Jamshedpur Cleaning Campaign: जमशेदपुर में मकर संक्रांति और टुसु पर्व के लिए नदी घाटों की सफाई अभियान: क्या है विशेष तैयारी?

जमशेदपुर में मकर संक्रांति और टुसु पर्व के मद्देनजर नदी घाटों की सफाई और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया। जानें इस विशेष अभियान के बारे में और कैसे यह श्रद्धालुओं के लिए बनी सुविधा।

Jan 12, 2025 - 17:06
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Jamshedpur Cleaning Campaign: जमशेदपुर में मकर संक्रांति और टुसु पर्व के लिए नदी घाटों की सफाई अभियान: क्या है विशेष तैयारी?
Jamshedpur Cleaning Campaign: जमशेदपुर में मकर संक्रांति और टुसु पर्व के लिए नदी घाटों की सफाई अभियान: क्या है विशेष तैयारी?

जमशेदपुर, झारखंड: मकर संक्रांति और टुसु पर्व के अवसर पर हर साल लाखों श्रद्धालु नदी घाटों में स्नान करने पहुंचते हैं। इन धार्मिक आयोजनों में हर कोई शुद्धता और स्वच्छता की महत्वता को समझता है। इसी उद्देश्य से, जिला दण्डाधिकारी सह उपायुक्त श्री अनन्य मित्तल के नेतृत्व में इस साल नदी घाटों की सफाई का एक विशेष अभियान चलाया गया है, ताकि श्रद्धालुओं को स्वच्छ और सुरक्षित स्नान का अनुभव मिले।

श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष तैयारी

मकर संक्रांति और टुसु पर्व एक ओर जहां धार्मिक आस्था का प्रतीक है, वहीं इन पर्वों के दौरान बड़ी संख्या में लोग नदी में स्नान के लिए पहुंचते हैं। इससे नदी घाटों पर भारी भीड़ रहती है, और इसकी वजह से सफाई और सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजाम किए जाते हैं। जिला प्रशासन के निर्देशानुसार, नगर निकायों ने युद्धस्तर पर नदी घाटों की सफाई शुरू कर दी।

इस अभियान के तहत ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव किया गया, जिससे घाटों के पानी में स्वच्छता बनी रहे और किसी भी प्रकार की गंदगी से बचाव हो सके। इसके अलावा, कई घाटों पर श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए चेंजिंग स्थल और डेंजर लाइन भी चिन्हित किए गए हैं, ताकि किसी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।

कौन-कौन से घाटों पर किया गया काम?

इस अभियान के तहत विशेष ध्यान उन घाटों पर दिया गया है, जहां पर श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ होती है। इनमें प्रमुख घाट जैसे स्वर्णरखा नदी घाट, दोमुहानी नदी घाट, कल्याण नगर घाट, भुईयाडीह घाट, सती घाट कदमा और अन्य छोटे घाटों की सफाई की गई है। इन सभी घाटों की सफाई और उनकी देखरेख नगर निकायों और स्थानीय प्रबंधकों की निगरानी में की गई, ताकि पर्व के दौरान श्रद्धालुओं को कोई असुविधा न हो।

नदी घाटों की सफाई का ऐतिहासिक महत्व

पौराणिक कथाओं और भारतीय संस्कृति में नदी घाटों का एक विशेष स्थान है। इन घाटों पर स्नान करने से मानसिक और शारीरिक शुद्धता की प्राप्ति मानी जाती है। मकर संक्रांति जैसे पर्वों पर, जब श्रद्धालु विशेष रूप से सूर्य देवता की पूजा करते हैं, तो इन घाटों पर साफ-सफाई की अहमियत और भी बढ़ जाती है। स्वच्छता और पवित्रता की यह परंपरा प्राचीन समय से चली आ रही है और इसका धार्मिक दृष्टिकोण से गहरा संबंध है।

लोक आस्था और सुरक्षा के लिए की गई पहल

इसके अलावा, घाटों पर सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखा गया है। पर्व के दौरान, नदी घाटों पर पानी के स्तर में उतार-चढ़ाव हो सकते हैं, इसलिए डेंजर लाइन का चिन्हित किया गया है, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित स्नान कर सकें। हर घाट पर चेंजिंग स्थान बनाए गए हैं, ताकि श्रद्धालु सुरक्षित तरीके से स्नान करने के बाद अपने कपड़े बदल सकें और सहज महसूस कर सकें।

सामाजिक जिम्मेदारी और प्रशासन की तत्परता

जिला प्रशासन और नगर निकायों की यह पहल न केवल धार्मिक आयोजन को सुविधाजनक बनाती है, बल्कि यह यह भी दर्शाती है कि हमारे पर्यावरण और सार्वजनिक स्थानों की देखभाल हम सभी की जिम्मेदारी है। इस अभियान ने यह संदेश भी दिया है कि प्रशासन अपने नागरिकों की सुरक्षा और स्वच्छता के प्रति कितनी गंभीर है।

नदी घाटों की सफाई के लिए सरकारी पहल की सराहना

श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों द्वारा इस सफाई अभियान को लेकर प्रशासन की सराहना की जा रही है। इसके अलावा, यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि इस तरह के अभियान भविष्य में भी जारी रहेंगे, ताकि धार्मिक आयोजनों के दौरान कोई भी असुविधा न हो और लोग सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में अपने धर्म के कर्मों को पूर्ण कर सकें।

मकर संक्रांति और टुसु पर्व के दौरान, जब लाखों श्रद्धालु नदी घाटों पर स्नान के लिए पहुंचते हैं, ऐसे में नदी घाटों की सफाई और सुरक्षा का महत्व और भी बढ़ जाता है। प्रशासन की यह पहल न केवल स्वच्छता सुनिश्चित करती है, बल्कि श्रद्धालुओं को एक सुरक्षित और सुखद अनुभव भी प्रदान करती है।

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Nihal Ravidas निहाल रविदास, जिन्होंने बी.कॉम की पढ़ाई की है, तकनीकी विशेषज्ञता, समसामयिक मुद्दों और रचनात्मक लेखन में माहिर हैं।