Jugsalai Firing: सिर्फ 200 रुपये पर 'चंबल' बन गई जमशेदपुर की ये बस्ती, CCTV में कैद हुआ खौफ
जमशेदपुर के जुगसलाई की गरीबनवाज कॉलोनी में 200 रुपये के लेन-देन पर दो गुटों के बीच फिल्मी स्टाइल में फायरिंग हुई। CCTV में कैद इस घटना ने शहर की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

जमशेदपुर को अक्सर झारखंड की आर्थिक राजधानी कहा जाता है, लेकिन शुक्रवार रात जुगसलाई की गरीबनवाज कॉलोनी में जो हुआ, उसने इस छवि को पूरी तरह झकझोर दिया।
सिर्फ 200 रुपये के मामूली विवाद पर दो गुटों में फिल्मी अंदाज में ताबड़तोड़ फायरिंग हुई। और ये कोई अफवाह नहीं, बल्कि CCTV में कैद खौफनाक हकीकत है।
CCTV फुटेज ने खोल दी सच्चाई की परतें
जो फुटेज सामने आया है, उसमें साफ देखा जा सकता है कि दोनों गुटों के सदस्य कैसे पिस्टल लहराते हुए सड़क पर गोलियां बरसा रहे हैं, मानो कोई गैंगस्टर फिल्म का सीन चल रहा हो।
कुछ युवक दौड़ते हुए आते हैं, एक-दूसरे पर निशाना साधते हैं, और फिर गोलियों की आवाजें गूंजती हैं।
एक चश्मदीद ने बताया,
“हम लोग डर से घर में बंद हो गए थे, ऐसा लगा जैसे बस्ती जंग का मैदान बन गई हो।”
इतिहास दोहराता अपराध: क्या ये पहली बार हुआ है?
गरीबनवाज कॉलोनी पहले भी विवादों में रही है।
खरकई नदी किनारे बसी यह बस्ती, बीते कुछ वर्षों में अवैध गतिविधियों का नया केंद्र बनती जा रही है।
कभी ब्राउन शुगर का धंधा, कभी अवैध असलहे—अब यहां गैंग वॉर जैसी घटनाएं आम होती जा रही हैं।
स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं,
"पहले यहां शांत माहौल था, लेकिन अब यहां रात में निकलना जान जोखिम में डालने जैसा है।"
फायरिंग का कारण: 200 रुपये या कुछ और?
हालांकि शुरुआत में यह कहा जा रहा था कि फायरिंग महज 200 रुपये के लेन-देन को लेकर हुई,
लेकिन पुलिस सूत्रों की मानें तो असल वजह ब्राउन शुगर के अवैध कारोबार में वर्चस्व की जंग है।
आदित्यपुर में चल रही पुलिस सख्ती के चलते नशे के सौदागर अब जुगसलाई की गरीबनवाज कॉलोनी को नया ठिकाना बना रहे हैं।
इसी वजह से पहले से जमे गुट और नए घुसपैठिए आमने-सामने आ गए।
घायल अपराधी और भागने का फिल्मी अंदाज
फायरिंग में एक अपराधी के घायल होने की सूचना है,
जो अब कहीं गुप्त स्थान पर इलाज करा रहा है।
हमलावरों ने फायरिंग के बाद खरकई नदी पार कर आदित्यपुर की ओर भागने की योजना बनाई थी,
और वे CCTV में भी भागते हुए साफ देखे गए हैं।
पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
जुगसलाई थाना प्रभारी ने बयान में कहा है कि
“जांच चल रही है, और अपराधी जल्द ही सलाखों के पीछे होंगे।”
लेकिन सवाल यह है कि जब नदी किनारे बसी कॉलोनी में नशे के कारोबार की भनक तक पुलिस को नहीं,
तो क्या हर घटना के बाद जांच और आश्वासन ही समाधान है?
जनता में डर और आक्रोश
स्थानीय लोग कानून व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं।
रात को आवाजाही बंद, दुकानों पर ताले और स्कूल जाने से डरते बच्चे—ये सब उस डर की तस्वीरें हैं जो बस्ती के भीतर फैली है।
रेहड़ी वाले शमीम भाई कहते हैं,
"हम मेहनत करते हैं, लेकिन हमें हमेशा डर रहता है कि कब क्या हो जाए। पुलिस आती है, पर असर नहीं दिखता।"
एक बस्ती, दो रास्ते—कानून या खामोशी?
गरीबनवाज कॉलोनी में शुक्रवार की रात जो हुआ, वह एक चेतावनी है।
यह घटना बताती है कि अगर अवैध गतिविधियों पर तुरंत रोक नहीं लगी, तो
जमशेदपुर में ऐसी बस्तियों की गिनती बढ़ती जाएगी।
अब देखना ये है कि क्या पुलिस वाकई कुछ बदलेगी, या फिर हर फायरिंग के बाद केवल ‘जांच चल रही है’ का रट्टा ही दोहराया जाएगा।
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