Madhya Pradesh: बच्चों के खिलाफ अपराध में देश में सबसे ऊपर, हर साल बदतर होते हालात!

NCRB रिपोर्ट ने खोला बड़ा राज़—मध्य प्रदेश बच्चों के खिलाफ अपराध में देशभर में पहले स्थान पर है। हत्या, रेप के बाद हत्या और भ्रूण हत्या के आंकड़े साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं।

Oct 1, 2025 - 14:56
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Madhya Pradesh: बच्चों के खिलाफ अपराध में देश में सबसे ऊपर, हर साल बदतर होते हालात!
Madhya Pradesh: बच्चों के खिलाफ अपराध में देश में सबसे ऊपर, हर साल बदतर होते हालात!

भारत की सबसे बड़ी चिंता आज सिर्फ बेरोज़गारी या गरीबी नहीं, बल्कि बच्चों की सुरक्षा भी है। और इस मामले में सबसे भयावह तस्वीर सामने आई है मध्य प्रदेश (MP) से। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की 2023 रिपोर्ट बताती है कि बच्चों के खिलाफ अपराध में एमपी देश में पहले नंबर पर है।

आंकड़े जो चौंकाते हैं

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में बच्चों से जुड़े कुल 22,393 अपराध मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए। यह संख्या 2022 में 20,415 और 2021 में 19,173 थी। यानी हर साल आंकड़े लगातार ऊपर जा रहे हैं।
क्राइम रेट की बात करें तो एमपी में यह 77.9% तक पहुंच चुका है। ये आँकड़े बताते हैं कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर प्रदेश की हालत लगातार बिगड़ रही है।

मां के गर्भ से लेकर मासूम की जान तक

मध्य प्रदेश में बच्चों के खिलाफ अपराध की जड़ें बेहद गहरी हैं। भ्रूण हत्या और शिशु हत्या इसके सबसे भयावह रूप हैं।

  • भ्रूण हत्या: साल 2023 में देशभर में ऐसे 87 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 20 अकेले मध्य प्रदेश से थे। यानी यहां आज भी अजन्मे बच्चे मां के गर्भ में मार दिए जाते हैं।

  • शिशु हत्या: 2023 में देशभर में 63 मामले सामने आए, जिनमें 12 मध्य प्रदेश से थे। इसका मतलब यह है कि अगर बच्चा किसी तरह जन्म ले भी ले, तो भी उसकी सुरक्षा की गारंटी नहीं है।

हत्या और रेप के बाद हत्या

अगर बच्चा जीवन की पहली सीढ़ियाँ पार कर भी ले, तो खतरा वहीं खत्म नहीं होता। राज्य में बच्चों के खिलाफ हत्या और रेप के बाद हत्या के मामले भी तेजी से बढ़ रहे हैं।

  • बच्चों की हत्या: 2023 में पूरे देश से 1177 मामले दर्ज हुए, जिनमें से 100 मध्य प्रदेश से थे।

  • रेप के बाद हत्या: देशभर के 86 मामलों में से 11 एमपी में दर्ज हुए।

  • आत्महत्या के लिए उकसाना: इस श्रेणी में भी 368 में से 104 मामले अकेले एमपी से थे।

यह आँकड़े किसी भी संवेदनशील समाज की आत्मा को झकझोरने के लिए काफी हैं।

दूसरा और तीसरा नंबर पर कौन?

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  • महाराष्ट्र में 2023 में बच्चों से जुड़े 22,390 मामले दर्ज हुए।

  • वहीं उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा, जहां 18,852 मामले दर्ज किए गए।
    गौर करने वाली बात यह है कि ये तीनों बड़े राज्य लगातार तीन साल से बच्चों के खिलाफ अपराध में बढ़ोतरी दर्ज कर रहे हैं।

इतिहास और सामाजिक परिप्रेक्ष्य

मध्य प्रदेश लंबे समय से बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए सुर्खियों में रहा है। 1990 के दशक में भी यहां बाल तस्करी, बाल मजदूरी और यौन शोषण से जुड़े मामले अक्सर सामने आते थे। समय बदला, तकनीक आई, कानून सख्त हुए—लेकिन तस्वीर बहुत कुछ वैसी ही बनी हुई है।

सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह समस्या केवल कानून-व्यवस्था की नहीं, बल्कि गहरे तक जमी सामाजिक मानसिकता की है। भ्रूण हत्या और शिशु हत्या यह दिखाती है कि बच्चा, खासकर बच्ची, आज भी एक ‘बोझ’ समझी जाती है।

सवाल उठते हैं…

  • क्या कानून का डर अपराधियों को रोक नहीं पा रहा?

  • क्या सामाजिक जागरूकता अभियान केवल कागजों में सिमट गए हैं?

  • क्या सरकार और समाज मिलकर बच्चों को वह सुरक्षा नहीं दे पा रहे, जिसके वे हकदार हैं?

लोगों की प्रतिक्रिया

भोपाल की रहने वाली सामाजिक कार्यकर्ता कविता वर्मा कहती हैं—
“बच्चों के खिलाफ अपराध सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, यह आने वाली पीढ़ी का भविष्य खत्म कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि ऐसे मामलों की फास्ट-ट्रैक कोर्ट में सुनवाई हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए।”

इंदौर के एक शिक्षक संदीप मिश्रा का कहना है—
“जब बच्चे ही सुरक्षित नहीं हैं, तो हम किस समाज का निर्माण कर रहे हैं? सबसे पहले हमें परिवार और समाज स्तर पर सोच बदलनी होगी।”


मध्य प्रदेश का नाम बच्चों से जुड़े अपराधों में सबसे ऊपर होना न केवल राज्य बल्कि पूरे देश के लिए शर्मनाक है। भ्रूण हत्या से लेकर शिशु हत्या और रेप के बाद हत्या तक, हर आंकड़ा इस बात की ओर इशारा करता है कि समाज को जागना होगा। बच्चों की सुरक्षा केवल सरकार का नहीं, हर नागरिक का दायित्व है।

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Manish Tamsoy मनीष तामसोय कॉमर्स में मास्टर डिग्री कर रहे हैं और खेलों के प्रति गहरी रुचि रखते हैं। क्रिकेट, फुटबॉल और शतरंज जैसे खेलों में उनकी गहरी समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता उन्हें एक कुशल खेल विश्लेषक बनाती है। इसके अलावा, मनीष वीडियो एडिटिंग में भी एक्सपर्ट हैं। उनका क्रिएटिव अप्रोच और टेक्निकल नॉलेज उन्हें खेल विश्लेषण से जुड़े वीडियो कंटेंट को आकर्षक और प्रभावी बनाने में मदद करता है। खेलों की दुनिया में हो रहे नए बदलावों और रोमांचक मुकाबलों पर उनकी गहरी पकड़ उन्हें एक बेहतरीन कंटेंट क्रिएटर और पत्रकार के रूप में स्थापित करती है।