Jamshedpur Murder: गढ़ाबासा बस्ती में जादू-टोना के शक पर युवक की गला रेतकर हत्या, इलाके में तनाव
जमशेदपुर के गढ़ाबासा में 22 वर्षीय अजय बासा की जादू-टोना के शक में गला रेतकर हत्या कर दी गई। घटना से पूरे इलाके में तनाव फैल गया है। पुलिस ने आरोपी संदीप को गिरफ्तार कर लिया है और जांच जारी है।

जमशेदपुर एक बार फिर सनसनीखेज वारदात से दहल उठा है। गोलमुरी थाना क्षेत्र के गढ़ाबासा बस्ती में सोमवार देर रात 22 वर्षीय युवक अजय बासा उर्फ डांटू की गला रेतकर हत्या कर दी गई। घटना ने पूरे इलाके में दहशत का माहौल पैदा कर दिया है।
स्थानीय लोगों के अनुसार, अजय देर रात अपने मित्र संदीप के साथ घर से निकला था। लेकिन कुछ घंटे बाद उसकी लाश खून से लथपथ हालत में गढ़ाबासा बस्ती में मिली। आनन-फानन में उसे टाटा मुख्य अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
जादू-टोना का एंगल
इस हत्या ने इलाके में अंधविश्वास की काली परछाई को उजागर कर दिया है। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि संदीप तांत्रिक गतिविधियों में लिप्त रहता था और जादू-टोना के शक में उसने ही अजय की हत्या की है। पुलिस ने आरोपी संदीप को हिरासत में ले लिया है और उससे पूछताछ जारी है।
थाना प्रभारी संजय सुमन ने बताया कि हत्या की वास्तविक वजह का खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही हो सकेगा। हालांकि शुरुआती जांच में यह बात सामने आ रही है कि अंधविश्वास और आपसी विवाद इस जघन्य अपराध के पीछे की मुख्य वजह हो सकते हैं।
परिवार का रो-रोकर बुरा हाल
अजय घर का इकलौता बेटा था। कुछ दिन पहले ही उसके पिता का निधन हो गया था। अब बेटे की निर्मम हत्या ने उसकी मां और बहन को पूरी तरह तोड़ दिया है। परिजनों का कहना है कि अजय एक सीधा-सादा युवक था और उसकी किसी से दुश्मनी नहीं थी।
इलाके के लोगों ने भी बताया कि अजय हमेशा मिलनसार स्वभाव का था। लेकिन जिस तरह से उसकी हत्या की गई है, उससे पूरे मोहल्ले में आक्रोश और भय का माहौल है।
इतिहास से सबक
भारत में जादू-टोना और अंधविश्वास से जुड़ी घटनाएं नई नहीं हैं। झारखंड, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों में अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती रही हैं, जहां लोगों को तंत्र-मंत्र के शक में मौत के घाट उतार दिया गया। झारखंड में तो "विच हंटिंग" यानी डायन बताकर हत्या जैसी घटनाओं पर कई बार सामाजिक संगठनों और सरकार को चिंता जतानी पड़ी है।
2015 में झारखंड सरकार ने "विचक्राफ्ट प्रिवेंशन एक्ट" लागू किया था, ताकि इस तरह के अपराधों पर रोक लग सके। बावजूद इसके, ग्रामीण और शहरी इलाकों में अंधविश्वास की जड़ें अब भी गहरी हैं। गढ़ाबासा की यह वारदात उसी की एक कड़ी है, जिसने समाज को फिर झकझोर दिया है।
पुलिस की सख्ती और लोगों की मांग
घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस बल मौके पर पहुंचा और स्थिति को नियंत्रण में किया। गढ़ाबासा में तनाव को देखते हुए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। लोगों का कहना है कि आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।
स्थानीय नागरिकों ने मांग की है कि प्रशासन केवल गिरफ्तारी तक सीमित न रहे, बल्कि समाज में अंधविश्वास के खिलाफ जागरूकता अभियान भी चलाए। उनका कहना है कि जब तक लोग शिक्षा और जागरूकता से नहीं जुड़ेंगे, तब तक इस तरह की घटनाओं को रोक पाना मुश्किल होगा।
समाज के लिए बड़ा सवाल
गढ़ाबासा की यह घटना केवल एक हत्या नहीं, बल्कि समाज के सामने खड़ा एक बड़ा सवाल है—क्या 21वीं सदी में भी लोग अंधविश्वास और जादू-टोना के नाम पर खून बहाते रहेंगे?
अजय की मौत ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि विकास की दौड़ में आगे बढ़ते भारत में शिक्षा और जागरूकता कितनी आवश्यक है। अगर समाज को अंधविश्वास की बेड़ियों से मुक्त करना है, तो ऐसी घटनाओं पर सिर्फ कानून ही नहीं, बल्कि सामूहिक सामाजिक प्रयास भी ज़रूरी है।
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