जमशेदपुर: साकची शीतला मंदिर में श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन
साकची शीतला मंदिर में 6 जुलाई से शुरू होगा श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ, 17 जुलाई को दस दिवसीय यज्ञानुष्ठान का होगा समापन, 6 जुलाई की सुबह 8 बजे मंदिर से निकलेगी कलश यात्रा
जमशेदपुर के साकची शीतला मंदिर में आगामी 6 जुलाई से दस दिवसीय श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन होने जा रहा है। यह महायज्ञ 6 जुलाई से 17 जुलाई तक चलेगा और देवशयनी एकादशी के अवसर पर समाप्त होगा। इस भव्य आयोजन के तहत नवकुंज नवरात्रि नवाह्न पारायण श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ की पूर्ण विधि-विधान के साथ शुरुआत होगी।
महायज्ञ का शुभारंभ और प्रारंभिक आयोजन
6 जुलाई को सुबह 8 बजे कलश यात्रा निकाली जाएगी, जिसमें लगभग 1100 महिलाएं भाग लेंगी। ये महिलाएं जेल चौक से होते हुए मानगो स्थित स्वर्णरेखा घाट तक जाएंगी, वहां से कलश में जल भरकर वापस मंदिर प्रांगण में लौटेंगी और यज्ञ मंडप की परिक्रमा कर कलश स्थापित करेंगी। अपराह्न 3 बजे से पंचांग पूजन, मंडप प्रवेश और वेदी निर्माण का आयोजन किया जाएगा।
इस महायज्ञ का मुख्य उद्देश्य विश्व कल्याण और विश्व शांति की स्थापना करना है। महायज्ञ के दौरान प्रतिदिन हवन, वेदी पूजा, पंचांग पूजन और यज्ञ मंडप की फेरी की जाएगी। इस महायज्ञ में बनारस से आचार्य संजय उपाध्याय अपनी पांच सदस्यीय टीम के साथ मुख्य पुरोहित के रूप में उपस्थित रहेंगे।
यज्ञ आयोजन समिति की तैयारियां
यज्ञ आयोजन समिति के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता में जानकारी दी कि महायज्ञ की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस मौके पर अशोक पांडे, रामराज पांडे, राकेश उपाध्याय, रामेश्वर बाबा चाबी वाले समेत अन्य सदस्य उपस्थित थे। उन्होंने बताया कि महायज्ञ का समापन 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन महाभंडारे के साथ किया जाएगा।
प्रत्येक वर्ष साकची शीतला मंदिर में श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ का आयोजन भव्य तरीके से किया जाता है। इसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते हैं और विश्व कल्याण के उद्देश्य से यज्ञ करते हैं। इस वर्ष भी यह आयोजन अत्यंत भव्य और विधिपूर्वक होगा। मंदिर परिसर में विशेष सजावट की जाएगी और सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे।
श्रद्धालुओं की भागीदारी और उत्साह
महायज्ञ में भाग लेने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में उमड़ते हैं। कलश यात्रा के दौरान महिलाएं रंग-बिरंगे परिधानों में सजी-धजी रहती हैं और मंदिर परिसर में हर्षोल्लास का वातावरण बना रहता है। इस महायज्ञ में शामिल होकर श्रद्धालु अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं और विश्व शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।
समापन समारोह और महाभंडारा
महायज्ञ का समापन 17 जुलाई को होगा, जब देवशयनी एकादशी के दिन महाभंडारा आयोजित किया जाएगा। इस दिन श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाएगा और भंडारे में सभी श्रद्धालु सम्मिलित होंगे। महाभंडारे का आयोजन मंदिर प्रांगण में बड़े स्तर पर किया जाएगा, जिसमें हजारों श्रद्धालु भाग लेंगे।
महायज्ञ के दौरान मंदिर प्रांगण में विशेष सजावट की जाएगी। यज्ञ मंडप को फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से सजाया जाएगा। इसके साथ ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए जाएंगे। पुलिस और स्वयंसेवकों की टीम लगातार निगरानी करेगी ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े।
यज्ञ आयोजन समिति ने सभी तैयारियों की समीक्षा के लिए कई बैठकें आयोजित की हैं। समिति ने यज्ञ की सफलता के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की हैं। इसके साथ ही समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे इस महायज्ञ में अधिक से अधिक संख्या में भाग लें और विश्व शांति के उद्देश्य को सफल बनाएं।
आचार्य संजय उपाध्याय का नेतृत्व
महायज्ञ के मुख्य पुरोहित आचार्य संजय उपाध्याय अपनी टीम के साथ बनारस से पधारेंगे। वे प्रतिदिन यज्ञ मंडप में पूजा-अर्चना करेंगे और हवन संपन्न कराएंगे। आचार्य संजय उपाध्याय की विद्वता और अनुभव से महायज्ञ को विशेष पवित्रता और गरिमा मिलेगी।
यज्ञ मंडप को विशेष तरीके से सजाया जाएगा। यहां पर प्रतिदिन हवन, वेदी पूजा और पंचांग पूजन किया जाएगा। यज्ञ मंडप में विशेष आकर्षण के रूप में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति होगी।
साकची शीतला मंदिर में होने वाला श्री लक्ष्मीनारायण महायज्ञ एक अद्वितीय धार्मिक आयोजन है, जो विश्व शांति और कल्याण के उद्देश्य से किया जाता है। इस महायज्ञ में शामिल होकर श्रद्धालु अपने मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए प्रार्थना करते हैं और यज्ञ की पवित्रता का अनुभव करते हैं। इस महायज्ञ के माध्यम से हम सभी विश्व शांति की स्थापना की कामना करते हैं।
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