Nawada: ठंड से 30 वर्षीय महिला की मौत, पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलेगा रहस्य
नवादा के बहादुरपुर गांव में ठंड से 30 वर्षीय महिला की मौत। जानें कैसे ठंड और गरीबी ने छीन ली एक गरीब परिवार की उम्मीद।
नवादा, बिहार: उग्रवाद प्रभावित रजौली थाना क्षेत्र के बहादुरपुर गांव में एक 30 वर्षीय महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। परिजनों ने दावा किया कि यह मौत ठंड लगने के कारण हुई है। हालांकि, पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है, और वास्तविक कारणों का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही चलेगा।
घटना का विवरण
मृतका की पहचान बहादुरपुर निवासी सनोज पासवान की पत्नी रूबी देवी के रूप में हुई है। बताया गया है कि रूबी देवी घरेलू काम कर अपने परिवार का सहयोग करती थीं। उनका पति, सनोज पासवान, दिहाड़ी मजदूरी करता है। मृतका अपने पीछे दो बेटे और एक बेटी छोड़ गई है, जिनकी परवरिश अब एक बड़ा सवाल बन गई है।
घटना की सूचना मिलते ही रजौली थानाध्यक्ष राजेश कुमार ने महिला डेस्क प्रभारी पिंकी कुमारी को पुलिस बल के साथ मौके पर भेजा। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर नवादा सदर अस्पताल भेजा। थानाध्यक्ष ने बताया कि मामले को यूडी (अस्वाभाविक मृत्यु) केस के तहत दर्ज किया गया है।
ठंड से मौत का दावा, लेकिन सवाल बरकरार
ग्रामीणों और परिजनों का कहना है कि महिला कुछ दिनों से बीमार थीं और ठंड के कारण उनकी स्थिति और बिगड़ गई। हाल के वर्षों में नवादा सहित पूरे बिहार में ठंड से होने वाली मौतों में इजाफा हुआ है। ठंड से मौत का यह मामला एक बार फिर आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य सेवाओं की तैयारी पर सवाल खड़ा करता है।
हालांकि, पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि महिला की मौत ठंड से हुई या किसी अन्य कारण से। अंचलाधिकारी मोहम्मद गुफरान मजहरी ने कहा, "अगर मौत ठंड से हुई होगी, तो मृतका के परिजनों को आपदा प्रबंधन विभाग से 4 लाख रुपये की मुआवजा राशि दी जाएगी।"
ठंड और गरीबी: एक खतरनाक गठजोड़
नवादा जिले के ग्रामीण इलाकों में ठंड के कारण मौतें गरीबी और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी को उजागर करती हैं। बहादुरपुर गांव जैसे इलाकों में गरीब परिवार उचित कपड़े, हीटर या लकड़ी जैसी चीजों का खर्च नहीं उठा पाते। रूबी देवी जैसे लोग, जो दिहाड़ी मजदूरी या घरेलू कामों पर निर्भर होते हैं, ठंड के मौसम में सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
इतिहास: बिहार में ठंड से मौतों की घटनाएं कोई नई नहीं हैं। हर साल, खासकर दिसंबर और जनवरी के महीनों में, गरीब और वंचित वर्ग के लोग ठंड के कहर का शिकार होते हैं। सरकार की ओर से अलाव और रैन बसेरों की व्यवस्था होती है, लेकिन यह अक्सर जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच पाती।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
गांव के एक निवासी ने बताया, "रूबी देवी की स्थिति खराब थी, लेकिन इलाज कराने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। ठंड ने उनकी स्थिति और बिगाड़ दी। सरकार को ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं और ठंड से बचने के उपायों पर ध्यान देना चाहिए।"
प्रशासन की प्रतिक्रिया और अगला कदम
थानाध्यक्ष और अंचलाधिकारी ने महिला की मौत को गंभीरता से लिया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार कर रही है। अंचलाधिकारी ने आश्वासन दिया कि अगर मौत ठंड से हुई है, तो परिवार को सरकारी मुआवजा दिया जाएगा।
ठंड से बचाव के उपायों पर जोर
इस घटना ने एक बार फिर प्रशासन को ठंड के दौरान अलाव और रैन बसेरों की प्रभावी व्यवस्था करने की जरूरत की याद दिलाई है। ग्रामीण क्षेत्रों में मुफ्त स्वास्थ्य जांच और दवा वितरण जैसे उपायों पर भी जोर देना चाहिए।
रूबी देवी की मौत ने गरीब और वंचित वर्ग के लोगों की कठिनाइयों को उजागर किया है। ठंड से होने वाली मौतों को रोकने के लिए प्रशासन और समाज को मिलकर काम करना होगा।
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