Jharkhand VAT Collection Drop: झारखंड सरकार के सामने बड़ी चुनौती, 325 करोड़ का नुकसान, ये हैं मुख्य कारण
झारखंड सरकार को वैट कलेक्शन में 325 करोड़ की कमी का सामना करना पड़ा है। जानें इसके मुख्य कारण और सरकार की संभावित रणनीतियां।
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रांची। झारखंड सरकार को वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक वैट (मूल्य वर्धित कर) संग्रह में 325 करोड़ रुपये की कमी का सामना करना पड़ा है। यह कमी न केवल राज्य की आर्थिक योजनाओं को प्रभावित कर सकती है, बल्कि सरकार के लिए एक बड़ा सिरदर्द भी बन गई है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के नवंबर तक वैट संग्रह 4360 करोड़ रुपये था, जो 2024-25 के नवंबर तक घटकर 4035 करोड़ रुपये रह गया। यह गिरावट 7.45 प्रतिशत है।
कमी के पीछे मुख्य कारण
झारखंड सरकार के वाणिज्य कर विभाग ने वैट संग्रह में आई इस गिरावट के पीछे तीन मुख्य कारण बताए हैं:
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सीमावर्ती राज्यों में वैट दरों का अंतर
उत्तर प्रदेश में डीजल पर वैट झारखंड की तुलना में कम है। यूपी में डीजल पर वैट दर केवल 17.08 प्रतिशत या 10.41 रुपये प्रति लीटर (जो भी अधिक हो) है, जबकि झारखंड में यह 22 प्रतिशत या 12.50 रुपये प्रति लीटर है। इसके अतिरिक्त, झारखंड सरकार 1 रुपये प्रति लीटर सेस भी वसूलती है। इस वजह से झारखंड में डीजल की कीमतें यूपी के मुकाबले अधिक हैं। उदाहरण के तौर पर, यूपी में डीजल की औसत कीमत 88.27 रुपये प्रति लीटर है, जबकि झारखंड में यह 93.40 रुपये प्रति लीटर है। -
इलेक्ट्रिक और सीएनजी गाड़ियों का बढ़ता उपयोग
देशभर में इलेक्ट्रिक और सीएनजी गाड़ियों के उपयोग में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इससे पेट्रोल और डीजल की बिक्री में गिरावट आई है। झारखंड भी इससे अछूता नहीं रहा। -
शराब पर उत्पाद शुल्क में कमी
झारखंड सरकार ने भारत में निर्मित विदेशी शराब पर उत्पाद शुल्क को 15 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया है। इससे भी वैट संग्रह में कमी आई है।
इतिहास से सबक:
भारत में वैट की शुरुआत 1 अप्रैल 2005 को हुई थी, जिसका उद्देश्य राज्यों को वित्तीय स्वायत्तता देना और कर संग्रह को सरल बनाना था। लेकिन समय के साथ पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी से बाहर रखने के कारण वैट में अंतर राज्यीय प्रतिस्पर्धा का कारण बन गया।
सरकार की तैयारी
झारखंड सरकार वैट में आई इस गिरावट को लेकर चिंतित है। वाणिज्य कर विभाग ने सुझाव दिया है कि पेट्रोल और डीजल पर लगने वाले सेस और वैट दरों की समीक्षा की जाए। इसके साथ ही, झारखंड पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने भी राज्य सरकार से वैट दरों में कमी करने का अनुरोध किया है।
क्या हो सकता है समाधान?
- सीमावर्ती जिलों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों को यूपी के बराबर करने की दिशा में काम किया जा सकता है।
- इलेक्ट्रिक और सीएनजी गाड़ियों के उपयोग को प्रोत्साहन देने के साथ-साथ वैकल्पिक कर संग्रह के तरीकों पर विचार करना जरूरी है।
- उत्पाद शुल्क और वैट दरों में समन्वय स्थापित कर सरकार को राजस्व में स्थिरता लाने की कोशिश करनी चाहिए।
वैट में आई यह गिरावट झारखंड सरकार के लिए एक चेतावनी है। अगर समय रहते प्रभावी कदम नहीं उठाए गए, तो राज्य की अर्थव्यवस्था पर इसका गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
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