Jamshedpur Road Accident: तेज रफ्तार और एक गड्ढे ने 19 साल के छात्र से छीन ली जिंदगी, जुगसलाई में पसरा मातम
जमशेदपुर के पास डोबो में एक दर्दनाक सड़क हादसे में 19 वर्षीय जुनैद की मौत हो गई। बाइक की तेज रफ्तार और सड़क के गड्ढे ने उसका जीवन छीन लिया। हादसे ने पूरे जुगसलाई को सदमे में डाल दिया।

रविवार की शाम, जब बाकी लोग सैर-सपाटे में मशगूल थे,
जमशेदपुर से सटे सरायकेला-खरसावां जिले के कपाली ओपी क्षेत्र के डोबो इलाके में एक युवा छात्र की जान चली गई।
सिर्फ 19 साल का जुनैद, जो अपने दोस्तों संग बाइक से निकला था, तेज रफ्तार और एक गड्ढे का शिकार हो गया।
कैसे हुआ हादसा? एक पल की चूक, ज़िंदगी खत्म
जुनैद, जो कि जुगसलाई थाना क्षेत्र के मिल्लतनगर का रहने वाला था, अपने दोस्तों के साथ डोबो की ओर जा रहा था।
बाइक की रफ्तार काफी तेज थी। तभी अचानक रास्ते में आया एक गहरा गड्ढा,
जिसे देख कर जुनैद ने ब्रेक मारने की कोशिश की, लेकिन असंतुलन के चलते बाइक स्किड कर गई।
तेज रफ्तार में फिसली बाइक से जुनैद सीधे सड़क पर जा गिरा।
सिर पर गहरी चोट लगी और दोस्तों ने आनन-फानन में उसे टाटा मेन हॉस्पिटल (TMH) पहुंचाया,
जहां इलाज के कुछ ही समय बाद उसे मृत घोषित कर दिया गया।
कौन था जुनैद? पढ़ाई के साथ करता था काम भी
जुनैद कोई आवारा लड़का नहीं था।
वो करीम शेट्टी कॉलेज का छात्र था और साथ ही एचबीएसई में पार्ट टाइम काम भी करता था।
मजाक-मस्ती करने वाला, हंसमुख और होशियार—ऐसा बताया जा रहा है उसे जानने वाले हर इंसान की जुबां पर।
उसकी मौत की खबर मिलते ही परिजन और मोहल्ले के कई लोग अस्पताल पहुंच गए।
हाथ में मेडिकल फाइल और आंखों में आंसू लिए लोग बस एक ही सवाल पूछ रहे थे—"क्यों हुआ ये?"
जमशेदपुर की सड़कों पर मौत की दौड़
यह पहला मौका नहीं है जब तेज रफ्तार और खराब सड़कों ने किसी युवा की जान ली हो।
जमशेदपुर और उसके आस-पास के इलाकों में सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
कई बार शिकायतें भी की गईं, डोबो इलाके की सड़क पर गड्ढों की भरमार को लेकर,
पर स्थानीय प्रशासन की लापरवाही अब मौत की वजह बनती जा रही है।
जुगसलाई में मातम, सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलियों की बाढ़
जुनैद की मौत ने जुगसलाई की गलियों में सन्नाटा फैला दिया।
सोशल मीडिया पर लोगों ने जुनैद को श्रद्धांजलि देते हुए सड़क सुरक्षा पर भी सवाल उठाए।
एक पोस्ट में लिखा गया,
"19 साल की उम्र में कोई सिर्फ इसलिए मर जाए कि सड़क ठीक नहीं थी, ये हमारे सिस्टम की हार है।"
क्या रफ्तार ही गुनहगार है? या गड्ढों का भी है कोई हिसाब?
पुलिस का कहना है कि जुनैद की बाइक तेज रफ्तार में थी।
लेकिन क्या तेज रफ्तार ही अकेली वजह है?
क्या अगर सड़कें गड्ढामुक्त होतीं, तो शायद आज जुनैद जिंदा होता?
यह सवाल सिर्फ जुनैद के परिवार का नहीं, पूरे शहर का है।
हर माता-पिता अब डरते हैं कि कहीं अगला नंबर उनके बच्चे का ना हो।
कब थमेगा यह सफर अधूरा?
जुनैद की कहानी सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक चेतावनी है।
जब तक सड़कों की हालत नहीं सुधरेगी और युवाओं को ट्रैफिक नियमों की समझ नहीं दी जाएगी,
तब तक ऐसी खबरें सिर्फ ‘दुर्घटना’ नहीं, बल्कि नियमित शोक संदेश बनती रहेंगी।
क्या आप भी अपने इलाके की सड़कों की हालत से परेशान हैं?
अगर हां, तो इस खबर को शेयर करें और आवाज उठाएं।
हो सकता है अगली जिंदगी बच जाए।
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