East Singhbhum Jobs: बागजांता माइंस के 41 ठेका मजदूरों को मिला रोजगार, 8 दिन से चल रहा आंदोलन खत्म

बागजांता माइंस में 41 ठेका मजदूरों को रोजगार देने पर सहमति बनी। मंत्री रामदास सोरेन की पहल से 8 दिनों से जारी सड़क जाम आंदोलन खत्म। पढ़ें पूरी खबर।

Dec 24, 2024 - 10:26
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East Singhbhum Jobs: बागजांता माइंस के 41 ठेका मजदूरों को मिला रोजगार, 8 दिन से चल रहा आंदोलन खत्म
East Singhbhum Jobs: बागजांता माइंस के 41 ठेका मजदूरों को मिला रोजगार, 8 दिन से चल रहा आंदोलन खत्म

मुसाबनी: बागजांता माइंस के ठेका मजदूरों के लिए अच्छी खबर आई है। आठ दिनों से जारी आंदोलन का अंत हो गया है। शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन की अध्यक्षता में हुई वार्ता के बाद रेज समूह के 41 ठेका मजदूरों को रोजगार देने पर सहमति बन गई है।

24 दिसंबर से मजदूरों को काम पर वापस बुलाने का आश्वासन मिलने के बाद ठेकाकर्मियों ने अपना सड़क जाम आंदोलन समाप्त कर दिया।

बागजांता माइंस का गतिरोध: क्या है मामला?

16 दिसंबर से रेज समूह के ठेका मजदूर सड़क जाम कर रहे थे। उनकी मांग थी कि उन्हें रोजगार दिया जाए।

  • मुख्य कारण:
    • प्रबंधन की टेंडर प्रक्रिया में देरी।
    • मजदूरों को लंबे समय से काम न मिलने की शिकायत।
  • आंदोलन का असर:
    • बागजांता माइंस में खनन कार्य ठप।
    • स्थानीय सड़क मार्ग बाधित।

मंत्री रामदास सोरेन की पहल से समाधान

शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने इस विवाद को सुलझाने के लिए सोमवार को यूसिल जादूगोड़ा में प्रबंधन और मजदूरों के बीच वार्ता आयोजित की।

  • मुख्य निर्णय:
    • 41 ठेका मजदूरों को 24 दिसंबर से रोजगार मिलेगा।
    • 9 दिसंबर से मजदूरों की हाजिरी दर्ज करने का आदेश।
    • प्रबंधन को मजदूरों के हित में तेजी से टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश।

मंत्री ने स्पष्ट किया कि मजदूरों को काम न मिलना प्रबंधन की गलती है और इसका खामियाजा उन्हें नहीं भुगतना चाहिए।

इतिहास से सबक: खदान मजदूरों की संघर्ष गाथा

खनन उद्योग में मजदूरों का संघर्ष नया नहीं है।

  • 1980 के दशक: खदानों में बेहतर वेतन और सुरक्षा के लिए कई आंदोलनों का दौर।
  • 2000 का दशक: ठेका मजदूरों की अस्थायी नौकरियों और उनके अधिकारों को लेकर बढ़ता विवाद।
  • बागजांता माइंस का वर्तमान मामला: यह खदान झारखंड के खनिज संपन्न क्षेत्रों में से एक है। यहां मजदूरों की मुख्य समस्या रोजगार की स्थिरता और समय पर भुगतान है।

वार्ता में शामिल प्रमुख हस्तियां

वार्ता में प्रबंधन और मजदूर संगठनों के कई महत्वपूर्ण प्रतिनिधि उपस्थित थे, जिनमें शामिल हैं:

  • जीएम माइंस: मनोरंजन महाली।
  • वरीय प्रबंधक: डी. हांसदा।
  • मजदूर प्रतिनिधि: प्रधान सोरेन, रामचंद्र मुर्मू।

आंदोलन खत्म, लेकिन चुनौतियां अभी बाकी

हालांकि आंदोलन खत्म हो गया है, लेकिन मजदूरों के स्थाई रोजगार और बेहतर कार्य परिस्थितियों की मांग अब भी प्रासंगिक है।

  • भविष्य की रणनीति:
    • प्रबंधन को टेंडर प्रक्रिया में पारदर्शिता लानी होगी।
    • मजदूर संगठनों को रोजगार सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने होंगे।

ट्रेंडिंग सवाल: क्या मजदूरों के अधिकार सुरक्षित हैं?

बागजांता माइंस का यह मामला यह सवाल उठाता है कि ठेका मजदूरों के अधिकार और रोजगार कितना सुरक्षित हैं।
आपकी क्या राय है? क्या प्रबंधन को मजदूरों की समस्याओं पर और ध्यान देना चाहिए? हमें कमेंट में बताएं।

बागजांता माइंस के ठेका मजदूरों के लिए यह समाधान एक राहत की बात है। यह घटना हमें याद दिलाती है कि मजदूरों के अधिकारों को सुरक्षित करना केवल प्रबंधन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज का भी कर्तव्य है।


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