Jharkhand Alert: आलू की आपूर्ति पर बंगाल का कड़ा रुख, कीमतों में हो सकती है भारी वृद्धि
झारखंड में आलू की आपूर्ति पर बंगाल द्वारा रोक से बढ़ सकते हैं कीमतें। जानें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और अधिकारियों की कोशिशों के बारे में।
झारखंड में इन दिनों आलू की आपूर्ति को लेकर चिंताओं का दौर चल रहा है। राज्य की कुल आलू आपूर्ति का करीब 60 फीसदी हिस्सा पश्चिम बंगाल से आता है। ऐसे में बंगाल सरकार द्वारा लगाए गए अंतरराज्यीय आपूर्ति प्रतिबंध ने झारखंड में हलचल मचा दी है। पिछले कुछ दिनों में खुदरा बाजार में आलू की कीमत में पांच रुपये तक की बढ़ोतरी हो चुकी है। अब आलू के प्रति किलो भाव 40 रुपये तक पहुंच गया है, जिससे आम जनता की परेशानी बढ़ गई है।
मुख्यमंत्री का त्वरित एक्शन: समस्या का समाधान चाहती है सरकार
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने रविवार को इस मुद्दे पर गंभीरता से संज्ञान लिया। उन्होंने मुख्य सचिव अलका तिवारी को निर्देश दिया कि इस समस्या का समाधान शीघ्र किया जाए। इसके बाद मुख्य सचिव ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव मनोज पंत से फोन पर बातचीत की। बंगाल के मुख्य सचिव ने भरोसा दिलाया कि जल्द ही एक समिति बनाई जाएगी, जो आलू आपूर्ति से संबंधित मामलों को सुलझाएगी।
बंगाल पुलिस का कड़ा रुख: ट्रक चालक परेशान
पश्चिम बंगाल पुलिस ने लगातार चौथे दिन भी आलू लदे ट्रकों को झारखंड में प्रवेश की अनुमति नहीं दी। इस कारण कई ट्रक चालक निराश होकर लौटने पर मजबूर हो गए। हालांकि, कुछ ट्रक डिबुडीह चेकपोस्ट के पास खड़े रहे, चालक आशा में थे कि बंगाल पुलिस आदेश जारी करेगी और उन्हें जाने की अनुमति मिलेगी। चेकपोस्ट पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर ट्रकों की जांच की और जिनमें आलू पाया गया, उन्हें वापस भेज दिया।
बंगाल की आलू कीमतों का अंतर: संकट और बढ़ सकता है
वर्तमान में पश्चिम बंगाल में आलू का प्रति किलो भाव 30-32 रुपये के बीच है, जो झारखंड के लिए एक राहत का कारण हो सकता था। लेकिन अगर यह रोक लंबे समय तक जारी रही, तो झारखंड समेत अन्य पड़ोसी राज्यों में आलू की कीमत में अचानक वृद्धि हो सकती है। इस पर एग्यारकुंड अंचल के सीओ कृष्ण कुमार मरांडी ने बताया कि उन्होंने इस मामले की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी है और आगे की कार्रवाई की योजना बनाई जा रही है।
इतिहास की बात: खाद्य आपूर्ति संकट
यह पहली बार नहीं है जब झारखंड ने खाद्य आपूर्ति संकट का सामना किया है। इसके पहले भी कई बार अंतरराज्यीय व्यापार पर नीतिगत प्रतिबंधों का असर देखने को मिल चुका है। हालांकि, इस बार आलू जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थ की आपूर्ति पर रोक से जनता की रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो सकती है। राज्य सरकार ने भी पहले ऐसे संकटों को सुलझाने के लिए सक्रियता दिखाई है, लेकिन इस बार परिस्थितियां गंभीर हैं।
क्या आगे हो सकता है?
इस मुद्दे पर त्वरित समाधान की आवश्यकता है ताकि झारखंड में महंगाई पर नियंत्रण रखा जा सके। सरकार और प्रशासन की ओर से उठाए गए कदमों से यह उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही स्थिति में सुधार होगा। लेकिन तब तक, झारखंड में आम लोगों के लिए आलू की बढ़ती कीमतों से निपटना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
क्या आप मानते हैं कि सरकार इस संकट से जल्द उबर पाएगी? अपने विचार हमें बताएं।
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