रतन टाटा का निधन लौहनगरी जमशेदपुर के लिए अपूरणीय क्षति है | जानिए कांग्रेस की भावनाएं
जिला कांग्रेस कमेटी ने रतन टाटा के निधन पर शोक सभा का आयोजन किया और उन्हें लौहनगरी जमशेदपुर के लिए अपूरणीय क्षति करार दिया। जानें कांग्रेस नेताओं ने क्या कहा।
जमशेदपुर: क्या रतन टाटा का निधन लौहनगरी जमशेदपुर के लिए एक अपूरणीय क्षति है? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए पूर्वी सिंहभूम जिला कांग्रेस कमेटी ने शोक सभा का आयोजन किया, जहां नेताओं ने रतन टाटा के अभूतपूर्व योगदान को याद किया और उनके निधन को शहर और देश के लिए भारी क्षति बताया। शोक सभा जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे के नेतृत्व में तिलक पुस्तकालय में आयोजित की गई, जहां कांग्रेस नेताओं ने उनके सम्मान में 24 घंटे के लिए पार्टी का झंडा आधा झुका दिया और सभी राजनैतिक कार्यक्रम स्थगित कर दिए।
टाटा की विरासत को लेकर चिंता
जिला अध्यक्ष आनंद बिहारी दुबे ने शोक सभा में अपने संदेश में कहा कि रतन टाटा सिर्फ एक उद्योगपति नहीं थे, बल्कि जमशेदपुर के लिए प्रत्यक्ष रूप से 'अन्नदाता' थे। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने देश की सेवा की, और उनकी मानवीय सोच ने उन्हें एक सामान्य व्यवसायी से कहीं अधिक बना दिया। श्री दुबे ने विशेष रूप से टाटा नैनो कार लॉन्च करने के निर्णय को याद करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक व्यावसायिक कदम नहीं था, बल्कि मध्यम वर्ग के भारतीय परिवारों के लिए एक सुरक्षित और किफायती वाहन का सपना था।
कांग्रेस नेताओं ने उनके जीवन और करियर के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की, जिसमें टाटा समूह द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मोटर कंपनियों जैगुआर और लैंड रोवर का अधिग्रहण शामिल था। इसे उन्होंने केवल एक व्यावसायिक निर्णय नहीं, बल्कि रतन टाटा की प्रचंड देशभक्ति का प्रतीक बताया। दुबे ने बताया कि किस प्रकार रतन टाटा ने अपने दृढ़ संकल्प और नेतृत्व से फोर्ड कंपनी के मालिक को करारा जवाब दिया, यह साबित करते हुए कि कोई भी कार्य एक भारतीय के लिए असंभव नहीं है।
मानवीय मूल्यों के संरक्षक
सभा में नेताओं ने टाटा समूह की व्यवसाय में मानवीय मूल्यों की प्राथमिकता को भी रेखांकित किया। यह बताया गया कि रतन टाटा केवल एक उद्योगपति नहीं थे, बल्कि उन्होंने व्यवसाय को भी मानवीय दृष्टिकोण से देखा। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने समाज में सकारात्मक योगदान दिया, और उनकी विरासत इस मानवीयता से जुड़ी रही।
दुबे ने भावुकता से कहा, "रतन टाटा हमारे लिए एक अभिभावक की तरह थे। उनके निधन से न केवल टाटा समूह को, बल्कि संपूर्ण जमशेदपुर और देश को एक अपूरणीय क्षति हुई है। आज हम सभी शोकाकुल हैं और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लेते हैं।"
क्या मिल सकता है रतन टाटा को भारत रत्न?
शोक सभा के दौरान नेताओं ने यह भी कहा कि रतन टाटा का योगदान इतना विशाल है कि उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना चाहिए। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि रतन टाटा ने उद्योग और समाज के लिए जो किया है, उसे देखते हुए यह सम्मान देना जरूरी है।
शोकसभा में भावनाओं का उमड़ा सैलाब
सभा में जिला कांग्रेस के कई प्रमुख नेता और कार्यकर्ता मौजूद रहे, जिनमें अशोक चौधरी, रियाजुद्दीन खान, ब्रजेन्द्र तिवारी, ज्योति मिश्र, रशी मिश्रा, सन्नी सिंह, निखिल तिवारी और सैकड़ों कार्यकर्ता शामिल थे। सभी ने रतन टाटा को अंतिम विदाई देते हुए उनकी महान विरासत को आगे बढ़ाने की बात कही।
सभा का समापन कार्यालय प्रभारी संजय सिंह आजाद द्वारा किया गया, जिन्होंने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया और इस महान व्यक्तित्व को हमेशा याद रखने की अपील की।
क्या जमशेदपुर कभी रतन टाटा की कमी को भर पाएगा?
यह सवाल अब भी लोगों के दिलों में गूंज रहा है। रतन टाटा का योगदान इतना बड़ा है कि उनके बिना जमशेदपुर और टाटा समूह की विरासत अधूरी सी लगती है।
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