Koderma Shocking News: नाले में मिला नवजात शिशु का शव, गांव में दहशत और सवालों की गूंज
झारखंड के कोडरमा जिले में नाले किनारे नवजात शिशु का शव मिलने से सनसनी। ग्रामीणों ने नर्सिंग होम पर शक जताया, पुलिस ने जांच शुरू की।

झारखंड का कोडरमा जिला गुरुवार की सुबह उस वक्त सन्न रह गया, जब सतगावां प्रखंड के सीहास गांव के पास एक नवजात शिशु का शव नाले किनारे पड़ा मिला। यह खबर जंगल की आग की तरह फैली और कुछ ही देर में सैकड़ों ग्रामीण वहां जुट गए। नवजात को देखने के बाद गांव की महिलाएं फूट-फूटकर रोने लगीं और यह सवाल उठाने लगीं कि आखिर किस मां ने जन्म के 24 घंटे के भीतर ही अपने लाल को मौत के हवाले कर दिया।
सुबह-सुबह दहला सीहास गांव
गुरुवार की सुबह जब गांव के लोग अपने रोज़मर्रा के कामों में जुटे थे, तभी नाले के पास पड़े इस मासूम शव को देखकर सबके पैरों तले ज़मीन खिसक गई। ग्रामीणों ने तुरंत गांव के मुखिया को सूचना दी और फिर पुलिस को खबर दी गई।
महिलाओं का कहना है कि यह बच्चा अभी-अभी जन्मा था। शरीर की स्थिति देखकर अंदाजा लगाया गया कि डिलीवरी के महज कुछ घंटे बाद ही किसी ने इसे बेरहमी से यहां फेंक दिया।
सीमा पर बसे गांव में गहराया शक
जहां शव मिला, वह इलाका झारखंड-बिहार की सीमा के करीब है। ग्रामीणों ने संदेह जताया कि इस घटना का संबंध नवादा जिले के नर्सिंग होम्स से हो सकता है। उनका कहना है कि सीमा पर चलने वाले कई क्लीनिक और नर्सिंग होम्स में अक्सर बिना रजिस्ट्रेशन और निगरानी के डिलीवरी कराई जाती है। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि नवजात का जन्म वहीं हुआ होगा और फिर किसी ने पहचान छिपाने के लिए उसे यहां लाकर फेंक दिया।
पुलिस ने शुरू की जांच
सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को अपने कब्जे में ले लिया। जांच के बाद पता लगाया जाएगा कि आखिर नवजात कहां और किसके घर पैदा हुआ था। पुलिस ने फिलहाल पोस्टमार्टम के लिए शव भेज दिया है और साथ ही आसपास के नर्सिंग होम्स पर नज़र रखने की बात भी कही है।
इतिहास भी गवाही देता है – अनचाहे बच्चों की कड़वी हकीकत
भारत में नवजात बच्चों को फेंकने की घटनाएं कोई नई नहीं हैं। इतिहास गवाह है कि सामाजिक कलंक, गरीबी और अनचाहे गर्भ के कारण कई बार मासूमों को जन्म लेते ही मौत के मुंह में धकेल दिया जाता रहा है।
2000 के दशक में भी कोडरमा, गिरिडीह और नवादा जिलों से ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं, जहां नवजातों को कुओं, नालों या जंगलों में छोड़ दिया गया। हालांकि, सरकार ने ‘बच्चा गोद लेने की सुविधा’ और क्रैडल बेबी स्कीम जैसे कदम उठाए, ताकि अनचाहे बच्चों को सुरक्षित जीवन मिल सके। लेकिन आज भी ग्रामीण और सीमा क्षेत्रों में यह अमानवीय प्रथा जारी है।
सवालों के घेरे में समाज और सिस्टम
इस घटना ने न सिर्फ गांव को हिलाकर रख दिया, बल्कि पूरे समाज को आईना दिखाया है। आखिर क्यों आज भी ऐसी घटनाएं घट रही हैं, जबकि कानूनी और सामाजिक व्यवस्था मजबूत होने का दावा किया जाता है?
गांव की महिलाओं का कहना है – “अगर मां-बाप बच्चा नहीं पाल सकते थे, तो सरकार की योजनाओं का सहारा लेना चाहिए था। कम से कम मासूम की जान तो बचती।”
वहीं, पुलिस का कहना है कि मामले में सख्त जांच की जाएगी और यदि इसमें किसी नर्सिंग होम या एजेंट की संलिप्तता मिली, तो कड़ी कार्रवाई होगी।
गांव में मातम और बेचैनी
घटना के बाद सीहास गांव में मातम छा गया है। हर किसी की जुबान पर यही सवाल है – “कौन है वो अभागन मां-बाप?”
गांव के बुजुर्ग कहते हैं कि पहले जमाने में भी गरीबी बहुत थी, लेकिन लोग बच्चों को भगवान का तोहफा मानकर पालते थे। आज शिक्षा और कानून के बावजूद ऐसा होना समाज के लिए शर्मनाक है।
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