Palamu Attack Mystery: पोकलेन में आग, गोलियों की बारिश और तीन नकाबपोश... आखिर कौन हैं ये हमलावर?
पलामू के हुसैनाबाद में शुक्रवार रात तीन अज्ञात हमलावरों ने क्रशर प्लांट में पोकलेन को आग के हवाले कर दिया और फायरिंग करते हुए फरार हो गए। इस घटना ने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है।

झारखंड के पलामू जिले से शुक्रवार रात एक ऐसी खौफनाक घटना सामने आई है जिसने पूरे इलाके की नींद उड़ा दी है। हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के दमदमी गांव में स्थित क्रशर प्लांट पर तीन अज्ञात हमलावरों ने न केवल एक पोकलेन मशीन को आग के हवाले कर दिया, बल्कि भागते समय फायरिंग भी की। घटना रात करीब 10 बजे की है, लेकिन अब तक इस हमले के पीछे का मकसद और हमलावरों की पहचान एक रहस्य बनी हुई है।
इस पूरी घटना ने इलाके में अपराधियों के हौसले और पुलिस की सतर्कता पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
क्या था हमला और कैसे हुई घटना?
घटना स्थल है दमदमी गांव के सोहेया पहाड़ी के पास स्थित एक क्रशर प्लांट, जो महादेवा कंस्ट्रक्शन कंपनी का बताया जा रहा है। शुक्रवार रात तीन युवक एक बाइक पर सवार होकर प्लांट परिसर में पहुंचे और सीधे पोकलेन मशीन को आग लगा दी। आग लगाते ही उन्होंने प्लांट के आसपास हवा में गोलियां चलाईं और दक्षिण दिशा की ओर भाग निकले।
घटना के तुरंत बाद हुसैनाबाद पुलिस निरीक्षक और थाना प्रभारी सोनू कुमार चौधरी दमकल व पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे। फायर ब्रिगेड की टीम ने आग पर काबू पाया, जिससे आस-पास के अन्य उपकरणों को नुकसान नहीं पहुंचा।
क्या यह सिर्फ डर फैलाने की कोशिश थी?
महादेवा कंस्ट्रक्शन कंपनी के मुंशी पिंटू सिंह ने पुलिस को जानकारी दी कि हमलावर तीन युवक थे, जो एक ही बाइक पर आए थे। वे ना तो कुछ बोले और ना ही किसी से भिड़े—सिर्फ आग लगाई और फायरिंग कर चलते बने।
अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि इन हमलावरों का मकसद केवल दहशत फैलाना था या इसके पीछे कोई पुरानी रंजिश या संगठित आपराधिक गिरोह का हाथ है?
क्या पलामू का इतिहास दोहरा रहा है?
पलामू ज़िला पहले भी नक्सली घटनाओं और अपराधियों की धमक के लिए जाना जाता रहा है। खासकर हुसैनाबाद इलाका, जहां निर्माण कंपनियों को पहले भी धमकाया गया है और लेवी की मांग की गई है।
2009 और 2014 में इसी इलाके में दो बड़े धमाके और मशीनों को आग के हवाले किए जाने की घटनाएं हो चुकी हैं। उस वक्त भी अपराधियों ने कंस्ट्रक्शन कंपनियों को निशाना बनाया था।
ऐसे में यह सवाल और भी गहरा हो जाता है—क्या महादेवा कंस्ट्रक्शन कंपनी से भी लेवी मांगी गई थी? और क्या कंपनी ने मना कर दिया, जिसके बाद यह खौफनाक हमला किया गया?
पुलिस की कार्रवाई और कंपनी की चुप्पी
पुलिस का कहना है कि घटना के तुरंत बाद तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। आसपास के गांवों में सर्च ऑपरेशन चल रहा है। लेकिन अब तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हो सकी है।
हैरानी की बात यह है कि महादेवा कंस्ट्रक्शन की ओर से अब तक इस मामले में कोई लिखित शिकायत दर्ज नहीं करवाई गई है। क्या कंपनी को किसी ने चुप रहने के लिए दबाव में डाला है? या कंपनी खुद डर के साए में है?
इलाके में डर और सन्नाटा
घटना के बाद दमदमी गांव और आसपास के क्षेत्रों में डर और दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने गोलियों की आवाजें सुनीं लेकिन डर के कारण कोई बाहर नहीं निकला।
अब पुलिस को यह तय करना है कि यह घटना किसी व्यक्तिगत रंजिश की वजह से हुई या इसके पीछे संगठित अपराध का कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा है।
पोकलेन में आग और गोलियों की गूंज, ये सिर्फ एक छोटी सी घटना नहीं बल्कि एक बड़ा संकेत है कि पलामू की ज़मीन पर फिर से अपराध अपनी जड़ें जमा रहा है।
पुलिस को न सिर्फ इस घटना की गहन जांच करनी चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाले समय में कोई भी कंपनी, कोई भी व्यक्ति, डर के साए में काम न करे।
आपका क्या मानना है? क्या ये हमला किसी आपराधिक गिरोह का हिस्सा है या सिर्फ एक चेतावनी? और क्या स्थानीय प्रशासन इस तरह की घटनाओं को रोक पाने में सक्षम है?
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