Hazaribagh Trap: 3000 की घूस ने फंसा दिया प्रह्लाद मांझी को, ACB ने दबोचा रंगेहाथ!
हजारीबाग के बड़कागांव में एसीबी की बड़ी कार्रवाई, राजस्व कर्मचारी प्रह्लाद मांझी को तीन हजार की घूस लेते रंगेहाथ पकड़ा गया। जानिए कैसे बुना गया जाल और कैसे फंसे आरोपी।

झारखंड के हजारीबाग जिले के बड़कागांव अंचल से सोमवार को एक ऐसी खबर सामने आई जिसने सरकारी दफ्तरों में फैले भ्रष्टाचार की परतें उधेड़ दीं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) की टीम ने आज एक योजनाबद्ध जाल बिछाकर राजस्व कर्मचारी प्रह्लाद मांझी को तीन हजार रुपए रिश्वत लेते रंगेहाथ पकड़ लिया। यह कार्रवाई न सिर्फ एक व्यक्ति की गिरफ्तारी है, बल्कि सिस्टम में गहराई तक फैले भ्रष्टाचार पर एक तमाचा भी है।
शिकायत से गिरफ्तारी तक: कैसे फंसे मांझी?
इस पूरे घटनाक्रम की शुरुआत हुई महुदा निवासी बकाउल्लाह खान की एक ईमानदार कोशिश से। खान साहब ने अपनी जमीन के एलपीसी (Legal Possession Certificate) के लिए बड़कागांव अंचल कार्यालय में आवेदन दिया था। जब वे कार्यालय पहुंचे तो वहां के राजस्व कर्मचारी प्रह्लाद मांझी ने खुलेआम पांच हजार रुपये की मांग कर डाली।
बकाउल्लाह रिश्वत नहीं देना चाहते थे। उन्होंने सीधे ACB हजारीबाग में शिकायत दर्ज कराई। जांच के बाद ACB ने आरोप को सही पाया और फिर रची गई एक ट्रैप की योजना।
ऑपरेशन ट्रैप: ACB की सटीक रणनीति
सोमवार को जैसे ही बकाउल्लाह ने मांझी को तीन हजार रुपए थमाए, ACB की टीम ने मौके पर धावा बोल दिया और प्रह्लाद मांझी को रिश्वत की रकम के साथ रंगेहाथ गिरफ्तार कर लिया। उसे तत्काल हजारीबाग ACB कार्यालय लाया गया, जहां उससे पूछताछ जारी है।
यह कार्रवाई अपने आप में महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि झारखंड जैसे राज्य में जमीन से जुड़े मामलों में रिश्वतखोरी आम बात हो चुकी है। बड़कागांव अंचल, जो पहले भी ऐसे मामलों में बदनाम रहा है, वहां की यह घटना साबित करती है कि सरकारी सिस्टम में गहरी सड़न है।
झारखंड में भ्रष्टाचार का इतिहास
झारखंड की प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार कोई नई बात नहीं है। खासकर राजस्व विभाग में तो यह बीमारी पुरानी हो चुकी है। पहले भी कई बार ACB ने ऐसे ही मामलों में बड़ी कार्रवाई की है। वर्ष 2022 में बोकारो, रांची और दुमका में इसी तरह की कई घटनाएं सामने आई थीं, जहां घूसखोरी में लिप्त अधिकारियों को पकड़ा गया था।
ACB की ये कार्रवाई न केवल प्रशासन को चेतावनी है, बल्कि उन आम लोगों के लिए उम्मीद की किरण भी, जो वर्षों से सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते हुए थक चुके हैं।
सवाल कई हैं, जवाब कौन देगा?
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एक सरकारी कर्मचारी इतनी हिम्मत से खुलेआम रिश्वत कैसे मांग सकता है?
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क्या बड़कागांव अंचल जैसे कार्यालयों में कोई मॉनिटरिंग नहीं होती?
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जिन लोगों को जनसेवा का दायित्व सौंपा गया है, जब वही रिश्वत लें तो आम आदमी कहां जाए?
अब आगे क्या?
ACB की टीम अब प्रह्लाद मांझी से पूछताछ कर रही है। संभावना है कि इससे कई और बड़े नाम सामने आ सकते हैं। क्या यह कार्रवाई बड़कागांव में फैले भ्रष्टाचार की जड़ तक जाएगी या फिर ये मामला भी किसी कागज़ी कार्रवाई में दफ्न हो जाएगा?
जनता उम्मीद कर रही है कि यह सिर्फ एक गिरफ्तारी नहीं बल्कि एक बड़ी सफाई की शुरुआत हो।
ACB की इस कार्रवाई ने एक बार फिर यह साबित किया है कि अगर आम आदमी आवाज उठाए और सिस्टम साथ दे तो भ्रष्टाचार की जड़ें भी हिलाई जा सकती हैं। अब देखना यह है कि प्रह्लाद मांझी की गिरफ्तारी से झारखंड के अन्य विभागों में बैठे भ्रष्ट कर्मचारियों को कोई सबक मिलेगा या नहीं।
"भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लंबी है, लेकिन शुरुआत हर एक गिरफ्तारी से होती है!"
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