Jamshedpur Gurudwara Committee Formation: जम्को गुरुद्वारा में नई कमेटी का गठन, बदली जिम्मेदारियों से जुड़ी नई उम्मीदें
जमशेदपुर के जम्को गुरुद्वारा में नई कमेटी का गठन हुआ, जिम्मेदारियों का बंटवारा कर गुरुद्वारा सेवा के लिए नए सदस्यों को सौंपा गया काम। पढ़ें पूरी जानकारी।

जमशेदपुर: धार्मिक और सामाजिक संगठनों में नेतृत्व परिवर्तन केवल पदों का बंटवारा नहीं होता, बल्कि एक नए दौर की शुरुआत होती है। ऐसा ही एक विशेष अवसर देखने को मिला आजाद बस्ती स्थित जम्को गुरुद्वारा साहिब में, जहां रविवार को गुरुद्वारे की नई कमेटी का गठन प्रधान सरदार जरनैल सिंह की देखरेख में किया गया।
इस मौके पर गुरुद्वारे के कई नवनियुक्त सदस्यों को उनकी योग्यता और अनुभव के आधार पर विभिन्न महत्वपूर्ण जिम्मेदारियाँ सौंपी गईं। कार्यक्रम में पूरी संगत ने हिस्सा लिया और इसे सेवा व समर्पण के नए चरण की शुरुआत बताया।
जरनैल सिंह का संदेश: सेवा, समर्पण और संगत की भलाई
प्रधान सरदार जरनैल सिंह ने नवनियुक्त सदस्यों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि, “नई कमेटी गुरुद्वारे के विकास, संगत की सुविधा और सेवा के लिए तन-मन-धन से समर्पित होकर कार्य करेगी। सेवा का यह कार्य सिर्फ एक औपचारिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि आध्यात्मिक संकल्प है।”
उन्होंने यह भी कहा कि नई टीम का गठन सोच-समझ कर, अनुभव और समर्पण को ध्यान में रखकर किया गया है। "मुझे विश्वास है कि यह टीम पूरी निष्ठा के साथ गुरुद्वारा प्रबंधन और संगत की सेवा में लगी रहेगी।"
नवगठित कमेटी के प्रमुख सदस्य और उनके दायित्व
नवगठित कमेटी में कई पुराने चेहरों के साथ कुछ नए नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने पहले भी समाजिक व धार्मिक कार्यों में भागीदारी निभाई है। उनके नाम और पद इस प्रकार हैं:
-
चेयरमैन:
-
जागीर सिंह सरली
-
जरनैल सिंह नागोंके
-
-
सीनियर मीत प्रधान:
-
शरणजीत सिंह
-
-
जनरल सेक्रेटरी:
-
गुरविंदर सिंह
-
जोगिंदर सिंह सैनी
-
-
सेक्रेटरी:
-
नरेंद्र सिंह सैनी
-
सरजीत सिंह नागोंके
-
कुलवंत सिंह कांटा
-
-
मीत प्रधान:
-
सुखदेव सिंह सरली
-
चरणजीत सिंह
-
सरदूल सिंह
-
गुरदीप सिंह
-
सरजीत सिंह
-
गुरुद्वारा सेवा: इतिहास और महत्व
सिख समुदाय में गुरुद्वारा सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं होता, बल्कि यह सामाजिक, सांस्कृतिक और सेवा का केंद्र होता है। गुरु नानक देव जी की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, गुरुद्वारे में लंगर, सेवा और संगत की भावना को सर्वोपरि माना जाता है।
कमेटी का गठन भी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल होती है—ताकि गुरुद्वारा व्यवस्थित तरीके से चले, और संगत को हर तरह की सुविधा मिलती रहे।
इतिहास गवाह है कि जब भी गुरुद्वारा प्रबंधन में निष्पक्ष और समर्पित नेतृत्व आता है, तो न सिर्फ धार्मिक वातावरण सुधरता है, बल्कि समाज में भाईचारे की भावना भी प्रबल होती है।
संगत की उम्मीदें: नया नेतृत्व, नई ऊर्जा
गुरुद्वारा संगत ने भी नई कमेटी से ढेरों उम्मीदें जताई हैं। स्थानीय संगत का कहना है कि अब समय है, जब गुरुद्वारे के भौतिक विकास के साथ-साथ सांस्कृतिक गतिविधियों को भी और बढ़ावा दिया जाए।
विशेष रूप से युवाओं की भागीदारी को प्रोत्साहित करना, महिला संगत के लिए विशेष व्यवस्थाएं करना और धार्मिक शिक्षा को बच्चों तक पहुंचाना अब इस कमेटी के अहम लक्ष्य होंगे।
जम्को गुरुद्वारा की यह नई कमेटी एक नई ऊर्जा और दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ रही है। यह केवल पदों का वितरण नहीं, बल्कि एक परंपरा को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी है।
सिख परंपरा में यह विश्वास सदैव रहा है कि सेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं। और जब सेवा में संगठन, अनुशासन और समर्पण जुड़ जाए, तब समाज को एक मजबूत आधार मिलता है।
जमशेदपुर की संगत अब इस नए नेतृत्व से उम्मीद कर रही है कि गुरुद्वारे का हर कोना और हर कार्य, 'सेवा और समर्पण' के उस स्वर्णिम इतिहास को दोहराएगा, जिसकी जड़ें गुरुओं की शिक्षाओं में हैं।
What's Your Reaction?






