Jamshedpur Honors: शहीद खुदीराम बोस की जयंती पर पार्क में हुआ विशेष आयोजन

जमशेदपुर के परसुडीह में शहीद खुदीराम बोस की जयंती पर पार्क में माल्यार्पण और श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित हुआ। जानें, उनके बलिदान की कहानी और इस पहल का महत्व।

Dec 3, 2024 - 20:21
Dec 3, 2024 - 20:27
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Jamshedpur Honors: शहीद खुदीराम बोस की जयंती पर पार्क में हुआ विशेष आयोजन
Jamshedpur Honors: शहीद खुदीराम बोस की जयंती पर पार्क में हुआ विशेष आयोजन

03 दिसम्बर, 2024: जमशेदपुर के परसुडीह मकदमपुर के निकट शहीद खुदीराम बोस की जयंती को लेकर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान स्थानीय लोगों और क्षेत्र के प्रमुख व्यक्तियों ने उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। साथ ही, उनके आदर्शों और बलिदान को याद करते हुए उनके पदचिन्हों पर चलने का संकल्प लिया।

शहीद खुदीराम बोस: एक क्रांतिकारी की गाथा

शहीद खुदीराम बोस भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे युवा और साहसी स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थे। 1908 में मात्र 18 वर्ष की आयु में अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया। उनके अद्वितीय साहस और देशभक्ति ने लाखों युवाओं को प्रेरित किया।

उनकी स्मृति में परसुडीह के मकदमपुर में "शहीद खुदीराम बोस पार्क" का निर्माण किया गया है। यह पार्क गंदगी और अव्यवस्था से परेशान स्थानीय लोगों के लिए एक राहत स्थल बन गया है।

पार्क का निर्माण: विधायक मंगल कालिंदी की पहल

मकदमपुर के निवासी लंबे समय से गंदगी और दुर्गंध से परेशान थे। स्थानीय विधायक मंगल कालिंदी ने इस समस्या को हल करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया। उनके प्रयासों से इस स्थान को साफ कर एक सुंदर और उपयोगी पार्क में परिवर्तित किया गया। इसे शहीद खुदीराम बोस पार्क का नाम दिया गया।

आज यह पार्क न केवल एक सार्वजनिक स्थान है, बल्कि स्वतंत्रता संग्राम के इस महानायक की याद को जीवित रखने का एक प्रतीक भी है।

जयंती समारोह की खास झलकियां

शहीद खुदीराम बोस की जयंती के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में स्थानीय लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

  • माल्यार्पण और श्रद्धांजलि: पार्क स्थित खुदीराम बोस की प्रतिमा पर फूलों से सजावट की गई।
  • प्रेरणादायक भाषण: वक्ताओं ने उनके बलिदान की कहानियां सुनाईं और नई पीढ़ी को उनके पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित किया।
  • संस्कृतिक गतिविधियां: बच्चों और युवाओं ने स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी प्रस्तुतियां दीं, जिससे देशभक्ति का माहौल बना।

ऐतिहासिक दृष्टिकोण: क्यों खास हैं खुदीराम बोस?

खुदीराम बोस ने स्वतंत्रता के लिए अपना सब कुछ त्याग दिया। 1908 में अंग्रेज जज किंग्सफोर्ड पर हमला करते हुए उन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया। उनकी यह कुर्बानी हर भारतीय के दिल में देशभक्ति की लौ जलाती है।

परसुडीह में उनके नाम पर बना पार्क इस बात का प्रतीक है कि उनके आदर्श और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता।

पार्क का महत्व और स्थानीय लोगों की भावना

शहीद खुदीराम बोस पार्क अब स्थानीय निवासियों के लिए सिर्फ एक सार्वजनिक स्थान नहीं, बल्कि गर्व का प्रतीक बन गया है।

  • स्वच्छता और हरियाली: यह पार्क मकदमपुर क्षेत्र में स्वच्छता का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
  • युवाओं के लिए प्रेरणा: इस जगह पर आकर लोग खुदीराम बोस के बलिदान से प्रेरणा लेते हैं।

एक आदर्श की स्थापना

शहीद खुदीराम बोस की जयंती पर आयोजित यह कार्यक्रम उनके बलिदान और आदर्शों को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का एक सराहनीय प्रयास था। पार्क का निर्माण इस बात को दर्शाता है कि हम अपने इतिहास और स्वतंत्रता सेनानियों को नहीं भूल सकते।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।