आर्ष भारत सहर्ष  - लता सूर्य प्रकाश ,केरला

   भारत जैसे पवित्र धरती हमारी मां ।  पर स्वतंत्रता के कितने मकुट पहली नजर में तो बहुत सुनहरे लम्हे गरबीली।.........

Aug 15, 2024 - 00:35
Aug 15, 2024 - 14:07
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आर्ष भारत सहर्ष  - लता सूर्य प्रकाश ,केरला
आर्ष भारत सहर्ष  - लता सूर्य प्रकाश ,केरला

आर्ष भारत सहर्ष 

     ‌‌‌‌    भारत जैसे पवित्र धरती हमारी मां । 
पर स्वतंत्रता के कितने मकुट
पहली नजर में तो बहुत सुनहरे लम्हे गरबीली।
लेकिन जरा सोचे तो कहाँ है अब भारत। 
कहीं ना कहीं तो पहूँचा है जरूर, फिर भी, 
क्या हम भारतीय उन शहीदों के, महावीरों के 
आत्मबलिदान का क्या हम चुका पाये सही मूल्य? 
कई शिखर चढे़ हैं ऊंचे 
प्रगति के पथ पर कदम कदम 
आगे ही चले गए। 
कहीं न कहीं फिर भी हम ने खोया है कुछ न कुछ जरूर। 
उसे खोजना है, 
पर्दाफाश करना है, 
तोड़ना है अमीरी गरीबी के जंजीरों को। 
मिले कहां से ईमानदारी का निशाना। 
राजनीति में फेरा फेरी 
कहाँ जनतंत्र, 
रिश्वत के चंगुल में फंसे समाज, 
अब तो बदलना किसे है? 
शुरू कहां से करना‌ है‌ हमें? 
सदियाँ इतनी गुजरने पर बहुत कुछ पाया है। 
अधूरे सपने भारत के अब भी, 
साकार होना है बाकी।
 उस पल की प्रतीक्षा में 
सच्चाई की ओर कदम बढ़ाते, नए पथ की ओर, 
प्रगति की ओर 
भारत सूरज चमके जग सारा।

लता सूर्य प्रकाश
केरला

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।