Jamshedpur Sword Fight: बस्ती में घुसे नकाबपोश, तलवार से काट दी उंगली, महिला समेत कई घायल
जमशेदपुर के ईस्टप्लांट बस्ती में पुराने विवाद ने लिया खूनी रूप, तलवार से हमला, महिला समेत आधा दर्जन लोग घायल। जानिए पूरी घटना की परतें।

जमशेदपुर के बर्मामाइंस थाना क्षेत्र स्थित ईस्टप्लांट बस्ती सोमवार की शाम अचानक जंग का मैदान बन गई, जब एक पुराने विवाद ने तलवारबाज़ी और लहूलुहान संघर्ष का रूप ले लिया।
इस खौफनाक संघर्ष में एक महिला समेत करीब आधा दर्जन लोग घायल हो गए। इनमें से दो की हालत नाजुक बनी हुई है, जिनका इलाज एमजीएम अस्पताल में चल रहा है।
घटना कैसे शुरू हुई?
प्राप्त जानकारी के अनुसार, इस बस्ती में राजीव कुमार और जगजीवन सिंह के परिवारों के बीच वर्षों पुराना विवाद चल रहा है। सोमवार शाम जब जगजीवन सिंह ड्यूटी पर थे, तभी राजीव, संजीव और उनके कुछ साथी उनके घर में घुस आए और लाठी-डंडों के साथ तलवार से हमला कर दिया।
इस हमले में लीला देवी (सास) और जगजीवन सिंह (साला) बुरी तरह घायल हो गए।
वहीं दूसरी ओर, राजीव कुमार का दावा है कि वह तो केवल यह पूछने गए थे कि भागना मंगल (जगजीवन पक्ष से) उन्हें क्यों गाली दे रहा है। लेकिन जब वे वहां पहुंचे, तो उन पर अचानक तलवार और धारदार हथियारों से हमला कर दिया गया।
घायलों की सूची और हालत
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जगजीवन सिंह – गंभीर चोटें
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लीला देवी – सिर पर गहरी चोट
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राजीव कुमार – हाथ में गंभीर जख्म
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आयुष कुमार – एक अंगुली कट गई
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संजीव कुमार – सिर में गहरी चोट
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ऋतिक कुमार – हल्की चोटें
इनमें से आयुष और संजीव की हालत नाजुक बताई जा रही है। सभी को एमजीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
दोनों पक्षों के आरोप अलग, लेकिन कहानी एक
इस मामले में दोनों पक्षों ने थाना में शिकायत दर्ज कराई है।
जहां जगजीवन सिंह का पक्ष यह कह रहा है कि राजीव और उसके लोग उनकी पत्नी को अश्लील इशारे करते हैं, वहीं राजीव का कहना है कि जगजीवन के लोग बिना वजह गाली-गलौज और धमकी देते हैं।
इस विवाद की जड़ पुरानी है—स्थानीय लोग बताते हैं कि बीते साल भी दोनों परिवारों के बीच जमीन को लेकर बहस और हाथापाई हो चुकी है, जिसका केस अब तक चल रहा है।
इतिहास गवाह है: झारखंड की बस्तियों में ऐसे मामले आम क्यों हैं?
झारखंड और खासकर जमशेदपुर के बस्ती क्षेत्रों में स्थानीय रंजिशें, जमीन विवाद और असुरक्षित पुलिस व्यवस्था अक्सर इस तरह के मामलों को जन्म देती हैं।
2004 में भी जमशेदपुर के ही मानगो क्षेत्र में इसी तरह का तलवारबाजी का मामला सामने आया था, जहां एक पारिवारिक झगड़ा पूरे मोहल्ले की लड़ाई में बदल गया था।
इन इलाकों में न तो सीसीटीवी हैं, न ही पर्याप्त पुलिस पेट्रोलिंग। यही कारण है कि थोड़ी-सी चिंगारी, तुरंत हिंसा में बदल जाती है।
अब सवाल यह है—क्या पुलिस समय पर कुछ करेगी?
फिलहाल बर्मामाइंस थाना पुलिस ने दोनों पक्षों से शिकायतें लेकर जांच शुरू कर दी है, लेकिन सवाल उठता है कि क्या ये कार्रवाई पर्याप्त है?
क्या इस बार भी मामला “जांच जारी है” की पट्टी लगाकर बंद कर दिया जाएगा?
स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर जल्द सख्ती नहीं बरती गई, तो अगली बार यह मामला किसी की जान ले सकता है।
तलवारें तब निकलती हैं, जब व्यवस्था चुप होती है
जमशेदपुर की यह घटना सिर्फ एक आपसी झगड़े की कहानी नहीं है। यह वो सच्चाई है जिसे नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है।
जब बस्ती में न्याय की जगह हथियार लेने का चलन बन जाए, तब यह समाज के लिए एक चेतावनी है।
क्या हम इंतजार करेंगे अगली उंगली कटने या किसी की जान जाने का? या समय रहते कुछ सख्त कदम उठाएंगे?
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