Muzaffarpur Fraud: MBBS एडमिशन के नाम पर ठगे 37 लाख, झारखंड पुलिस ने मास्टरमाइंड को दबोचा

MBBS एडमिशन फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड निशांत सिंह को झारखंड पुलिस ने मुजफ्फरपुर से गिरफ्तार किया। 37 लाख की ठगी और फर्जीवाड़े के जाल का खुलासा।

Dec 9, 2024 - 09:33
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Muzaffarpur Fraud: MBBS एडमिशन के नाम पर ठगे 37 लाख, झारखंड पुलिस ने मास्टरमाइंड को दबोचा
Muzaffarpur Fraud: MBBS एडमिशन के नाम पर ठगे 37 लाख, झारखंड पुलिस ने मास्टरमाइंड को दबोचा

रांची, 9 दिसंबर 2024:  झारखंड पुलिस ने मेडिकल एडमिशन फर्जीवाड़े के मास्टरमाइंड निशांत सिंह उर्फ नितांत को बिहार के मुजफ्फरपुर से गिरफ्तार कर लिया। निशांत ने 2022 में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS में नामांकन कराने के नाम पर 37 लाख रुपये की ठगी की थी।

फर्जीवाड़े की पूरी कहानी

आरोपी निशांत सिंह कांटी, बिहार का निवासी है। उसने रांची दूरदर्शन केंद्र और आकाशवाणी पटना में कार्यरत अधिकारियों ओमप्रकाश झा और दिव्य दिवाकर दिनेश से उनकी बेटियों का एडमिशन कराने का झांसा देकर क्रमशः 18.41 लाख रुपये ठगे। आरोप है कि निशांत ने कई लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी की है।

2022 में ठगी के बाद निशांत रांची से फरार हो गया। लगातार प्रयासों और वकालतन नोटिस के बावजूद उसने पैसे वापस नहीं किए। अंततः ओमप्रकाश झा ने रांची के जगन्नाथपुर थाने में FIR दर्ज कराई।

पुलिस की जांच और गिरफ्तारी

झारखंड पुलिस ने पहले निशांत के कांटी स्थित घर पर छापा मारा, लेकिन वह फरार था। उसकी मोबाइल लोकेशन ट्रेस कर पुलिस ने मुजफ्फरपुर के गोबरसही इलाके में दबिश दी। सदर थाना पुलिस की मदद से निशांत को गिरफ्तार किया गया। उसे रांची पुलिस के हवाले कर दिया गया है, जो आगे की कानूनी प्रक्रिया संभालेगी।

कैसे चलता था फर्जीवाड़ा रैकेट?

पुलिस की जांच में सामने आया कि निशांत ने MBBS में एडमिशन के नाम पर फर्जीवाड़ा करने के लिए अपने भाई सुशांत के बैंक खाते का इस्तेमाल किया। उसने दावा किया था कि वह लखनऊ के केजीएमयू (किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी) में एडमिशन करा सकता है।

शुरुआत में निशांत ने तकनीकी गड़बड़ियों का बहाना बनाकर समय मांगा। जब दबाव बढ़ा तो उसने पोस्ट डेटेड चेक दिए, जो बाद में बाउंस हो गए। वकालतन नोटिस मिलने के बाद भी उसने पैसे नहीं लौटाए।

MBBS एडमिशन फर्जीवाड़ा: बढ़ती समस्या

भारत में मेडिकल शिक्षा के लिए बढ़ती मांग और सीमित सीटों के कारण फर्जीवाड़े के ऐसे मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। उम्मीदवारों के परिवार एडमिशन के दबाव में गलत हाथों में फंस जाते हैं। यह मामला दिखाता है कि कैसे लोग जरूरत का फायदा उठाकर मासूमों को ठगते हैं।

पुलिस और कानून का रुख

पुलिस ने संकेत दिया है कि निशांत के खिलाफ ठोस सबूत हैं। इस मामले में उसकी संलिप्तता साबित होने के बाद उसे कठोर सजा मिल सकती है। पुलिस ने यह भी कहा कि आम जनता को ऐसे फर्जीवाड़ों से बचने के लिए सतर्क रहना चाहिए और किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की जानकारी तुरंत साझा करनी चाहिए।

स्थानीय प्रतिक्रिया

ओमप्रकाश झा और दिव्य दिवाकर दिनेश के परिवारों ने पुलिस कार्रवाई की सराहना की है। उन्होंने उम्मीद जताई है कि न्याय जल्द मिलेगा और निशांत को कठोर दंड दिया जाएगा।

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