आज एक बड़ी समस्या बन चुकी है। खरकई और स्वर्णरेखा नदियों में विभिन्न कारखानों और घरेलू अपशिष्ट के गिरने से प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है। यह प्रदूषण न केवल जल को दूषित करता है बल्कि जीव-जंतु और इंसानों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव डालता है।

समिति का उद्देश्य और कार्य

खरकई-स्वर्णरेखा संरक्षण समिति का उद्देश्य नदियों के उद्गम स्थल से लेकर समापन स्थल तक हो रहे प्रदूषण को रोकना है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए समिति निम्नलिखित कार्य करती है:

  1. प्रदूषण नियंत्रण: नदियों में गिरने वाले अपशिष्ट पदार्थों को रोकने के लिए समिति विभिन्न कारखानों और स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम करती है।

  2. जन जागरूकता: समिति जन जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को नदियों के संरक्षण के महत्व के बारे में जानकारी देती है।

  3. स्वच्छता अभियान: समिति नियमित रूप से नदियों की सफाई के लिए स्वच्छता अभियान चलाती है।

जन सहयोग की आवश्यकता

इस पावन कार्य में जन सहयोग की अत्यधिक आवश्यकता है। समिति ने सभी वर्गों के लोगों से अपील की है कि वे इस अभियान से जुड़ें और अपने सहयोग से स्वर्णरेखा और खरकई नदियों की जीवन रेखा को स्वच्छ, निर्मल और अविरल धारा के रूप में पुनः स्थापित करने का प्रयास करें।

समिति के प्रमुख सदस्य

इस अवसर पर समिति के सचिव आनंद ओझा, अनिल वर्मा, आनंद झा, सौरव कुमार और रत्नेश सिंह उपस्थित थे। इन सभी सदस्यों ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए और जनता से अधिक से अधिक संख्या में जुड़ने की अपील की।

भविष्य की योजनाएं

समिति की भविष्य की योजनाओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  1. स्थानीय समुदाय के साथ साझेदारी: नदियों के संरक्षण के लिए स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काम करना।

  2. शैक्षणिक कार्यक्रम: स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना ताकि नई पीढ़ी को नदियों के संरक्षण के महत्व के बारे में बताया जा सके।

  3. सरकारी सहयोग: प्रदूषण नियंत्रण के लिए सरकारी निकायों से सहयोग प्राप्त करना और नीति निर्माण में भागीदारी करना।

Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।