श्रम कानूनों में बदलाव के खिलाफ श्रमिक संगठनों का काला दिवस, जमशेदपुर में रैली और विरोध प्रदर्शन
जमशेदपुर में श्रमिक संगठनों ने श्रम कानूनों में बदलाव का विरोध करते हुए काला दिवस मनाया। केंद्र सरकार से श्रम कानून वापस लेने की मांग के साथ विरोध प्रदर्शन।
जमशेदपुर, 23 सितंबर: श्रम कानूनों में किए गए बदलावों के विरोध में देशभर के श्रमिक संगठनों ने 25 सितंबर को काला दिवस मनाया। जमशेदपुर में भी श्रमिक संगठनों के संयुक्त मंच ने विरोध प्रदर्शन किया और एक रैली निकाली, जो उपायुक्त कार्यालय तक पहुंची। इस रैली के दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई और श्रम कानूनों को वापस लेने की मांग की गई।
संगठनों ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने कारपोरेट घरानों के इशारे पर नीतियां बनाई हैं, जो श्रमिकों के हितों के खिलाफ हैं। ट्रेड यूनियन के सदस्य विश्वजीत देव ने बताया कि श्रमिक संगठनों की मांगों को अनदेखा करते हुए चार श्रम संहिताओं का क्रियान्वयन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता बन गई है।
देव ने बताया कि चार साल पहले, 25 सितंबर 2020 को चार श्रम कोड लागू किए गए थे, और तभी से श्रमिक संगठन इसका विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा, "मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी, आठ घंटे का काम और 26 हजार रुपये न्यूनतम वेतन जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। मजदूर वर्ग अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहा है।"
इस विरोध प्रदर्शन के माध्यम से श्रमिक संगठन अपनी मांगों पर ध्यान देने की अपील कर रहे हैं। वे कहते हैं कि जब तक सरकार उनकी मांगों को पूरा नहीं करती, तब तक यह आंदोलन जारी रहेगा।
इस रैली में शामिल विभिन्न संगठनों ने केंद्र सरकार से श्रम कानूनों को वापस लेने और श्रमिकों के हित में नीतियां बनाने की मांग की। उनका कहना है कि यह लड़ाई श्रमिकों की जीविका और अधिकारों से जुड़ी है, और वे इसे तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक उन्हें न्याय नहीं मिलता।
संगठनों का यह विरोध प्रदर्शन न सिर्फ जमशेदपुर में बल्कि देशभर में हुआ, जिससे यह साफ हो गया कि श्रमिक वर्ग अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए तैयार है।
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