Nawada Legal: विधिक जागरूकता शिविर में सूचना का अधिकार और मुफ्त कानूनी सहायता की जानकारी
नवादा में आयोजित विधिक जागरूकता शिविर में सूचना का अधिकार अधिनियम और मुफ्त कानूनी सहायता पर चर्चा। जानें कैसे आम जनता को जागरूक किया गया और क्या हैं इसके लाभ।
नवादा जिले के वारिसलीगंज प्रखंड कार्यालय में जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से एक विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का उद्देश्य आम जनता को सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और मुफ्त कानूनी सहायता के लाभों से अवगत कराना था। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी मो. शकील अहमद ने की, और इसे कई विधिक विशेषज्ञों ने संबोधित किया।
क्या है सूचना का अधिकार अधिनियम 2005?
यह अधिनियम प्रत्येक नागरिक को यह अधिकार देता है कि वे किसी भी सरकारी विभाग से अपनी जरूरत की जानकारी मांग सकें। जानकारी न देने पर संबंधित विभाग जवाबदेही के लिए बाध्य होता है। इस शिविर में अधिवक्ताओं और अधिकारियों ने बताया कि यह अधिनियम शासन को पारदर्शी बनाने और भ्रष्टाचार को कम करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।
शिविर में हुए विषय प्रवेश और परिचर्चा
कार्यक्रम की शुरुआत में अधिकार मित्र अधिवक्ता चंद्रमौलि शर्मा ने विषय का परिचय देते हुए इस अधिनियम की बारीकियों को समझाया। उन्होंने बताया कि आम जनता को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए ताकि वे सरकारी योजनाओं और सेवाओं का समुचित लाभ उठा सकें।
इसके बाद, असिस्टेंट लीगल एड डिफेंस काउंसिल एडवोकेट रूपम कुमारी ने विस्तार से बताया कि कैसे यह अधिनियम आम लोगों के जीवन को आसान बनाता है। उन्होंने कहा कि कई बार निर्दोष अभियुक्त कानूनी सहायता के अभाव में जेल की सजा काटते रहते हैं। ऐसे मामलों के लिए नवादा जिला न्यायालय में मुफ्त कानूनी सहायता प्रदान की जाती है।
मुफ्त कानूनी सहायता की पहल
रूपम कुमारी ने बताया कि आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मुफ्त कानूनी सहायता के लिए जिला न्यायालय में लीगल एड डिफेंस काउंसिल की स्थापना की गई है। यह पहल उन व्यक्तियों के लिए है जिन्हें कानूनी मदद की आवश्यकता है, लेकिन वे इसके लिए खर्च नहीं कर सकते।
ग्राम कचहरी और पंचायतों की भूमिका
शिविर में प्रखंड सरपंच संघ अध्यक्ष सुबोध कुमार सिंह, हाजीपुर ग्राम कचहरी सरपंच विजय कुमार, और अपसढ़ ग्राम कचहरी उप सरपंच रामबरण सिंह जैसे प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इन पंचायत प्रतिनिधियों ने ग्राम कचहरी के सफल संचालन के विषय में प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के साथ चर्चा की।
जिज्ञासाओं का समाधान और जागरूकता का प्रसार
शिविर में मौजूद लोगों ने सूचना का अधिकार अधिनियम और मुफ्त कानूनी सहायता से संबंधित कई सवाल पूछे। इन सवालों का समाधान अधिवक्ता चंद्रमौलि शर्मा, अधिकार मित्र अनिल कुमार, और मो. इमरान ने किया। शिविर में उपस्थित लोगों को बताया गया कि इस अधिनियम के तहत किस प्रकार से सरकारी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।
इतिहास में सूचना का अधिकार का महत्व
भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को लागू करने का उद्देश्य जनता को सशक्त बनाना और शासन में पारदर्शिता लाना था। इस अधिनियम का इतिहास भारत की लंबी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है, जिसे कई आंदोलनकारियों और समाजसेवियों के प्रयासों से लागू किया गया।
आम जनता के लिए सुझाव
शिविर के अंत में लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक रहने और अपने गांवों और पंचायतों में इस जागरूकता को फैलाने की सलाह दी गई। साथ ही, यह भी कहा गया कि कानूनी सहायता के लिए घबराएं नहीं, क्योंकि हर व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है।
नवादा का यह विधिक जागरूकता शिविर एक महत्वपूर्ण पहल थी, जो न केवल सूचना का अधिकार अधिनियम के महत्व को उजागर करता है, बल्कि कानूनी सहायता के लिए गरीब और जरूरतमंद लोगों को सशक्त बनाता है। ऐसे आयोजन समाज में जागरूकता फैलाने और पारदर्शिता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
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