Fake News Regulations 2025 : Fake News पर सख्ती! सरकार ला रही नए नियम, Big Tech पर भी लगेगी नजर
सरकार की स्टैंडिंग कमेटी ने फेक न्यूज़ से निपटने के लिए नए नियम सुझाए हैं। इसमें कड़ी सजा, फाइन, फेक्ट-चेक यूनिट, और Big Tech कंपनियों की निगरानी शामिल है। जानिए ये बदलाव मीडिया और सोशल प्लेटफॉर्म्स पर कैसे असर डालेंगे।
11 सितंबर 2025 को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की स्टैंडिंग कमेटी ने फेक न्यूज़ से निपटने के लिए नई सिफारिशें जारी की हैं। यह कमेटी बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की अध्यक्षता में बनी है। कमेटी ने सुझाव दिया है कि फेक न्यूज़ पर सख्ती बढ़ाई जाए। इसके लिए भारी जुर्माना, तेज़ शिकायत निवारण और Big Tech कंपनियों पर निगरानी जैसे उपाय अपनाए जाएं।
नए मॉनिटरिंग सिस्टम की बात
कमेटी चाहती है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) एक स्वतंत्र निगरानी संस्था बनाए। यह संस्था सभी मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर फेक न्यूज़ की निगरानी करेगी। इसमें सरकार और मीडिया प्रतिनिधियों को शामिल किया जाएगा।
फेक न्यूज़ की परिभाषा बनानी होगी
कमेटी ने कहा कि फेक न्यूज़ की स्पष्ट परिभाषा बनाना जरूरी है। यह परिभाषा ऐसी हो जो झूठी खबरों पर रोक लगाए लेकिन संविधान द्वारा दिए गए बोलने की आज़ादी और व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन न करे।
प्रेस काउंसिल को ताकत
प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने प्रेस काउंसिल एक्ट में बदलाव की बात की है। इसमें मीडिया संस्थानों को आदेश मानना अनिवार्य होगा। न मानने पर उनकी मान्यता रोकने और सरकारी विज्ञापन बंद करने का अधिकार मिलेगा। बार-बार नियम तोड़ने पर पत्रकारों की मान्यता भी तीन महीने तक निलंबित की जा सकती है।
फेक्ट-चेक और आंतरिक ओम्बुड्समैन
कमेटी ने फेक्ट-चेक यूनिट और आंतरिक ओम्बुड्समैन हर मीडिया में अनिवार्य करने की सिफारिश की है। साथ ही शिकायत निवारण पोर्टल को मजबूत करने की बात कही गई है।
Big Tech पर भी निगरानी
सोशल मीडिया और बड़े प्लेटफॉर्म्स जैसे Google, Facebook, YouTube पर भी सख्ती होगी। एल्गोरिथम की पारदर्शिता बढ़ाने के लिए नियमित ऑडिट करने की सिफारिश की गई है। साथ ही बिग टेक कंपनियों के लिए एक समर्पित नोडल अधिकारी नियुक्त करने का सुझाव दिया गया है।
Safe Harbour पर बहस
सेक्शन 79 के तहत Big Tech कंपनियों को कुछ मामलों में छूट मिलती है। कमेटी ने इसे पूरी तरह खत्म नहीं करने की बात कही, लेकिन पारदर्शिता बढ़ाने और नियमों का पालन करवाने के लिए कदम उठाने को कहा है।
विदेशी उदाहरणों से सीख
कमेटी ने फ्रांस और यूके जैसे देशों के चुनाव और ऑनलाइन सुरक्षा कानूनों का हवाला देते हुए भारत में भी अंतर-मंत्रालयी टास्क फोर्स बनाने की सिफारिश की है।
मीडिया संगठनों की प्रतिक्रिया
मीडिया संस्थानों ने जिम्मेदारी स्वीकार की है लेकिन सख्त नियमों को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने सजा को नागरिक कानून के तहत लाने और क्रमिक दंड व्यवस्था अपनाने का सुझाव दिया है।
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