Jamshedpur Incident: मददगार बना आरोपी, गोली लगने से घायल आशुतोष को अस्पताल पहुंचाने वाले मंगल की मुसीबत बढ़ी
जमशेदपुर के मानगो डिमना रोड पर गोली लगने से घायल आशुतोष ओझा को अस्पताल पहुंचाने वाले मंगल मेलगंडी को पुलिस ने पूछताछ के लिए रखा है। जानिए इस मामले की पूरी कहानी और पुलिस की कार्रवाई पर क्या है मंगल की प्रतिक्रिया।
जमशेदपुर में मानगो डिमना रोड पर हुई गोलीबारी के बाद एक नया विवाद सामने आया है। गोली लगने से घायल हुए आशुतोष ओझा को अस्पताल पहुंचाने वाले मंगल मेलगंडी उर्फ प्रेम की मुश्किलें अब बढ़ गई हैं। पुलिस ने उन्हें दो दिनों से पूछताछ के लिए थाने में रखा है और कई थाना क्षेत्रों में भी घुमाया जा रहा है। इस मामले में मंगल की पत्नी ने अधिवक्ता से संपर्क कर मदद की गुहार लगाई है, जिससे वह अपने पति से मिल सकें।
घटना का विवरण
रविवार की शाम को मानगो डिमना रोड पर स्थित अलकतरा फैक्ट्री के पास गोली चलने की घटना हुई थी, जिसमें आशुतोष ओझा को गोली लगी। घटना के बाद, मंगल ने घायल आशुतोष को तुरंत अस्पताल पहुंचाया और उसकी जान बचाई। हालांकि, पुलिस ने मंगल को इस मामले में संदिग्ध मानते हुए पूछताछ के लिए थाने बुलाया। यह सिलसिला दो दिनों से चल रहा है, और पुलिस द्वारा किए जा रहे कठोर सवालों और जांच से मंगल और उनकी पत्नी परेशान हैं।
पुलिस की कार्रवाई पर सवाल
मंगल की पत्नी ने आरोप लगाया कि पुलिस उनके पति के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है, जबकि असल में मंगल ने एक इंसान की मदद की थी। उन्होंने कहा कि उनके पति को इस तरह से परेशान करना पूरी तरह से गलत है, और पुलिस को मामले की सच्चाई को समझकर उचित कार्रवाई करनी चाहिए।
पुलिस का जवाब
पुलिस ने बताया कि मामले की गहन जांच चल रही है और आशुतोष के पीठ पर लगे जख्म की असली वजह का पता लगाने के लिए सब्बे को गिरफ्तार कर पूछताछ की जा रही है। पुलिस का कहना है कि यह कार्रवाई मामले की गहराई से जांच के लिए जरूरी है, ताकि घटना के पीछे की सच्चाई सामने आ सके।
मंगल का बयान
थाने में पूछताछ के दौरान मंगल ने कहा कि वह केवल इंसानियत के नाते आशुतोष को अस्पताल लेकर गए थे। उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जांच में सच्चाई सामने आएगी और उनकी मुश्किलें दूर होंगी। मंगल की पत्नी ने अपनी परेशानी को लेकर अधिवक्ता संजीव रंजन बरियार से संपर्क किया है ताकि वह अपने पति से मिल सकें और उनके अधिकारों की रक्षा कर सकें।
इतिहास और सामाजिक संदर्भ
जमशेदपुर, जो अपनी औद्योगिक पहचान के लिए जाना जाता है, हाल के वर्षों में कई ऐसी घटनाओं का गवाह बन चुका है जहां नागरिकों ने दूसरों की मदद की है, लेकिन उन्हें पुलिस या प्रशासन से कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। यह मामला भी उस सामाजिक जटिलता को उजागर करता है, जिसमें अच्छे काम करने वाले लोगों को कई बार गलतफहमी या कानूनी प्रक्रिया के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है।
इस घटना ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा किया है कि क्या पुलिस को हर मामले में उतनी ही संवेदनशीलता दिखानी चाहिए, जितनी जरूरत होती है। मंगल की मदद से आशुतोष की जान बची, और अब समाज को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि ऐसे लोगों का सम्मान किया जाए, जिन्होंने दूसरों की सहायता की।
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