Syria Crisis: राष्ट्रपति असद का पतन, वर्षों से चले आ रहे खूनी संघर्ष की चौंकाने वाली कहानी
सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद पर विद्रोही गुटों का दबाव बढ़ा। दशकों से सत्ता में काबिज असद के शासन का पतन उनके सहयोगियों रूस और ईरान के लिए भी बड़ा झटका साबित हो सकता है।
सीरिया: सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद एक बार फिर सुर्खियों में हैं। हालिया मीडिया रिपोर्ट्स में विद्रोही गुटों ने दावा किया है कि उन्होंने राजधानी दमिश्क पर कब्जा कर लिया है और राष्ट्रपति असद देश छोड़कर भाग गए हैं। 59 वर्षीय असद, जो दशकों से सीरिया की सत्ता पर काबिज हैं, आखिर कौन हैं, और क्यों उनका शासन हमेशा विवादों और संघर्षों का केंद्र रहा है?
राष्ट्रपति बशर अल-असद: सत्ता का सफर
बशर अल-असद ने 2000 में अपने पिता हाफिज अल-असद की मृत्यु के बाद सत्ता संभाली। हाफिज 1971 से सीरिया के राष्ट्रपति थे। बशर का राजनीति में आना अप्रत्याशित था। दमिश्क में जन्मे और मेडिकल स्कूल से स्नातक बशर ने नेत्र विज्ञान में विशेषज्ञता हासिल करने के लिए लंदन में पढ़ाई शुरू की थी। लेकिन 1994 में उनके बड़े भाई बासेल अल-असद की कार दुर्घटना में मौत के बाद उन्हें वापस सीरिया लौटना पड़ा। बासेल अपने पिता के राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जा रहे थे, लेकिन उनकी असमय मृत्यु ने बशर को सत्ता के करीब ला दिया।
2011: शासन का सबसे कठिन साल
2011 का साल बशर के शासन के लिए निर्णायक साबित हुआ। अरब वसंत के दौरान जब पूरे मध्य-पूर्व में लोकतंत्र की मांग जोर पकड़ रही थी, सीरिया के लोग भी सड़कों पर उतर आए। असद सरकार ने इन आंदोलनों को बेरहमी से कुचल दिया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई। जल्द ही सशस्त्र विद्रोही गुटों का गठन हुआ और 2012 तक यह आंदोलन एक पूर्ण गृहयुद्ध में तब्दील हो गया।
मानवाधिकार उल्लंघनों का आरोप
बशर अल-असद के शासन को मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों का सामना करना पड़ा है। इनमें रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल, कुर्दों का दमन और नागरिकों का जबरन गायब किया जाना शामिल है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने बार-बार उनकी आलोचना की, लेकिन असद रूस, ईरान और हिज़बुल्लाह जैसे मजबूत सहयोगियों के बल पर सत्ता में बने रहे।
वर्तमान संकट: सहयोगियों की कमजोर स्थिति
हालिया समय में असद सरकार के लिए हालात बेहद मुश्किल हो गए हैं। उनके तीन प्रमुख सहयोगी- रूस, ईरान, और हिज़बुल्लाह- अपने-अपने संघर्षों में उलझे हुए हैं। रूस और यूक्रेन युद्ध, ईरान में बढ़ता असंतोष और हिज़बुल्लाह की आंतरिक चुनौतियां असद सरकार के लिए संकट का कारण बन रही हैं।
सीरियाई सेना की कमजोर स्थिति
वर्षों के युद्ध ने सीरियाई सेना को बुरी तरह थका दिया है। कई सैनिक अब असद सरकार के पक्ष में लड़ने को तैयार नहीं हैं। इस स्थिति में विद्रोही गुटों ने दमिश्क जैसे अहम क्षेत्रों पर कब्जा कर सरकार के लिए खतरा बढ़ा दिया है।
असद का पतन: सहयोगियों के लिए झटका
अगर असद की सत्ता गिरती है, तो यह केवल सीरिया के लिए नहीं बल्कि उनके सहयोगी देशों के लिए भी बड़ा झटका होगा। रूस और ईरान, जिन्होंने इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए असद सरकार का समर्थन किया, एक महत्वपूर्ण सहयोगी खो देंगे।
सीरिया का भविष्य और अंतरराष्ट्रीय भूमिका
सीरिया में लंबे समय से चल रहा गृहयुद्ध सिर्फ देश को नहीं बल्कि पूरे मध्य-पूर्व को प्रभावित कर रहा है। बशर अल-असद की स्थिति अब बेहद कमजोर नजर आ रही है। ऐसे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मध्य-पूर्व की शांति और स्थिरता के लिए ठोस कदम उठाने होंगे।
1971 से 2024 तक: असद परिवार का शासन
सीरिया में असद परिवार का शासन 1971 में हाफिज अल-असद के सत्ता संभालने से शुरू हुआ। 2000 में बशर अल-असद ने यह विरासत आगे बढ़ाई। लेकिन यह शासन हमेशा विवादित और संघर्षों से घिरा रहा है।
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