Kolkata Celebration: बुजुर्गों संग नववर्ष की अनोखी शुरुआत, आशीर्वाद से भरा दिन
कोलकाता के 'प्रচেষ্টা' ग्रुप ने बंगाली नववर्ष को खास बनाने के लिए बुजुर्गों के साथ बिताया दिन, नए कपड़े, स्वादिष्ट भोजन और ढेरों आशीर्वाद से भरा रहा कार्यक्रम।

बंगाली नववर्ष यानी 'Poila Baisakh' हर साल नई शुरुआत का प्रतीक बनकर आता है। लेकिन इस बार कोलकाता के Prochestha Group ने इस पर्व को केवल उत्सव नहीं, एक सेवा और कृतज्ञता का माध्यम बना दिया। जब बाकी लोग नए कपड़ों और मिठाइयों में मस्त थे, तब 'प्रचेस्टा' समूह ने अपना पूरा दिन शहर के Old Age Home में बुजुर्गों के साथ बिताकर मिसाल कायम की।
बुजुर्गों के साथ नववर्ष: भावनाओं से भरा दिन
"हमारा दिन तो बड़ों के आशीर्वाद से ही शुरू होता है, तो फिर नए साल की शुरुआत क्यों नहीं उनके साथ हो?"—इसी सोच ने जन्म दिया इस विशेष आयोजन को। न कोई शोर-शराबा, न बड़ी सजावट—बस प्यार, सम्मान और आभार का सच्चा भाव।
नववर्ष के इस अवसर पर Prochestha Group ने बुजुर्गों को नए वस्त्र भेंट किए, स्वादिष्ट भोजन परोसा और उनके साथ समय बिताकर उन्हें फिर से अपनापन महसूस कराया। चेहरे पर आई वो मुस्कानें ही इस आयोजन की सबसे बड़ी सफलता रहीं।
आयोजन के मुख्य स्तंभ और स्वयंसेवक
इस आयोजन के पीछे सबसे मजबूत आधार रहे Subrata Das, जो इस समूह के संस्थापक सदस्य भी हैं। उनके साथ उनकी पत्नी Kumkum Das, और सामाजिक सेवा में सदैव तत्पर Dipankar Paramanik ने इस दिन को खास बनाने में अहम भूमिका निभाई।
स्वयंसेवकों में Ramesh Bannerjee, Tanmoy Chatterjee, Abhishek Singha, Ujjal Dutta, Manotosh Chattopadhyay और Dipankar Sengupta जैसे समर्पित चेहरे शामिल थे, जिन्होंने न सिर्फ आयोजन को सफल बनाया, बल्कि बुजुर्गों को परिवार जैसा प्यार भी दिया।
खास मेहमानों की गरिमामयी उपस्थिति
कार्यक्रम को और भी गरिमामयी बना दिया Shree Ansu Sarkar da की उपस्थिति ने, जो All India Yoga Federation के अध्यक्ष हैं। उनके साथ Mrs. Purabi Ghosh, Krishna Ji (मुखिया, दिव्य धाम), Gauri Di और Manisha Di (योग संयोजक) ने भी कार्यक्रम में अपनी सक्रिय भागीदारी निभाई।
इन सभी ने अपने संबोधनों के माध्यम से बुजुर्गों को सम्मान देने और योग-ध्यान से जीवन को सार्थक बनाने का संदेश दिया।
इतिहास में झांकें तो...
भारतीय संस्कृति में बुजुर्गों को भगवान का रूप माना जाता है। हमारे त्योहारों की परंपरा में घर के बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लेना सदैव शुभ माना गया है। लेकिन बदलते समाज में जब कई वृद्धजन अकेलेपन से जूझ रहे हैं, ऐसे में इस तरह के प्रयास उन्हें फिर से सामाजिक सम्मान और अपनापन दिलाने की कोशिश हैं।
'प्रचेस्टा' जैसे संगठनों का काम केवल सेवा नहीं, बल्कि संस्कृति को जीवित रखने की दिशा में कदम है।
सिर्फ एक दिन नहीं, एक सोच
Prochestha Group का उद्देश्य केवल एक दिन का आयोजन करना नहीं है। वे समाज में ऐसे और भी प्रयासों को लगातार बढ़ावा दे रहे हैं, जहां बुजुर्गों को सिर्फ सहारा नहीं, समाज का वो स्थान दिया जाए जिसके वे हकदार हैं।
आशा और प्रेरणा का संगम
इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि पर्व केवल अपनों के साथ ही नहीं, बल्कि जिन्हें अपनापन चाहिए उनके साथ मनाया जाए तो उसकी मिठास दोगुनी हो जाती है। बुजुर्गों की आँखों में चमक और उनके चेहरे पर सुकून यह बताने के लिए काफी था कि यह नववर्ष उनके लिए कितना खास रहा।
जब समाज के युवा बुजुर्गों को अपनाकर उनके साथ अपने खास पलों को साझा करते हैं, तब वही समाज एक आदर्श बनता है। Kolkata के Prochestha Group ने यह दिखा दिया कि त्योहारों की असली रौनक रिश्तों में छुपी होती है—और उन रिश्तों को दोबारा जीवित करना ही सबसे बड़ी सेवा है।
What's Your Reaction?






