Patna Fraud खुलासा: साइबर प्रशिक्षक गिरफ्तार, फर्जी लोन दिलाकर लाखों की ठगी
पटना में बड़ा साइबर फ्रॉड का खुलासा। पांच आरोपियों की गिरफ्तारी, सोशल मीडिया पर लोन के नाम पर कर रहे थे ठगी। जानिए पूरा मामला!
पटना पुलिस ने एक साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बजाज फाइनेंस समेत अन्य कंपनियों के नाम पर लोन दिलाने का झांसा देकर लोगों से लाखों रुपये ठग रहा था।
कैसे हुआ खुलासा?
पटना साइबर थाना डीएसपी राघमणि त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि फुलवारीशरीफ के रामनगर वाल्मी स्थित सहाय मेंशन के चौथे तल्ले पर यह गिरोह फर्जी लोन कार्यालय संचालित कर रहा था। यहां से पांच साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान:
- सन्नी कुमार (नीमचक बथानी, गया)
- शिशुपाल कुमार (नीमचक बथानी, गया)
- सुधांशु कुमार (नीमचक बथानी, गया)
- संदीप कुमार (नवादा)
- मंटु कुमार (शेखपुरा)
ऑपरेशन का तरीका:
गिरोह के सदस्यों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोन दिलाने वाले विज्ञापन डालकर लोगों को फंसाया। जब कोई ग्राहक लोन के लिए संपर्क करता, तो ये फाइनेंस कंपनी के अधिकारी बनकर बात करते।
- ग्राहकों से फर्जी दस्तावेज मंगवाए जाते।
- प्रोसेसिंग फीस के नाम पर रकम वसूली जाती।
- लोन मंजूरी के बहाने लगातार पैसे ऐंठे जाते।
फ्लैट से बरामद सामान:
पटना पुलिस ने छापेमारी के दौरान 17 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 6 एटीएम कार्ड, डायरी व फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं। डायरी में कई लोगों के नाम, मोबाइल नंबर और ठगी गई रकम का विवरण भी मिला है।
गया के छात्रों को साइबर ठगी की ट्रेनिंग:
गिरफ्तार सन्नी, शिशुपाल और सुधांशु ने बताया कि उन्हें नवादा के संदीप कुमार और शेखपुरा के मंटु कुमार ने साइबर फ्रॉड की ट्रेनिंग दी थी।
- शुरुआती दिनों में केवल ग्राहकों से कॉल करने का काम सौंपा गया।
- बाद में ठगी की पूरी प्रक्रिया समझाई गई।
इतिहास में साइबर अपराधों का बढ़ता ग्राफ
साइबर अपराधों का इतिहास 1990 के दशक से जुड़ा हुआ है, जब इंटरनेट बैंकिंग और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन शुरू हुए। 2000 के दशक के बाद सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के आने के बाद ये अपराध बढ़ते चले गए। भारत में 2008 में आईटी एक्ट संशोधित हुआ, जिससे साइबर अपराधों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया।
पटना साइबर ठगी क्यों खास?
- ट्रेंड प्रोफेशनल्स: प्रशिक्षित साइबर अपराधियों का गिरोह
- सोशल मीडिया का दुरुपयोग: फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल
- फर्जी दस्तावेज: नकली दस्तावेजों से लोगों को लुभाना
- लोन के नाम पर ठगी: वित्तीय कंपनियों के नाम का गलत इस्तेमाल
आगे की कार्रवाई:
पटना साइबर थाना पुलिस अब इस गिरोह के मुख्य सरगना तक पहुंचने के प्रयास में जुटी है। डायरी में मिले नंबरों की जांच की जा रही है और अन्य संभावित ठिकानों पर भी छापेमारी जारी है।
कैसे बचें साइबर ठगी से?
- सोशल मीडिया पर मिलने वाले लोन ऑफर्स से बचें।
- किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
- कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट से ही लोन के लिए आवेदन करें।
- फाइनेंस कंपनी के बारे में पहले क्रॉस चेक करें।
निष्कर्ष:
पटना में साइबर ठगी का यह मामला चेतावनी है कि सोशल मीडिया पर मिलने वाले हर ऑफर पर भरोसा न करें। पुलिस ने गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। साइबर अपराधों से बचने के लिए सतर्कता जरूरी है।
मेटा विवरण:
पटना में बड़ा साइबर फ्रॉड का खुलासा। पांच आरोपियों की गिरफ्तारी, सोशल मीडिया पर लोन के नाम पर कर रहे थे ठगी। जानिए पूरा मामला!
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Patna Fraud खुलासा: साइबर प्रशिक्षक गिरफ्तार, फर्जी लोन दिलाकर लाखों की ठगी
पटना पुलिस ने एक साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया है, जो फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बजाज फाइनेंस समेत अन्य कंपनियों के नाम पर लोन दिलाने का झांसा देकर लोगों से लाखों रुपये ठग रहा था।
कैसे हुआ खुलासा?
पटना साइबर थाना डीएसपी राघमणि त्रिपाठी ने जानकारी देते हुए बताया कि फुलवारीशरीफ के रामनगर वाल्मी स्थित सहाय मेंशन के चौथे तल्ले पर यह गिरोह फर्जी लोन कार्यालय संचालित कर रहा था। यहां से पांच साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया है।
गिरफ्तार आरोपियों की पहचान:
- सन्नी कुमार (नीमचक बथानी, गया)
- शिशुपाल कुमार (नीमचक बथानी, गया)
- सुधांशु कुमार (नीमचक बथानी, गया)
- संदीप कुमार (नवादा)
- मंटु कुमार (शेखपुरा)
ऑपरेशन का तरीका:
गिरोह के सदस्यों ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोन दिलाने वाले विज्ञापन डालकर लोगों को फंसाया। जब कोई ग्राहक लोन के लिए संपर्क करता, तो ये फाइनेंस कंपनी के अधिकारी बनकर बात करते।
- ग्राहकों से फर्जी दस्तावेज मंगवाए जाते।
- प्रोसेसिंग फीस के नाम पर रकम वसूली जाती।
- लोन मंजूरी के बहाने लगातार पैसे ऐंठे जाते।
फ्लैट से बरामद सामान:
पटना पुलिस ने छापेमारी के दौरान 17 मोबाइल फोन, 2 लैपटॉप, 6 एटीएम कार्ड, डायरी व फर्जी दस्तावेज बरामद किए हैं। डायरी में कई लोगों के नाम, मोबाइल नंबर और ठगी गई रकम का विवरण भी मिला है।
गया के छात्रों को साइबर ठगी की ट्रेनिंग:
गिरफ्तार सन्नी, शिशुपाल और सुधांशु ने बताया कि उन्हें नवादा के संदीप कुमार और शेखपुरा के मंटु कुमार ने साइबर फ्रॉड की ट्रेनिंग दी थी।
- शुरुआती दिनों में केवल ग्राहकों से कॉल करने का काम सौंपा गया।
- बाद में ठगी की पूरी प्रक्रिया समझाई गई।
इतिहास में साइबर अपराधों का बढ़ता ग्राफ
साइबर अपराधों का इतिहास 1990 के दशक से जुड़ा हुआ है, जब इंटरनेट बैंकिंग और ऑनलाइन ट्रांजेक्शन शुरू हुए। 2000 के दशक के बाद सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के आने के बाद ये अपराध बढ़ते चले गए। भारत में 2008 में आईटी एक्ट संशोधित हुआ, जिससे साइबर अपराधों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया।
पटना साइबर ठगी क्यों खास?
- ट्रेंड प्रोफेशनल्स: प्रशिक्षित साइबर अपराधियों का गिरोह
- सोशल मीडिया का दुरुपयोग: फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल
- फर्जी दस्तावेज: नकली दस्तावेजों से लोगों को लुभाना
- लोन के नाम पर ठगी: वित्तीय कंपनियों के नाम का गलत इस्तेमाल
आगे की कार्रवाई:
पटना साइबर थाना पुलिस अब इस गिरोह के मुख्य सरगना तक पहुंचने के प्रयास में जुटी है। डायरी में मिले नंबरों की जांच की जा रही है और अन्य संभावित ठिकानों पर भी छापेमारी जारी है।
कैसे बचें साइबर ठगी से?
- सोशल मीडिया पर मिलने वाले लोन ऑफर्स से बचें।
- किसी भी अनजान लिंक पर क्लिक न करें।
- कंपनी की ऑफिशियल वेबसाइट से ही लोन के लिए आवेदन करें।
- फाइनेंस कंपनी के बारे में पहले क्रॉस चेक करें।
पटना में साइबर ठगी का यह मामला चेतावनी है कि सोशल मीडिया पर मिलने वाले हर ऑफर पर भरोसा न करें। पुलिस ने गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। साइबर अपराधों से बचने के लिए सतर्कता जरूरी है।
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