Nawada Initiative: कृषि योजनाओं से युवा बना रहे सुनहरा भविष्य!
नवादा में प्रोजेक्ट आर्या के तहत युवाओं को कृषि से जोड़ने की पहल। जानिए कैसे मधुमक्खी पालन, मशरूम और डेयरी के जरिए युवा बना रहे हैं सुनहरा भविष्य।
नवादा: क्या खेती ही देश का भविष्य बना सकती है? नवादा में एक ऐसी पहल चल रही है, जो युवाओं को कृषि क्षेत्र से जोड़ने के लिए नई उम्मीद लेकर आई है। "प्रोजेक्ट आर्या परियोजना" नामक इस योजना के तहत ग्रामीण युवाओं को कृषि उद्यमशीलता से जोड़ा जा रहा है, जिससे वे खेती के साथ ही स्वरोजगार के अवसर भी पा सकें।
क्या है प्रोजेक्ट आर्या?
प्रोजेक्ट आर्या (Attracting and Retaining Youth in Agriculture), जिसे 2015-16 में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा शुरू किया गया था, का उद्देश्य ग्रामीण युवाओं को कृषि और उससे जुड़े कार्यों के प्रति आकर्षित करना है।
इस योजना का मुख्य उद्देश्य:
- युवाओं को कृषि में जोड़ना
- स्वरोजगार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देना
- स्थायी आय स्रोत तैयार करना
- ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति को सुधारना
कैसे हो रहा है युवाओं को तैयार?
इस परियोजना के तहत 200-300 ग्रामीण युवाओं को पहचान कर उन्हें कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) और अन्य ICAR संस्थान तकनीकी सहयोग प्रदान कर रहे हैं।
प्रशिक्षण के मुख्य क्षेत्र:
युवाओं को इन क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया जा रहा है:
- मधुमक्खी पालन
- मशरूम उत्पादन
- बीज प्रसंस्करण
- डेयरी और बकरी पालन
- मुर्गीपालन और वर्मी कम्पोस्टिंग
- मत्स्य पालन और कार्प-हैचरी
क्यों महत्वपूर्ण है यह योजना?
भारत की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा आज भी कृषि पर आधारित है। लेकिन युवा वर्ग कृषि क्षेत्र से दूर होता जा रहा था। प्रोजेक्ट आर्या ने इसे बदलने का बीड़ा उठाया।
- ग्रामीण पलायन पर रोक: खेती से आय बढ़ाकर गांवों में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना।
- आत्मनिर्भरता: युवाओं को माइक्रो-एंटरप्रेन्योर बनने की ट्रेनिंग देना।
- कृषि का आधुनिकीकरण: पारंपरिक खेती के साथ नई तकनीकों का समावेश।
कैसे बदली तस्वीर?
नीतीश कुमार, जो कृषि प्रसार पर शोध कर रहे हैं, बताते हैं कि यह योजना न सिर्फ रोजगार के नए द्वार खोल रही है, बल्कि ग्रामीण युवाओं को नई पहचान भी दिला रही है।
कुछ सफल उदाहरण:
- राजेश कुमार: नवादा के राजेश ने मशरूम उत्पादन शुरू किया और महीने में ₹25,000 से अधिक की कमाई कर रहे हैं।
- संगीता देवी: मधुमक्खी पालन से स्वरोजगार का बेहतरीन उदाहरण बनीं।
इतिहास की झलक:
भारत में हरित क्रांति (1960-70) के दौरान खेती में बदलाव लाने के लिए कई योजनाएं आईं। लेकिन तब भी युवा वर्ग को खेती की ओर आकर्षित करने की चुनौती बनी रही। प्रोजेक्ट आर्या इस पुरानी समस्या का आधुनिक समाधान है।
प्रशासन का क्या है प्लान?
नवादा प्रशासन के अनुसार, इस योजना के अंतर्गत:
- हर साल नई तकनीकों पर कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं।
- महिलाओं को भी विशेष रूप से इस योजना में शामिल किया जा रहा है।
- सफल किसानों को ब्रांड एंबेसडर बनाया जा रहा है।
आगे की राह:
प्रोजेक्ट आर्या ने साबित कर दिया है कि खेती भी करियर बन सकती है। यदि इसी तरह तकनीकी और प्रशिक्षण को गांवों तक पहुंचाया जाए, तो ग्रामीण भारत का भविष्य सुनहरा हो सकता है।
What's Your Reaction?