Baharagora Formation: टीएस डीएवी स्कूल में छात्रों की ‘गुप्त सरकार’ का गठन, जानिए कौन-कौन बना नेता
बहरागोड़ा स्थित टीएस डीएवी पब्लिक स्कूल में छात्र परिषद् का गठन किया गया। जानिए कैसे चुने गए छात्र नेता, किसने संभाली कौन सी ज़िम्मेदारी और क्या रहा समारोह का इतिहास और संदेश।
बहरागोड़ा के प्रतिष्ठित टीएस डीएवी पब्लिक स्कूल में 3 मई को एक ऐतिहासिक क्षण देखा गया, जब छात्रों की नई 'छात्र परिषद्' का गठन किया गया। यह कोई साधारण नामांकन नहीं था, बल्कि एक ऐसी प्रक्रिया थी जिसने न केवल छात्रों में नेतृत्व की भावना को जगाया, बल्कि पूरे विद्यालय वातावरण को लोकतांत्रिक रंगों में रंग दिया।
आज जब शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रही, ऐसे में स्कूलों में नेतृत्व कौशल का विकास एक अहम कदम है। टीएस डीएवी पब्लिक स्कूल ने इस दिशा में एक प्रेरणादायक पहल करते हुए अपने छात्रों को विभिन्न भूमिकाओं में जिम्मेदारियां सौंपीं।
चार वेदों से प्रेरित सदनों की स्थापना
कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के CCA (सांस्कृतिक एवं सह-पाठ्यक्रम गतिविधि) विभाग द्वारा की गई, जहां छात्रों को चार समूहों में बांटा गया। ये समूह किसी साधारण नाम से नहीं, बल्कि भारत की वैदिक परंपरा को सम्मान देते हुए चारों वेदों—ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद—के नाम पर नामित किए गए।
यह कदम यह दर्शाता है कि विद्यालय न केवल आधुनिक शिक्षा बल्कि भारतीय संस्कृति से भी अपने छात्रों को जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।
छात्र परिषद् का गठन: कौन बना कौन?
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा छात्र परिषद् का गठन, जिसमें छात्रों की काबिलियत, नेतृत्व क्षमता और व्यवहार के आधार पर प्रमुख पदों का चयन हुआ।
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हेड बॉय के रूप में अच्युतानंद साव को चुना गया—एक ऐसा नाम जो स्कूल में अनुशासन और निष्ठा के लिए जाना जाता है।
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हेड गर्ल बनीं शिप्रा मन्ना, जो पिछले वर्ष से ही विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों में अपनी भूमिका से चर्चित रही हैं।
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छात्र संयोजक के रूप में नवमी कर और
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सांस्कृतिक संयोजक बनीं अदिति दे, जो कला और मंच संचालन में माहिर मानी जाती हैं।
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खेल संयोजक के रूप में महितोष पैरा का चयन हुआ, जो स्कूल के प्रमुख एथलीटों में से एक हैं।
साथ ही सहायक पदों पर
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अभिराज लंका को सहायक हेड बॉय और
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जागृति बारिक को सहायक हेड गर्ल चुना गया।
इतिहास में झांकें तो...
छात्र परिषद् की अवधारणा कोई नई नहीं है। इसकी जड़ें प्राचीन गुरुकुल परंपरा में भी मिलती हैं, जहां छात्रों को केवल विद्या ही नहीं बल्कि जिम्मेदारी और नेतृत्व की शिक्षा भी दी जाती थी। आधुनिक स्कूलों में यह परंपरा छात्र लोकतंत्र और नेतृत्व विकास के रूप में जीवित है।
टीएस डीएवी बहरागोड़ा हर वर्ष इस परंपरा को और सशक्त बनाता आ रहा है, और इस बार का आयोजन भी उसी परंपरा का एक सशक्त उदाहरण था।
प्राचार्य का संदेश: सिर्फ पढ़ाई नहीं, ज़िम्मेदारी भी जरूरी
सभा के अंत में विद्यालय के प्राचार्य श्री मुकेश कुमार ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा,
“आप सभी को केवल पढ़ाई में ही नहीं, बल्कि खेल, सांस्कृतिक गतिविधियों और नेतृत्व में भी आगे आना चाहिए। यही आपके संपूर्ण विकास का आधार बनेगा। आपका उज्ज्वल भविष्य आपके और आपके स्कूल व परिवार का नाम रोशन करेगा।”
उनकी बातों ने न केवल नवगठित परिषद् को दिशा दी, बल्कि अन्य छात्रों को भी प्रोत्साहित किया कि वे अगले साल खुद भी इन पदों के लिए प्रयास करें।
अध्यापकों की सहभागिता और प्रेरणा
कार्यक्रम में विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाओं की उपस्थिति ने इसे और गरिमा प्रदान की। उन्होंने न केवल आयोजन को सफल बनाया, बल्कि छात्रों को जिम्मेदारी से निभाने के लिए उत्साहित भी किया।
नेतृत्व की पहली सीढ़ी
टीएस डीएवी पब्लिक स्कूल, बहरागोड़ा का यह कार्यक्रम सिर्फ एक नामांकन समारोह नहीं था, बल्कि यह छात्रों के व्यक्तित्व निर्माण और नेतृत्व के पहले कदम का प्रतीक था। यह दिखाता है कि भविष्य के नेता किताबों में नहीं, क्लासरूम और मंच पर तैयार होते हैं।
क्या आपके स्कूल में भी इस तरह की छात्र परिषद् बनती है? क्या आपने कभी स्कूल में कोई पद संभाला है?
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