Nawada Scandal: बालू चोरी के धंधे में पुलिस की भूमिका, 09 ट्रैक्टर जब्त, कई गिरफ्तार

नवादा जिले में बालू चोरी का अवैध कारोबार जोरों पर। पुलिस की मिलीभगत से चल रहे इस गोरखधंधे में 9 ट्रैक्टर जब्त, कई चालक गिरफ्तार। पढ़ें पूरी खबर।

Dec 7, 2024 - 13:25
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Nawada Scandal: बालू चोरी के धंधे में पुलिस की भूमिका, 09 ट्रैक्टर जब्त, कई गिरफ्तार
Nawada Scandal: बालू चोरी के धंधे में पुलिस की भूमिका, 09 ट्रैक्टर जब्त, कई गिरफ्तार

नवादा, 7 दिसंबर 2024: नवादा जिले में बालू चोरी का अवैध कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है। बालू संवेदकों की शिकायतें और पुलिस की कार्रवाई के बावजूद यह गोरखधंधा फल-फूल रहा है। रोह थाना क्षेत्र के दिरमोबारा गांव में पुलिस ने छापेमारी कर बालू लदे 09 ट्रैक्टर जब्त किए हैं। इस दौरान कई चालकों को गिरफ्तार किया गया, जबकि कुछ मौके से फरार हो गए।

बालू माफिया और पुलिस की मिलीभगत

बालू संवेदकों द्वारा गुणवत्ता और उचित मूल्य पर बालू उपलब्ध कराने के दावों के बावजूद अवैध खनन और परिवहन जोरों पर है। पुलिस की कथित मिलीभगत से यह कारोबार बेधड़क चल रहा है। हालांकि, दिखावे के लिए पुलिस छापेमारी करती है और जब्ती के बाद अपनी पीठ थपथपाती है।

इस बार पुलिस ने दिरमोबारा गांव में बड़ी कार्रवाई करते हुए बालू लदे नौ ट्रैक्टर जब्त किए। इसके अलावा, एक मोटरसाइकिल और आठ मोबाइल फोन भी बरामद किए गए। थानाध्यक्ष बसंत कुमार के अनुसार, गिरफ्तार चालकों को न्यायालय भेजा गया है।

गिरफ्तार चालक और उनका नेटवर्क

गिरफ्तार चालकों में नीतीश कुमार (महुली रुपौ), राजेश कुमार (सुंदरा), मनोज यादव (मड़रा), सुबोध कुमार (सुंदरा), कमलेश कुमार (महरावां) और पिंटू यादव (मड़रा) शामिल हैं। सभी को स्थानीय न्यायालय में पेश किया गया है।

पुलिस की कार्रवाई और सवालों के घेरे में व्यवस्था

इस कार्रवाई के बाद क्षेत्र में बालू माफियाओं के बीच हड़कंप मच गया है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या यह अवैध कारोबार केवल रोह थाना क्षेत्र में हो रहा है? बाकी थानों में क्या स्थिति है?

विशेषज्ञों का मानना है कि पुलिस की मिलीभगत के बिना इतने बड़े पैमाने पर बालू चोरी संभव नहीं है।

इतिहास में बालू माफिया और उनकी ताकत

बालू माफिया का अस्तित्व कोई नई बात नहीं है। बिहार जैसे राज्यों में, जहां खनिज संसाधनों की प्रचुरता है, अवैध खनन एक आम समस्या रही है। 2000 के दशक में कई क्षेत्रों में बालू माफियाओं ने हिंसा, धमकी और रिश्वतखोरी के जरिए अपना साम्राज्य खड़ा किया।

बालू खनन न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि यह स्थानीय अर्थव्यवस्था और सरकारी राजस्व को भी हानि पहुंचाता है। पुलिस और प्रशासन की उदासीनता या मिलीभगत से यह समस्या और गंभीर हो जाती है।

स्थानीय निवासियों की नाराजगी

स्थानीय निवासियों का कहना है कि बालू माफिया और पुलिस की मिलीभगत ने क्षेत्र में अव्यवस्था फैला दी है। सस्ते बालू की आड़ में हो रहे इस अवैध कारोबार से ईमानदार बालू संवेदकों को नुकसान उठाना पड़ रहा है।

क्या समाधान है?

  • सख्त निगरानी: पुलिस और प्रशासन को बालू खनन क्षेत्रों पर कड़ी नजर रखनी होगी।
  • तकनीकी सहायता: अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए ड्रोन और GPS ट्रैकिंग जैसे उपकरणों का उपयोग किया जा सकता है।
  • सार्वजनिक जागरूकता: स्थानीय लोगों को इस मुद्दे पर जागरूक करना आवश्यक है ताकि वे ऐसे मामलों की सूचना दे सकें।

रोह थाना क्षेत्र में पुलिस की कार्रवाई ने बालू माफियाओं को एक कड़ा संदेश दिया है। लेकिन, इस समस्या का स्थायी समाधान तभी संभव है जब प्रशासनिक इच्छाशक्ति और तकनीकी सहायता का सही तरीके से उपयोग हो। बालू खनन पर नियंत्रण केवल एक थाना क्षेत्र तक सीमित नहीं रहना चाहिए, बल्कि इसे व्यापक स्तर पर लागू करना होगा।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।