Jamshedpur Preparation: डहरे टुसु 2025 की भव्य तैयारी शुरू, जानिए इस बार क्या है खास
जमशेदपुर में 5 जनवरी 2025 को होने वाले डहरे टुसु कार्यक्रम की तैयारियां जोरों पर हैं। जानें इस ऐतिहासिक आयोजन के पीछे का उद्देश्य, कार्यक्रम की झलकियां और सांस्कृतिक महत्व।
जमशेदपुर: झारखंड की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच द्वारा 5 जनवरी 2025 को डहरे टुसु का आयोजन किया जाएगा। इस कार्यक्रम के लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं, और इसी सिलसिले में बालिगुमा के करम आंखड़ा कमिटी में एक तैयारी बैठक आयोजित की गई।
तीसरी बार जमशेदपुर में डहरे टुसु का आयोजन
यह कार्यक्रम जमशेदपुर में तीसरी बार आयोजित किया जा रहा है। पिछले साल 8 जनवरी 2024 और उससे पहले 7 जनवरी 2023 को इस कार्यक्रम ने शहरवासियों को झारखंड की परंपरा से जोड़ने का काम किया। हर साल जनवरी के पहले रविवार को आयोजित होने वाला डहरे टुसु, झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखने का प्रतीक बन चुका है।
डहरे टुसु: एक सांस्कृतिक आंदोलन
बृहद झारखंड कला संस्कृति मंच ने पिछले तीन वर्षों में 13 डहरे कार्यक्रमों का आयोजन कर झारखंड की लोक परंपरा को देशभर में फैलाने का काम किया है। इस आयोजन में झारखंड, बंगाल, ओडिशा, और छत्तीसगढ़ से सांस्कृतिक प्रेमियों को आमंत्रित किया जाता है। मंच के पदाधिकारियों का कहना है कि हमारा उद्देश्य केवल सांस्कृतिक कार्यक्रम तक सीमित नहीं है, बल्कि झारखंड के सांस्कृतिक दायरे को उन क्षेत्रों तक विस्तारित करना है, जो कभी झारखंड का हिस्सा हुआ करते थे।
कार्यक्रम की झलकियां
डहरे टुसु 2025 में लोक नृत्य, लोक संगीत, और सांस्कृतिक प्रदर्शनी जैसे कई आकर्षक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यह आयोजन न केवल मनोरंजन का साधन है, बल्कि झारखंड की पारंपरिक कलाओं और संगीत को पुनर्जीवित करने का प्रयास भी है।
झारखंड की सांस्कृतिक पहचान को मजबूत करने की पहल
डहरे टुसु का मुख्य उद्देश्य झारखंड की संस्कृति को शहरों और दूसरे राज्यों में पहुंचाना है। आधे से ज्यादा झारखंडी अभी भी राज्य के बाहर रहते हैं। इस आयोजन के जरिए उनकी सांस्कृतिक जड़ों को मजबूत करने और उन्हें झारखंड से जोड़ने की कोशिश की जाती है।
डहरे टुसु का ऐतिहासिक महत्व
झारखंड में टुसु पर्व फसल कटाई और नई फसल के आगमन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है, जो मिट्टी के टुसु चौक बनाकर लोकगीत गाती हैं और पारंपरिक नृत्य करती हैं। डहरे टुसु इस पारंपरिक पर्व का शहरी रूप है, जो झारखंड के साथ-साथ पड़ोसी राज्यों में भी लोकप्रिय हो रहा है।
बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक प्रेमी होंगे शामिल
डहरे टुसु 2025 में बंगाल, ओडिशा और छत्तीसगढ़ से सांस्कृतिक प्रेमियों को आमंत्रित किया गया है। यह कार्यक्रम केवल झारखंड तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता का प्रदर्शन करेगा।
तैयारी बैठक में शामिल हुए गणमान्य
बैठक में पंचायत मुखिया, समिति सदस्य, और कई सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए। उन्होंने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सुझाव दिए और झारखंड की संस्कृति को बचाने के इस प्रयास की सराहना की।
सभी को कार्यक्रम में आने का निमंत्रण
डहरे टुसु कार्यक्रम को लेकर मंच के पदाधिकारियों ने सभी झारखंडवासियों और सांस्कृतिक प्रेमियों को इस आयोजन में शामिल होने का आमंत्रण दिया। उनका कहना है कि यह आयोजन जमशेदपुर की सांस्कृतिक विरासत को जीवंत रखने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है।
डहरे टुसु 2025 न केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम है, बल्कि झारखंड की परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का जरिया भी है। यह आयोजन झारखंड की पहचान को मजबूत करेगा और उसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थान दिलाएगा।
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