Khunti में बड़ा फैसला: मनरेगा घोटाले के दोषी अभियंता को अदालत ने सुनाई पांच साल की सजा
झारखंड के खूंटी जिले में मनरेगा घोटाले के दोषी कनीय अभियंता राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को अदालत ने पांच साल की सजा और सात लाख रुपए का जुर्माना लगाया। जानें इस मामले की पूरी जानकारी।
1 दिसंबर 2024: झारखंड के खूंटी जिले में हुए मनरेगा घोटाले के मामले में कनीय अभियंता (जेई) राम बिनोद प्रसाद सिन्हा को अदालत ने पांच साल की सजा सुनाई है। अपर न्यायायुक्त-18 प्रभात कुमार शर्मा की अदालत ने शनिवार को मामले की सुनवाई के बाद यह फैसला दिया। इसके साथ ही, राम बिनोद सिन्हा पर सात लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। यदि वे जुर्माना राशि का भुगतान नहीं करते, तो उन्हें आठ माह की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।
घोटाले का मामला: करोड़ों की अवैध निकासी
मनरेगा घोटाले में राम बिनोद प्रसाद सिन्हा पर आरोप है कि उन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए 248 स्वीकृत योजनाओं के लिए आवंटित करोड़ों रुपए की राशि गबन की। विशेष रूप से, अदालत ने 12 योजनाओं के मद से 88 लाख रुपए की अवैध निकासी के मामले में उन्हें पांच साल की सजा दी। उन पर सरकारी राशि को जान-बूझकर अपराधी षड्यंत्र के तहत फर्जी चालानों के माध्यम से निकालने का आरोप था।
खूंटी में दर्ज हुए थे 14 मामले
साल 2010 में खूंटी जिले में इस घोटाले को लेकर कुल 14 मामले दर्ज किए गए थे। बाद में, भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धाराओं को जोड़ने के बाद एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) ने मामले की जांच अपने हाथ में ली। यह घोटाला अब तक के सबसे बड़े मनरेगा घोटालों में से एक माना जाता है। इस मामले की जांच 20 जून 2011 को पूरी हुई, और तब अभियोजन स्वीकृति के बाद चार्जशीट दाखिल की गई।
राम बिनोद सिन्हा की गिरफ्तारी और जेल की स्थिति
मनरेगा घोटाले में आरोपी राम बिनोद सिन्हा को ईडी (एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट) ने मनी लॉंड्रिंग के आरोप में 18 जून 2020 को कोलकाता से गिरफ्तार किया था। इस गिरफ्तारी के बाद से वे जेल में ही हैं। हालांकि, उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है, लेकिन अन्य मामलों में आरोपित होने के कारण वे जेल से बाहर नहीं आ सके हैं।
आय से अधिक संपत्ति का मामला भी गंभीर
राम बिनोद सिन्हा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति रखने का मामला भी है, जिसमें उनकी पत्नी शीला सिन्हा, बेटी पूजा सिन्हा, और बेटा राहुल सिन्हा भी आरोपी हैं। एसीबी की जांच में उनकी आय से 679 प्रतिशत अधिक संपत्ति का खुलासा हुआ था।
मनरेगा घोटाले का इतिहास
मनरेगा घोटाला झारखंड में लंबे समय से चर्चा में है। यह घोटाला उन मामलों में शामिल है जो सरकारी योजनाओं के माध्यम से गरीबों के कल्याण के लिए आवंटित राशि के दुरुपयोग को उजागर करते हैं। इस मामले ने यह साबित किया कि सरकारी अधिकारी किस प्रकार अपने पद का दुरुपयोग कर सार्वजनिक धन की चोरी करते हैं।
सजा का महत्व और संदेश
खूंटी के इस मामले में सजा का फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ सरकार की गंभीरता को दिखाता है। यह सजा उन सभी के लिए एक चेतावनी है जो सरकारी धन के दुरुपयोग की योजना बना रहे हैं। राम बिनोद के खिलाफ यह तीसरी बार सजा हुई है, जिससे यह स्पष्ट है कि भ्रष्टाचार के मामलों में न्याय पूरी तरह से किया जा रहा है।
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