क्या रतन टाटा का निधन भारत के उद्योग जगत के लिए अपूरणीय क्षति है? जानिए पूर्व सैनिक सेवा परिषद की राय
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने रतन टाटा के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए इसे भारत के लिए अपूरणीय क्षति बताया है। जानिए उनके विचार और रतन टाटा की अद्वितीय विरासत के बारे में।
देश के उद्योग जगत के सबसे प्रतिष्ठित और प्रिय ‘रतन’ रतन नवल टाटा का निधन केवल एक व्यक्ति का अंत नहीं, बल्कि एक युग का समापन है। 86 वर्ष की उम्र में, उन्होंने मुंबई में अंतिम सांस ली, और उनके निधन से देश में शोक की लहर दौड़ गई। रतन टाटा के निधन पर सिर्फ उद्योग जगत ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग में गहरी शून्यता पैदा हो गई है। अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए इसे भारत के लिए एक अपूरणीय क्षति बताया है।
पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने क्यों कहा कि यह एक अपूरणीय क्षति है?
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के संस्थापक वरुण कुमार ने रतन टाटा के निधन को बेहद दुखद और स्तब्धकारी बताया। उन्होंने कहा कि रतन टाटा केवल उद्योगपति नहीं थे, बल्कि उनकी सादगी, निस्वार्थ सेवा और समाज के प्रति संवेदनशीलता ने उन्हें एक अभूतपूर्व इंसान बना दिया था। उन्होंने अपने नेतृत्व, नैतिकता और दूरदर्शी सोच से भारतीय उद्योग को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाई।
रतन टाटा के व्यवसायिक निर्णय, चाहे वह टाटा नैनो की लॉन्चिंग हो या फिर जैगुआर और लैंड रोवर जैसी अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों का अधिग्रहण, भारतीय उद्योग जगत के लिए मील का पत्थर साबित हुए। उनका हर कदम न केवल व्यापार के लिए था, बल्कि इससे समाज को भी बड़ा फायदा हुआ।
क्या टाटा का समाज के प्रति योगदान उन्हें सबसे अलग बनाता है?
रतन टाटा के योगदान सिर्फ व्यापारिक क्षेत्र तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय काम किए। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने लाखों लोगों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव लाए। यही कारण है कि रतन टाटा केवल एक व्यवसायी नहीं, बल्कि एक समाजसेवी भी थे।
पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने भी इसी बात पर जोर दिया कि रतन टाटा की सादगी और सेवा भावना उन्हें समाज के हर वर्ग में प्रिय बनाती थी। उनके सामाजिक कार्यों ने उन्हें एक आदर्श और प्रेरणास्रोत बना दिया था। श्री कुमार ने कहा, "रतन टाटा का जीवन, उनके आदर्श और उनकी सोच हमेशा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे।"
क्या भारत को ऐसे व्यक्तित्व की कमी महसूस होती रहेगी?
रतन टाटा के निधन से जो शून्यता पैदा हुई है, उसे भर पाना शायद कभी संभव नहीं हो सकेगा। अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने इस दुख की घड़ी में उनके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि देश ने एक अमूल्य रत्न को खो दिया है।
परिषद के सदस्य मानते हैं कि रतन टाटा ने समाज और व्यापार के बीच जो पुल बनाया था, वह अभूतपूर्व है। उनके निधन से जो खालीपन आया है, उसे भर पाना मुश्किल है।
रतन टाटा: एक विरासत जो हमेशा जीवित रहेगी
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद का मानना है कि रतन टाटा के जीवन, उनके कार्य और उनके आदर्श हमेशा आने वाली पीढ़ियों को राह दिखाते रहेंगे। वे केवल एक उद्योगपति नहीं थे, बल्कि एक ऐसे नेता थे जिन्होंने अपने कार्यों से यह साबित किया कि व्यवसाय और समाज सेवा साथ-साथ चल सकते हैं।
रतन टाटा का जीवन उनके सादगी और सेवा भावना का प्रतीक था, और आज जब हम उनके निधन पर शोक व्यक्त कर रहे हैं, तो हमें उनके द्वारा छोड़ी गई अद्वितीय विरासत को भी याद रखना चाहिए। उनका हर निर्णय, हर कदम समाज की बेहतरी के लिए उठाया गया था, और इसी कारण वे आज भी लाखों दिलों में जिंदा हैं।
अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद ने अंत में यह भी कहा कि रतन टाटा के दिखाए मार्ग पर चलना ही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उनके जीवन से हमें सीखने और प्रेरणा लेने की आवश्यकता है, ताकि हम उनके द्वारा स्थापित आदर्शों को आगे बढ़ा सकें।
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