Telco Protest: ठेका मजदूरों का हंगामा, गुजरात ट्रांसफर पर फूटा गुस्सा, विधायक ने प्रबंधन से मांगा जवाब
टेल्को के जेम्को कांबी मिल के ठेका मजदूरों का विरोध प्रदर्शन! गुजरात ट्रांसफर और फाइनल सेटलमेंट को लेकर बढ़ा विवाद। जानें, विधायक पूर्णिमा साहू ने कैसे संभाला मामला।
जमशेदपुर: टेल्को थाना क्षेत्र के जेम्को कांबी मिल के निजी ठेका मजदूरों ने गुरुवार को कंपनी गेट के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इनसाइडर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नामक एजेंसी के तहत काम करने वाले इन मजदूरों का आरोप है कि कंपनी उन्हें जबरन गुजरात भेजना चाहती है। मजदूरों का कहना है कि वे गुजरात ट्रांसफर के लिए तैयार नहीं हैं, लेकिन विरोध करने वालों को फाइनल सेटलमेंट का पैसा नहीं दिया जा रहा।
क्या है ठेका मजदूरों की समस्या?
मजदूरों ने बताया कि निजी एजेंसी ने उन्हें विकल्प दिया है कि या तो वे गुजरात में काम करें या फिर नौकरी छोड़ दें। जो लोग गुजरात जाने से मना कर रहे हैं, उन्हें फाइनल सेटलमेंट की राशि से वंचित किया जा रहा है। यही नहीं, कंपनी की इस नीति से परेशान ठेका मजदूरों ने गुरुवार को विधायक पूर्णिमा साहू से मुलाकात की।
विधायक पूर्णिमा साहू का त्वरित एक्शन
मजदूरों की शिकायत सुनने के बाद विधायक पूर्णिमा साहू ने तुरंत कंपनी के एजीएम अमित हलदर से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद विधायक खुद जेम्को स्थित कांबी मिल प्लांट पहुंच गईं और मामले की तह तक जाने के लिए प्रबंधन से मुलाकात की।
विधायक ने कंपनी प्रबंधन को मजदूरों की समस्याओं का समाधान करने के लिए तीन दिन का समय दिया है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि यदि प्रबंधन ने मजदूरों के हित में कोई कदम नहीं उठाया, तो वह मजदूरों के साथ मिलकर बड़ा आंदोलन करेंगी।
गुजरात ट्रांसफर का विवाद: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य
ठेका मजदूरों का इस तरह का प्रदर्शन नया नहीं है। देशभर में ठेका मजदूरों के अधिकारों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। 1970 और 1980 के दशक में "ठेका प्रथा विरोधी आंदोलन" ने जोर पकड़ा था। इस आंदोलन ने सरकार और प्राइवेट कंपनियों को मजबूर किया कि वे ठेका मजदूरों के अधिकारों की रक्षा करें।
लेकिन आज भी ठेका मजदूरों को स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं। गुजरात जैसे स्थानों पर ट्रांसफर की स्थिति में वे न तो अपने परिवार को साथ ले जा पाते हैं और न ही उन्हें उचित आर्थिक मुआवजा मिलता है।
प्रदर्शन में मजदूरों की एकजुटता
प्रदर्शन कर रहे मजदूरों ने कहा, "हमारे परिवार यहां हैं, गुजरात जाना हमारे लिए संभव नहीं है। यदि हमें जबरदस्ती भेजा गया तो हम सड़क पर आ जाएंगे।"
मजदूरों ने प्रबंधन पर यह भी आरोप लगाया कि कंपनी उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश कर रही है और जो लोग विरोध कर रहे हैं, उन्हें पैसे से वंचित कर दिया जा रहा है।
प्रबंधन की प्रतिक्रिया
कंपनी प्रबंधन ने विधायक से तीन दिन का समय मांगा है ताकि वे मजदूरों की समस्याओं का हल निकाल सकें। हालांकि, मजदूरों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी समस्याओं का समाधान नहीं हुआ, तो वे आंदोलन को और तेज करेंगे।
मजदूर अधिकारों की रक्षा की आवश्यकता
यह मामला सिर्फ टेल्को का नहीं, बल्कि पूरे देश में ठेका मजदूरों की स्थिति का प्रतीक है। ठेका प्रथा के तहत मजदूरों को न केवल कम वेतन मिलता है, बल्कि उनके पास स्थायी कर्मचारियों जैसी सुरक्षा भी नहीं होती।
झारखंड सरकार और केंद्रीय श्रम मंत्रालय को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि मजदूरों के हितों की रक्षा हो सके। ठेका मजदूरों को एक स्थायी और सम्मानजनक जीवन देने के लिए नीतिगत बदलाव की आवश्यकता है।
जेम्को कांबी मिल के ठेका मजदूरों का यह प्रदर्शन एक चेतावनी है कि यदि उनके अधिकारों का हनन हुआ तो वे चुप नहीं बैठेंगे। विधायक पूर्णिमा साहू के हस्तक्षेप से मजदूरों को उम्मीद है कि उनकी समस्याओं का समाधान निकलेगा।
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