Hatia Rescue: डांट से डरकर घर से भागी नाबालिग! RPF ने 'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' के तहत किया रेस्क्यू
हटिया रेलवे स्टेशन पर RPF ने 'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' के तहत एक 17 वर्षीय नाबालिग लड़की (पार्वती उरांव, निवासी गुमला) को रेस्क्यू किया। पिता की डांट से आहत होकर घर से भागी इस किशोरी को सभी कानूनी प्रक्रियाएं पूरी करने के बाद चाइल्डलाइन को सुरक्षित सौंप दिया गया।

भारत के रेलवे स्टेशन, जो लाखों लोगों के लिए यात्रा का केंद्र हैं, दुर्भाग्य से कई ऐसे बच्चों और नाबालिगों के लिए भी गंतव्य बन जाते हैं, जो डर, गुस्से या भ्रम में अपने घरों से भाग आते हैं। हटिया रेलवे स्टेशन पर शुक्रवार को एक ऐसी ही घटना सामने आई, जहां रेल सुरक्षा बल (RPF) ने अपने विशेष अभियान 'ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते' के तहत एक घबराई हुई नाबालिग किशोरी को समय रहते रेस्क्यू कर लिया।
यह घटना हमें याद दिलाती है कि रेलवे स्टेशन बच्चों की तस्करी, गुमशुदगी और बाल श्रम जैसे अपराधों के लिए संवेदनशील स्पॉट होते हैं। RPF कमांडेंट पवन कुमार के निर्देश पर चलाए जा रहे नियमित गश्त और निगरानी के कारण ही यह जिंदगी बचाई जा सकी। यह ऑपरेशन दिखाता है कि रेलवे पुलिस अब केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि वह सामाजिक जिम्मेदारी निभाते हुए मानवीय आधार पर भी कार्य कर रही है।
दोपहर 12 बजे की घबराई हुई किशोरी
हटिया रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार पर दोपहर करीब 12 बजे RPF पोस्ट स्टाफ की नजर एक अकेली और असहज स्थिति में घूम रही किशोरी पर पड़ी। RPF स्टाफ ने लड़की की घबराहट और अकेलेपन को देखकर तुरंत उससे संपर्क किया और पूछताछ शुरू की।
पूछताछ के दौरान लड़की ने अपना नाम पार्वती उरांव और उम्र लगभग 17 वर्ष बताई। उसने अपने पिता का नाम मोतीलाल उरांव और पता गुमला बताया।
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भागने का कारण: पार्वती ने RPF को बताया कि वह अपने पिता की डांट से बहुत आहत हुई थी और इसी डर और निराशा में वह घर से भागकर हटिया स्टेशन आ गई।
हालांकि, पार्वती अपनी घबराहट के कारण परिवार का कोई संपर्क नंबर नहीं बता सकी, जिससे उसकी पहचान और माता-पिता से संपर्क करना शुरू में मुश्किल हो गया।
RPF और चाइल्डलाइन का मानवीय समन्वय
चूंकि लड़की नाबालिग थी और घर से भागी हुई थी, इसलिए RPF ने मामले को गंभीरता से लिया। ऑपरेशन नन्हे फरिश्ते के प्रोटोकॉल के तहत, RPF ने तुरंत चाइल्डलाइन के प्रतिनिधियों को घटना की सूचना दी।
चाइल्डलाइन जैसी संस्थाओं के साथ आरपीएफ का समन्वय ऐसे मामलों में अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे बच्चों को सुरक्षित आश्रय, काउंसलिंग और उनके परिवार से पुनर्मिलन में विशेषज्ञ होते हैं।
आरपीएफ द्वारा सभी कानूनी प्रक्रियाएं और कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद, बच्ची को चाइल्डलाइन के प्रतिनिधियों को सुरक्षित रूप से सौंप दिया गया। अब चाइल्डलाइन की टीम पार्वती को काउंसलिंग प्रदान करेगी और उसके परिवार का पता लगाकर उसे सुरक्षित घर वापसी सुनिश्चित करेगी।
यह घटना सभी माता-पिता के लिए एक सीख है कि बच्चों को डांटने या अनुशासन सिखाने के दौरान उन्हें मानसिक आघात न पहुंचे, जिससे वे इतना बड़ा और खतरनाक कदम उठा लें। रेलवे स्टेशनों पर ऐसे कई बच्चे तस्करी और शोषण का शिकार हो जाते हैं।
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