Parivartini Ekadashi 2025 : क्या भगवान विष्णु की पूजा से दूर होंगी शादी में अड़चनें? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खास उपाय

परिवर्तिनी एकादशी 2025 का व्रत 3 सितंबर को रखा जाएगा। इस व्रत से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं। जानें पूजा विधि, शुभ योग, पारण का समय और खास उपाय।

Sep 2, 2025 - 13:11
Sep 2, 2025 - 13:29
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Parivartini Ekadashi 2025 : क्या भगवान विष्णु की पूजा से दूर होंगी शादी में अड़चनें? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खास उपाय
Parivartini Ekadashi 2025 : क्या भगवान विष्णु की पूजा से दूर होंगी शादी में अड़चनें? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खास उपाय

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहते हैं। इस साल यह व्रत 3 सितंबर 2025, मंगलवार को रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योगनिद्रा से करवट बदलते हैं। इसलिए इसे "परिवर्तिनी एकादशी" कहा जाता है।

इस व्रत को पूरे श्रद्धा भाव से करने पर पुराने संकट खत्म होते हैं। खासतौर पर विवाह में आ रही रुकावटें दूर होने लगती हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिन युवाओं के रिश्ते बार-बार टूट जाते हैं या अटक जाते हैं, उनके लिए यह एकादशी विशेष फलदायी होती है।

 शुभ मुहूर्त और पारण समय

  • एकादशी तिथि आरंभ: 3 सितंबर सुबह 3:53 बजे

  • एकादशी तिथि समाप्त: 4 सितंबर सुबह 4:21 बजे

  • व्रत पारण (समापन): 4 सितंबर दोपहर 1:36 बजे से शाम 4:07 बजे तक

इस साल यह एकादशी तीन शुभ योगों – आयुष्मान योग, सौभाग्य योग और रवि योग – में पड़ रही है। इन योगों के कारण व्रत का महत्व और बढ़ जाता है।

  • आयुष्मान योग दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है।

  • सौभाग्य योग घर-परिवार में शांति और सुख लाता है।

  • रवि योग नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाला माना जाता है।

 पूजा विधि

  • सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें।

  • घर के मंदिर को गंगाजल से शुद्ध करें।

  • भगवान विष्णु की प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं।

  • पीले फूल, तुलसी दल, ऋतु फल और पीले वस्त्र अर्पित करें।

  • "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।

  • पूरे दिन फलाहार करें या निर्जल व्रत रखें।

  • रात को भगवान के भजन-कीर्तन करें।

अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।

 विशेष उपाय

  1. विवाह में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए गरीबों को पीले वस्त्र, चने की दाल और पीली मिठाई दान करें।

  2. तुलसी के पास घी का दीपक जलाएं और 5 या 7 परिक्रमा करें।

  3. भगवान विष्णु को पीले फूल और पीला वस्त्र चढ़ाएं।

  4. शाम को पीपल वृक्ष में जल अर्पित करें और दीपक जलाएं।

  5. जरूरतमंदों को अन्न, फल और वस्त्र दान करें।

परिवर्तिनी एकादशी सिर्फ धार्मिक ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि श्रद्धा से किए गए छोटे-छोटे उपाय भी बड़ा असर दिखाते हैं। इस बार का विशेष योग और मुहूर्त इसे और खास बना देता है। क्या आप भी विवाह या जीवन की किसी अन्य रुकावट से परेशान हैं? तो इस एकादशी का व्रत आपके लिए चमत्कारी साबित हो सकता है।

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Team India मैंने कई कविताएँ और लघु कथाएँ लिखी हैं। मैं पेशे से कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हूं और अब संपादक की भूमिका सफलतापूर्वक निभा रहा हूं।