Nepal Gen-Z Protests: फेसबुक, इंस्टा, यूट्यूब बैन, नेताओं की लग्जरी लाइफ पर गुस्सा – क्या अमेरिका की साजिश से हिल रहा है हिमालयी देश?
नेपाल में Gen-Z का विद्रोह: 26 सोशल प्लेटफॉर्म बैन, नेताओं की लग्जरी लाइफ पर गुस्सा! क्या अमेरिका की साजिश से हिल रहा नेपाल? पाकिस्तान, श्रीलंका से नेपाल तक – पूरी कहानी पढ़ें!

इंटरनेशनल डेस्क | 9 सितंबर, 2025. काठमांडू, नेपाल – हिमालय की गोद में बसा नेपाल इन दिनों एक ऐसे तूफान में फंस गया है, जो Gen-Z की आवाज से शुरू होकर पूरी दुनिया की नजरें अपनी ओर खींच रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब समेत 26 सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाने से युवाओं का गुस्सा सातवें आसमान पर है। सड़कों पर प्रदर्शन, नारे और आंसू गैस के बीच यह सवाल गूंज रहा है – क्यों नेताओं के बच्चे लग्जरी कारों में घूमते हैं, जबकि आम नेपाली गरीबी से जूझ रहे हैं? लेकिन क्या यह सिर्फ आंतरिक असंतोष है, या अमेरिका की एक बड़ी साजिश, जो भारत के पड़ोसी देशों को अस्थिर करने की कोशिश कर रही है? पाकिस्तान, श्रीलंका, बांग्लादेश, चीन और अब नेपाल – क्या वाशिंगटन का 'गेम ऑफ थ्रोन्स' जारी है?
पिछले पांच सालों से अंतरराष्ट्रीय राजनीति और साउथ एशियन डिप्लोमेसी की खबरें कवर करते हुए, मैंने देखा है कि नेपाल जैसे शांत देश कैसे वैश्विक शक्तियों के खेल का शिकार बन जाते हैं। Gen-Z के प्रदर्शन की शुरुआत कुछ महीनों पहले हुई, जब सोशल मीडिया पर नेपाली युवाओं ने नेताओं के बच्चों की आलीशान जिंदगी के वीडियोज शेयर करने शुरू किए। प्राइवेट जेट्स, विदेशी छुट्टियां, महंगे गैजेट्स – यह सब तब, जब नेपाल की अर्थव्यवस्था महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रही है। नेपाल टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में युवा बेरोजगारी दर 25% से ऊपर पहुंच गई है, और Gen-Z, जो देश की 40% आबादी है, अब चुप नहीं रहना चाहते। लेकिन सरकार का जवाब? 26 सोशल प्लेटफॉर्म्स पर बैन, जो युवाओं की आवाज को दबाने की कोशिश लगती है। फेसबुक से लेकर टिकटॉक तक, सब बंद – क्या यह सेंसरशिप है, या डर?
Gen-Z का दर्द: लग्जरी vs गरीबी
नेपाल के युवा, जो सोशल मीडिया पर बड़े हुए हैं, अब इसे हथियार बना रहे हैं। काठमांडू और पोखरा की सड़कों पर हजारों युवा इकट्ठा होकर नारे लगा रहे हैं – "हमारी मेहनत, उनकी लग्जरी!" नेताओं के बच्चे विदेशी यूनिवर्सिटीज में पढ़ रहे हैं, जबकि आम नेपाली स्कूल फीस के लिए संघर्ष कर रहे हैं। काठमांडू पोस्ट के अनुसार, प्रदर्शनकारी कहते हैं, "हमारी सरकार हमारे लिए नहीं, बल्कि अपनी फैमिली के लिए काम कर रही है।" यह गुस्सा सिर्फ नेपाल तक सीमित नहीं; यह एक ग्लोबल ट्रेंड है, जहां Gen-Z असमानता के खिलाफ उठ खड़े हो रहे हैं। लेकिन नेपाल में यह बैन ने आग में घी डाल दिया। युवा अब वीपीएन का इस्तेमाल कर सोशल मीडिया पर वापस आ रहे हैं, और प्रदर्शन और तेज हो गए हैं। क्या यह बैन सरकार की कमजोरी दिखाता है?
अमेरिका की 'नई चाल'? भारत के पड़ोस में अस्थिरता का खेल
लेकिन असली सवाल – क्या यह सब अमेरिका की एक बड़ी साजिश का हिस्सा है? कुछ विश्लेषक मानते हैं कि वाशिंगटन भारत के आसपास के देशों को अस्थिर करने की कोशिश कर रहा है, ताकि चीन और भारत दोनों पर दबाव बनाया जा सके। पहले पाकिस्तान में इमरान खान के खिलाफ प्रदर्शन, जहां अर्थव्यवस्था चरमराई और सत्ता पलट गई। फिर श्रीलंका में आर्थिक संकट, जो Gen-Z के गुस्से से शुरू होकर सरकार गिराने तक पहुंचा। बांग्लादेश में छात्र आंदोलन ने शेख हसीना की सरकार को हिला दिया। चीन में भी हांगकांग और ताइवान के जरिए दबाव बनाया गया, लेकिन चीन ने पलटवार कर अमेरिका को जवाब दिया। और अब नेपाल में Gen-Z का विद्रोह – क्या यह अमेरिका का पैटर्न है?
फॉरेन पॉलिसी मैगजीन की एक रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका साउथ एशिया में 'डेमोक्रेसी प्रमोशन' के नाम पर सोशल मीडिया के जरिए युवाओं को उकसा रहा है। नेपाल में बैन लगने के बाद, अमेरिकी दूतावास ने इसे 'फ्री स्पीच' का उल्लंघन बताया, जो संकेत देता है कि वाशिंगटन का हाथ हो सकता है। भारत के पड़ोसी देशों में अस्थिरता से चीन को घेरने और भारत को व्यस्त रखने की रणनीति – यह अमेरिका की 'इंडो-पैसिफिक स्ट्रैटेजी' का हिस्सा लगती है। लेकिन नेपाल के युवाओं का गुस्सा असली है; क्या विदेशी शक्तियां इसे भुना रही हैं?
प्रदर्शनों का प्रभाव: अर्थव्यवस्था और समाज पर बोझ
यह प्रदर्शन नेपाल की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा रहे हैं। पर्यटन, जो देश की जीडीपी का 8% है, प्रभावित हो रहा है। काठमांडू की सड़कें बंद, दुकानें बंद – Gen-Z का गुस्सा नेपाली समाज को बांट रहा है। हिमालयन टाइम्स के अनुसार, प्रदर्शनकारियों का कहना है, "हम बदलाव चाहते हैं, न कि बैन।" लेकिन सरकार का रुख सख्त है, जो और टकराव को न्योता दे रहा है।
भारत के लिए नेपाल का यह संकट एक चेतावनी है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट बताती है कि भारत-नेपाल बॉर्डर पर बढ़ते तनाव से व्यापार प्रभावित हो सकता है। लेकिन Gen-Z की आवाज को सुनना जरूरी है – नफरत या साजिश से नहीं, बल्कि समानता और न्याय से। क्या नेपाल यह संकट झेल पाएगा, या यह बंटवारे की नई कहानी लिखेगा?
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