Tundi Accident: रफ्तार बना काल! बाइक सवार युवक की दर्दनाक मौत, गांव में मचा कोहराम
टुंडी के मनियाडीह में एक बालू लदे ट्रैक्टर ने बाइक सवार युवक को कुचल दिया। युवक की मौके पर मौत हो गई, चालक को ग्रामीणों ने पकड़कर पुलिस को सौंपा।

झारखंड के टुंडी में शनिवार की शाम एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। मनियाडीह थाना क्षेत्र के नवाटांड गांव के पास एक तेज रफ्तार बालू लदा ट्रैक्टर ने बाइक सवार युवक को टक्कर मार दी, जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। मृतक युवक गिरिडीह जिले के गांडेय प्रखंड का रहने वाला था।
कैसे हुआ हादसा?
शनिवार की शाम करीब 5 बजे नवाटांड गांव के पास बाइक सवार युवक अपनी गति से सड़क पर चल रहा था। उसी दौरान पीछे से आ रहे एक ओवरलोडेड बालू ट्रैक्टर ने उसे टक्कर मार दी। टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि युवक ट्रैक्टर के नीचे आ गया। स्थानीय ग्रामीणों ने शोर मचाया और तत्काल ट्रैक्टर को रुकवा लिया। चालक भागने की कोशिश कर रहा था, लेकिन ग्रामीणों ने उसे मौके पर ही पकड़ लिया और मनियाडीह थाना पुलिस के हवाले कर दिया।
अस्पताल ले जाया गया लेकिन नहीं बचा
ग्रामीणों की मदद से पुलिस ने घायल युवक को तुरंत एसएनएमएमसीएच अस्पताल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल परिसर में परिजनों और ग्रामीणों का रो-रो कर बुरा हाल था।
कौन था मृतक?
मनियाडीह थाना प्रभारी शिव कुमार ने बताया कि मृतक गिरिडीह जिले के गांडेय थाना क्षेत्र का निवासी था। हालांकि युवक की पहचान और उसके परिवार के बारे में विस्तृत जानकारी अब तक सार्वजनिक नहीं की गई है।
ट्रैक्टर मालिक कौन?
हादसे में शामिल ट्रैक्टर मनियाडीह थाना क्षेत्र के शीतलपुर गांव का बताया जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार, यह ट्रैक्टर अकसर ओवरलोड बालू लेकर गांव की गलियों से तेज रफ्तार में गुजरता था।
झारखंड में सड़क हादसे बनते जा रहे जानलेवा
झारखंड में बीते कुछ वर्षों में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में जबरदस्त इजाफा हुआ है। खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में ओवरलोड वाहनों की आवाजाही और लापरवाह ड्राइविंग के कारण हर महीने सैकड़ों जानें जा रही हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में हर साल करीब 2,500 लोग सड़क हादसों में अपनी जान गंवा रहे हैं।
क्या कहती है कानून की स्थिति?
बालू लदे ट्रैक्टरों को लेकर कई बार कोर्ट और प्रशासनिक आदेश दिए गए हैं कि इन्हें नियमानुसार चलाया जाए। लेकिन जमीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। ओवरलोडिंग, बिना नंबर प्लेट के वाहन, और कम उम्र के चालकों द्वारा ट्रैक्टर चलाने की घटनाएं आम हो गई हैं।
टुंडी का यह हादसा सिर्फ एक युवक की मौत नहीं, बल्कि सिस्टम की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता की एक और मिसाल है। जब तक ऐसे ओवरलोड वाहनों पर सख्ती नहीं होगी, तब तक जानलेवा सड़कें यूं ही मासूमों की जिंदगी लीलती रहेंगी। सवाल उठता है—क्या यह आखिरी हादसा होगा या फिर एक और नाम, एक और मातम झेलने की तैयारी?
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