Jamshedpur Celebration: सैन्य मातृशक्ति ने धूमधाम से मनाया महिला दिवस, बढ़ाया जागरूकता का संदेश!
जमशेदपुर में सैन्य मातृशक्ति ने महिला दिवस पर आयोजित किया भव्य समारोह! जानिए कैसे बढ़ाया महिलाओं का सम्मान और क्यों जरूरी है महिला सशक्तिकरण?

जमशेदपुर: महिला सशक्तिकरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने और पूर्व सैनिक परिवारों की महिलाओं को संगठित करने के उद्देश्य से सैन्य मातृशक्ति जमशेदपुर द्वारा महिला दिवस समारोह धूमधाम से मनाया गया। यह आयोजन अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के तत्वावधान में न्यू बारीडीह स्थित सभागार में संपन्न हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया।
इस समारोह के माध्यम से पूर्व सैनिकों की पत्नियाँ एक मंच पर एकत्र हुईं और सैन्य संस्कारों व पारिवारिक मूल्यों को सामाजिक परिवेश से जोड़ने की दिशा में विचार-विमर्श किया।
भारत माता की वंदना के साथ हुआ शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत बेहद भावनात्मक रही। मुख्य अतिथियों और सैन्य मातृशक्ति सदस्यों ने भारत माता के चित्र पर पुष्प अर्पित किए और दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस दौरान सैन्य मातृशक्ति संगठन की अध्यक्ष रूबी सिंह ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की और महिलाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला।
रूबी सिंह ने कहा,
"आज का युग आधुनिकता और सैनिक मूल्यों के सामंजस्य का है। हमें समाज में अनुशासन, कर्तव्यपरायणता और राष्ट्र प्रेम के भाव को बनाए रखना होगा, जिससे नई पीढ़ी को सही दिशा मिल सके।"
महिलाओं की भूमिका और सम्मान पर विशेष चर्चा
महामंत्री विनीता सिंह ने महिलाओं को समाज की रीढ़ बताते हुए कहा कि आज महिलाएँ हर क्षेत्र में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रही हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि सैनिक परिवारों की महिलाएँ भी अपने अनुभव साझा करें और समाज में सकारात्मक बदलाव लाएँ।
समारोह में चर्चा के दौरान यह सुझाव भी दिया गया कि महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यशालाएँ आयोजित की जाएँ, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें।
महिला स्वास्थ्य और सुरक्षा पर हुई अहम बातचीत
सैन्य मातृशक्ति झारखंड की प्रतिनिधि श्रीमती पूनम ने महिलाओं की सुरक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण से जुड़े मुद्दों पर जागरूकता फैलाने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसे सेमिनार और कार्यक्रमों का आयोजन महिलाओं की स्थिति को सशक्त बनाने में सहायक होगा।
परंपरा और संस्कृति को बढ़ावा देने की पहल
कार्यक्रम का एक अहम उद्देश्य यह भी था कि भारत की समृद्ध संस्कृति और तीज-त्योहारों के महत्व को जन-जन तक पहुँचाया जाए। रूबी सिंह ने कहा,
"इस तरह के आयोजन जनमानस में ऊर्जा का संचार करते हैं और नागरिक परिवेश में सैन्य संस्कारों को स्थापित करने में सहायक होते हैं।"
सफल आयोजन में महिलाओं की महत्वपूर्ण भागीदारी
कार्यक्रम में महिलाओं ने अपने संघर्षों और उपलब्धियों की कहानियाँ साझा कीं, जिससे प्रेरणा का संचार हुआ। इस दौरान संगीता शर्मा ने धन्यवाद ज्ञापन किया और इस आयोजन को सफल बनाने के लिए सभी प्रतिभागियों की सराहना की।
इन प्रमुख महिलाओं ने की भागीदारी
कार्यक्रम में शामिल महिलाओं में स्वेता, पूनम, शर्मिला, अनुपमा, रूबी, मुस्कान, रिंकी, पिंकी, रीना, मृदुला, सुनीता, भावना, उर्मिला, अर्चना, अंजू, कंचन, नीलू, अंतिमा, वीना, राधिका, सरिता, प्रतिमा शर्मा, रीना सिंहा, श्वेता सिंह, स्वाति, सरोज सिंह, पुनम, पूजा सिन्हा सहित 40 से अधिक सैन्य मातृशक्ति सदस्य मौजूद रहीं।
क्या कहता है इतिहास? महिला दिवस की पृष्ठभूमि
महिला दिवस का इतिहास 1908 से जुड़ा हुआ है, जब न्यूयॉर्क में पहली बार महिलाओं ने अपने अधिकारों के लिए प्रदर्शन किया था। इसके बाद 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने इसे आधिकारिक मान्यता दी, जिसके बाद से हर साल 8 मार्च को विश्वभर में महिला सशक्तिकरण का यह पर्व मनाया जाता है।
समाज में बदलाव लाने के लिए जरूरी पहल
- महिलाओं की सुरक्षा और शिक्षा पर जोर देना।
- सैनिक परिवारों की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
- सामाजिक कार्यक्रमों और कार्यशालाओं का आयोजन करना।
- बच्चों में सैन्य मूल्यों और अनुशासन की भावना विकसित करना।
क्या ऐसे कार्यक्रम समाज में सकारात्मक बदलाव लाने में मदद कर सकते हैं? अपनी राय कमेंट में साझा करें!
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